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जीवनशैली बिगाड़ रही धड़कनों की लय

शारीरिक निष्क्रियता असंयमित खानपान तनाव और बिगड़ी दिनचर्या बन रही है हृदय संबंधी बीमारियों का कारण। अपनाएं अनुशासित जीवनशैली जिससे सेहतमंद रहे दिल। विश्व हृदय दिवस 29 सितंबर के मौके पर दिल को सेहतमंद रखने के उपाय बता रहे हैं डा. एस. के. गुप्तासीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलाजिस्ट इंद्रप्रस्थ अपोलो हास्पिटल दिल्ली

By Keerti SinghEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 04:48 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 04:48 PM (IST)
जीवनशैली बिगाड़ रही धड़कनों की लय
दिल को सेहतमंद रखना है तो अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से बचें

 लालजी बाजपेयी

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कुछ सालों पहले तक यह माना जाता था कि हृदय संबंधी बीमारियां या अचानक से होने वाला हृदयाघात 55 से 60 साल की उम्र के लोगों को ही होता है। इसके अतिरिक्त कुछ हार्मोंस के कारण महिलाओं को हृदय रोगों से काफी हद तक सुरक्षित माना जाता था, लेकिन अब ये बातें भ्रामक प्रतीत होती हैं। अब बुजुर्ग, महिलाएं और युवा, कोई भी हृदय रोग की चपेट में आ सकता है। बीते डेढ़ दो साल में कई नामचीन हस्तियां अचनाक से हृदयघात की चपेट में आईं और उन्हें जान गंवानी पड़ी। जिस तेजी युवाओं में हृदय संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं, वे कहीं न कहीं हमारी बिगड़ी दिनचर्या, असंयमित खानपान और अव्यवस्थित जीवनशैली की ओर इशारा कर रहे हैं। जिस तरह से हमारी जीवनशैली बदल रही है, उसी तरह से बीमारियों व उनके लक्षणों में भी परिवर्तन हो रहे हैं और हृदय से जुड़ी बीमारियां इससे अलग नहीं हैं। इसलिए यह सुनिश्चित कर पाना कठिन है कि हृदय रोग की चपेट में कौन नहीं आ सकता है। आज हृदयाघात सेहत के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इससे बचने का एक ही उपाय है कि जीवनशैली अनुशासित हो और हृदय रोगों से जुड़े प्रारंभिक लक्षणों की अनदेखी न की जाये।

सेहत पर हावी है तनाव: बेहतर करने की चाह या यह कहा जाए कि अतिमहात्वाकांक्षा कहीं न कहीं तनाव का बड़ा कारण है। इससे सिर्फ हृदय ही नहीं, शरीर की पूरी कार्य प्रणाली प्रभावित होती है। तनाव की वजह से कार्टीसोल हार्मोंस असंतुलित होता है, जो कोलेस्ट्राल का लेवल बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। इससे ब्लडप्रेशर अनियंत्रित और वजन तेजी से बढ़ता है, जो हृदयाघात या हृदय संबंधी बीमारियों की आशंका को बढ़ा देता है। काम की व्यस्तता में कोई कार्य सुनिश्चित नहीं है। इससे मानसिक व शारीरिक सेहत प्रभावित हो रही है।

खानपान प्रभावित कर रहा बाडी का सिस्टम: हर काम में जल्दी है। कब क्या और कितना खाना है, लोगों को इस बात से मतलब नहीं है। बीते जमाने में हम मोटा अनाज खाते थे और आर्थिक रूप से समक्ष न होने के कारण खानपान भी सीमित था। अब स्थितियां बदल चुकी हैं। पैसा है तो मन का कुछ भी खरीदकर खा सकते हैं। खानपान में ये आदत सेहत की दुश्मन बन रही है। फास्ट फूड, जंक फूड, मैदा व चिकनाई वाली चीजें कोलेस्ट्राल बढ़ाती हैं। ये वजन बढ़ने का भी प्रमुख कारण हैं। इसलिए इनके सेवन से बचें। ये हृदय को ही नहीं, संपूर्ण सेहत को प्रभावित करती हैं। ये सभी को पता है कि इनका शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, लेकिन जानते हुए भी हम अनजान हैं और सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।

पर्यावरणीय भी है जिम्मेदार: पर्यावरण तेजी से बिगड़ रहा है हवा में जहरीली गैसों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। ऐसा नहीं है कि इसका असर केवल हमारे श्वसनतंत्र पर पड़ता है। इससे शरीर का हर अंग प्रभावित होता है। समय के साथ ये जहरीले तत्व हमारे जीन में बदलाव का कारण बन सकते हैं, जो केवल हृदय ही नहीं किसी भी शारीरिक समस्या के कारक होंगे।

जांच अवश्य कराएं: लोग फुल बाडी चेकअप के नाम पर साल में एक बार रक्त के प्रमुख परीक्षण करा लेते हैं, लेकिन जिस तेजी से हृदयाघात या हृदय संबंधी बीमारियों के मामले युवाओं को अपनी चपेट में ले रहे हैं, उनसे बचने के लिए 40 साल की उम्र के बाद हृदय का संपूर्ण परीक्षण अवश्य कराना चाहिए।

इनका रखें ध्यान

’ खुश रहें

’ अल्कोहल व तंबाकू के सेवन से दूर रहें

’ वजन नियंत्रित रखें

’ चाय, काफी, कोल्ड ड्रिंक का सेवन कम से कम करें

’ नियमित योग, व्यायाम करें

’ छह से आठ घंटे की नींद लें

’ वसीय खाद्य पदार्थों का सीमित सेवन करें

’ हर छह माह में कोलेस्ट्राल की जांच अवश्य कराएं


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