Stay Home Stay Empowered: कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने में बेहद लाभकारी है विटामिन-ई
आईयूबीएमबी लाइफ में प्रकाशित एक अमेरिकी अध्ययन में इस बात का दावा किया गया है कि वायरस से लड़ने के लिए विटामिन-ई काफी अहम है। शरीर के लिए बेहद जरूरी विटामिन-ई ट्राउट मछली लाल शिमला मिर्च और बादाम में भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना संकट की वजह से लोगों ने इम्यूनिटी बढ़ाने पर तेजी से काम करना शुरू किया है। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए हर कोई अपने-अपने तरह से उपाय कर रहा है। इम्यूनिटी बेहतर करने के लिए लोग सबसे अधिक विटामिन-सी का प्रयोग कर रहे हैं। विटामिन-सी हड्डियों, त्वचा और रक्त वाहिकाओं के गठन और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। कुछ खाद्य पदार्थों खासतौर पर फल और सब्जियों में विटामिन-सी प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसके अलावा लोग आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाए गए काढ़े का भी प्रयोग कर रहे हैं।
आईयूबीएमबी लाइफ में प्रकाशित एक अमेरिकी अध्ययन में इस बात का दावा किया गया है कि वायरस से लड़ने के लिए विटामिन-ई काफी अहम है। शरीर के लिए बेहद जरूरी विटामिन-ई ट्राउट मछली, लाल शिमला मिर्च और बादाम में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन-ई एक एंटीऑक्सीडेंट है और ये खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स और बीज। यह विटामिन वसा में घुलनशील होने के साथ-साथ शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कई तरह के रोग के उपचार और रोकथाम के लिए भी किया जाता है।
इटावा अस्पताल के पूर्व चिकित्सा अधिकारी अंकुर चक्रवर्ती कहते हैं कि विटामिन-ई को त्वचा और बालों के लिए काफी असरदार माना जाता है। इस विटामिन की कमी को दूर करने के कई फूड्स के सेवन की सलाह दी जाती है। विटामिन-ई की जरूरत हमें कई तरह के रोगों से लड़ने के लिए होती है। विटामिन-ई बालों के साथ-साथ स्किन पर झुर्रियों से छुटकारा दिलाने में भी काफी फायदेमंद है। जवानी में ही बुढ़ापे जैसे लक्षणों को भी विटामिन-ई से दूर किया जा सकता है। सोमर का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ टी-कोशिकाओं का उत्पादन कम हो जाता है। यही वजह है कि युवाओं की इम्यूनिटी वृद्धों के मुकाबले अधिक होती है।
शोधकर्ता एलिजाबेथ सोमर के अनुसार, दो तरह के टी-लिंफोसाइट होते हैं- पहला, जिसे रेगुलेटर कहा जाता है और जो बाहरी तत्वों के शरीर में प्रवेश करने पर एंटीबॉडी का उत्पादन सुनिश्चित करता है। दूसरा साइटोटॉक्सिक होता है, जो बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमित कोशिकाओं से जुड़कर उनका खात्मा करता है। विटामिन-ई दोनों ही कोशिकाओं की बाहरी परत को मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह ‘टी-लिम्फोसाइट्स’ की संख्या बढ़ाने में मदद करता है। प्रतिरोधक तंत्र की अन्य कोशिकाओं से सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए भी टी-कोशिकाओं को इस विटामिन की जरूरत पड़ती है। उन्होंने दावा किया कि टी-लिंफोसाइट इम्यून कोशिकाओं को भी मजबूत करती है। इससे एंटीबॉडीज का प्रोडक्शन अधिक हो जाता है। इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता भी बेहतर हो जाती है।
विटामिन-ई की कमी से होती हैं ये बीमारियां
1. विटामिन-ई की कमी से शरीर को ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है।
2. कोलेस्ट्रॉल अनियंत्रित हो सकता है।
3. स्किन और बालों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
4. मानसिक विकार हो सकते हैं।
5. इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है।
इनमें होता है भरपूर विटामिन-ई
प्रमुख स्रोत-
-ट्राउट मछली
-लाल शिमला मिर्च
-एवोकाडो
-सूरजमुखी का तेल
-बादाम
स्वास्थ्य के लिए काफी जरूरी है विटामिन-ई
बुढ़ापा पास नहीं फटकेगा
विटामिन-ई बुढ़ापे की समस्याओं को दूर करता है। विटामिन-ई एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। यह फ्री-रैडिकल्स से कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने से रोकता है। विटामिन-सी और विटामिन-ई दोनों ही एक साथ मिलकर बेहतर काम करते हैं। इसके लिए आप एक मैश किया हुआ पपीता और विटामिन-ई की कुछ बूंदें मिलाकर अपने चेहरे पर लगा सकते हैं। पपीता आपकी रंगत को निखारने का काम करता है और आपकी डेड स्किन को कम कर देता है, जबकि विटामिन-ई आपकी त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है।
चेहरे और बालों के लिए लाभदायक
वैसे तो विटामिन-ई का अधिकतर इस्तेमाल स्किनकेयर में होता है मगर ये आपके बालों को गिरने से बचाने में भी सहायक होता है। यह अल्फा-टोकोफेरॉल से भरपूर होता है, जो आपके सिर के ब्लड सर्कुलेशन में मददगार होता है और बालों को पोषण देता है। इसके लिए आप इसे नारियल तेल के साथ मिलाकर बालों की मालिश करें।
आंखों के लिए संजीवनी
-विटामिन-ई ‘मैक्युलर डिजनरेशन’ से बचाती है। यह बीमारी मैक्युला (आंखों के पर्दे के बीच का अंडाकार भाग) को फ्री-रैडिकल से पहुंचे नुकसान से होती है।
मानसिक रोगों में लाभकारी
विटामिन-ई तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं को फ्री-रैडिकल से बचाता है। इससे याददाश्त और तर्क शक्ति में गिरावट की शिकायत दूर रहती है। एक साथ कई काम निपटाने, सही-गलत में अंतर करने और त्वरित फैसले लेने की क्षमता भी बनी रहती है।
हार्ट अटैक, स्ट्रोक के जोखिम को करता है कम
विटामिन-ई को लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही धमनियों को चौड़ा करने में कारगर पाया गया था। इससे नसों में खून का थक्का नहीं जमता। साथ ही हार्ट अटैक और स्ट्रोक से मौत के खतरे में 21 फीसदी की कमी आती है।