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Stay Home Stay Empowered: अनलॉक-1 में ऑफिस जाने के लिए हिम्मत और जज्बा यहां मिलेगा

भारत समेत पूरी दुनिया के अधिकांश हिस्सों में अब लॉकडाउन खुल गया है और हम अनलॉक के दौर में आ गए हैं। अब हममें से ज्यादातर लोग या तो काम पर जाने लगे हैं या जाने की तैयारी में हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2020 09:21 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 04:43 PM (IST)
Stay Home Stay Empowered: अनलॉक-1 में ऑफिस जाने के लिए हिम्मत और जज्बा यहां मिलेगा
Stay Home Stay Empowered: अनलॉक-1 में ऑफिस जाने के लिए हिम्मत और जज्बा यहां मिलेगा

नई दिल्ली, विनीत शरण। भारत समेत पूरी दुनिया के अधिकांश हिस्सों में अब लॉकडाउन खुल गया है और हम अनलॉक के दौर में आ गए हैं। अब हममें से ज्यादातर लोग या तो काम पर जाने लगे हैं या फिर जाने की तैयारी में हैं। पर हमें यह भी मालूम है कि वायरस का आतंक अभी है। इन सबके बावजूद अच्छी बात यह है कि हमें इससे बचने के तरीके अब मालूम हैं। लेकिन क्या वायरस की मौजूदगी से हमारे ऊपर मनोवैज्ञानिक रूप से भी असर हो रहा है? क्या हम बाहर निकलकर काम करने से डर रहे हैं? अगर हां तो हम बाहर जाकर काम करने की हिम्मत और जज्बा कैसे लाएं? इन्हीं सवालों के जवाब के लिए हमने मनोवैज्ञानिकों से बात की-

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काम को मोटिवेशन बनाएं

फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विभाग के निदेशक डॉ समीर पारिख कहते हैं कि हमें अपने काम को ही अपना मोटिवेशन बनाना चाहिए। उन चीजों की लिस्ट बनाएं, जिनके लिए आप काम पर जाते हैं। इससे हमें बाहर निकलकर अपना काम करने की हिम्मत और जज्बा मिलेगा। हमें समझना होगा कि हर काम की अपनी अहमियत होती है। आज आप अपना काम करके सामाजिक योगदान दे सकते हैं। समाज को आपके काम की जरूरत है। अपनी दिनचर्या या काम पर लौटने से हम बेहतर महसूस करेंगे। सामान्य दिनचर्या के लिए हमें उत्साह दिखाना ही होगा।

सुरक्षा-सावधानी से आत्मविश्वास बढ़ेगा

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, बाहर निकलने पर विशेषज्ञों की ओर से सुझाए जा रहे वायरस के बचने के सुझाव का पालन करें। आप इनका जितना पालन करेंगे, उतना बाहर निकलने के लिए आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। याद रखें कि आपको क्या सावधानियां बरतनी हैं।

थोड़ा डर अच्छा है

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि थोड़ा डर इस दौर में अच्छा है, क्योंकि इससे लोग सतर्क रहेंगे। अगर लोग सिर्फ मास्क लगाकर बाहर निकल जाएंगे और संक्रमण से बचने के सोशल डिस्टैंसिंग जैसे मानकों का पालन नहीं करेंगे, तो दिक्कत होगी। लोगों को मालूम होना चाहिए कि उन्हें पूरी सतर्कता बरतनी है। इसके लिए खुद को हर वक्त मानसिक रूप से तैयार रखना है। हमेशा याद रहे कि अभी हम यह नहीं जानते कि हम पर या हमारे परिवार पर वायरस का कितना असर होगा।

भावनात्मक रूप से ऊर्जावान रहें

डॉ समीर पारिख के मुताबिक, अपने परिवार और दोस्तों से जुड़े रहें। लोगों से कनेक्ट रहें। सहकर्मियों से भी बात करें। इससे आप भावनात्मक रूप से ऊर्जावान रहेंगे। खुद को अकेला कतई न छोड़ें।

परिस्थिति के लिहाज के खुद को बदलें

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हम बदलाव से गुजर रहे हैं। और इसे हम महसूस कर रहे हैं। परिस्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश न करें, बल्कि बदलती परिस्थितियों के हिसाब से खुद को बदल लें। अगर हम हालात को बेहतर बनाने और समस्या को हल करने के लिए कुछ करेंगे तो हम बेहतर स्थिति में होंगे। जैसे, सोचें कि हम वायरस से खुद को कितना और कैसे बचा सकते हैं। यह दृढ़ निश्चय कर सकते हैं कि फिजिकल डिस्टैंसिंग का पालन करेंगे और बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलेंगे।

बाहर निकलें, लेकिन भीड़ से बचें

याद रहे कि भीड़-भाड़ वाली जगहों से जितनी दूर रहेंगे, आप उतना कम तनाव में रहेंगे। खुद को तनाव से बचाने की कला विकसित करें।

अब तनाव से निकलने का वक्त है

ग्रेटर शिकागो की मनोवैज्ञानिक डॉक्टर करेन कैसिडे और न्यूयॉर्क के मनोचिकित्सक डॉ. डेविड रोसमरीन का कहना है कि कोविड के चलते महीनों तक अपने अस्तित्व को लेकर हम अनिश्चितता की स्थिति में रहे हैं, जिसकी वजह से बहुत तनाव भी झेला है। हमारा शरीर तनाव और प्रतिक्रिया की निष्क्रिय अवस्था में फंस गया है, जिसका नतीजा थकान, उदासी और चिड़चिड़ाहट के रूप में सामने आ रहा है। अब इससे निकलने का दौर है। इसके लिए शारीरिक सक्रियता बढ़ानी होगी।

बेचैनी को कम करें

हमें अपनी बेचैनी भी कम करनी होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, जैसे ही हम मानते हैं कि बेचैनी आ रही है, उसी समय हम ख़ुद को तैयार करें तो यह घटने लगती है। हम योग, गहरी सांस, माइंड फुलनेस, ध्यान या प्रार्थना से बेचैनी दूर कर सकते हैं। वहीं खुश रहना सीखें। पोस्ट कोविड काल में खुश रहने का तरीका सीखना ज्यादा जरूरी हो गया है।

इन सलाह पर ध्यान दें

-इस वक्त को एक अवसर के रूप में लें, क्योंकि हर बदलाव में अवसर होता है।

-पूरी योजना बनाकर रखें कि बच्चों और बुजुर्गों की हिफाजत के लिए क्या करना है।

-खासकर बच्चों को स्कूल भेजते की योजना अभी से बना लें।

-लॉकडाउन हटने पर अजनबियों से बातचीत करें।

-अपने बॉस से बातचीत करें और ऐसे काम नहीं करें जिसमें आप सहज नहीं हैं।

वर्क फ्रॉम होम वाले भी याद रखें

घर से काम करने वाले याद रखें कि ऑफिस आने-जाने में लगने वाला समय बच रहा है। परिवार को ज्यादा समय दे पा रहे हैं। नींद ज्यादा मिल रही है। ऐसे लोगों को लॉकडाउन की एक तरह से आदत पड़ गई है। पर अगर अब ऑफिस जाना पड़े तो याद रहे कि धीरे-धीरे फिर आपको इसकी आदत पड़ ही जाएगी। बस आपको इस बदलाव का तनाव नहीं लेना है। जल्द सब कुछ सामान्य हो जाएगा। 


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