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थॉयराइड प्रॉब्लम, वजह और इसका उपचार, जानें इसके बारे में सब कुछ

थॉयराइड की समस्या बहुत ही आम हो चुकी है खासतौर से महिलाओं में। तो सेहत में किसी भी तरह का बदलाव महसूस होने पर तुरंत थॉयराइड की जांच कराएं और समय रहते इसका उपचार।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 11:30 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 11:30 AM (IST)
थॉयराइड प्रॉब्लम, वजह और इसका उपचार, जानें इसके बारे में सब कुछ
थॉयराइड प्रॉब्लम, वजह और इसका उपचार, जानें इसके बारे में सब कुछ

गले में स्थित थायरॉयड ग्लैंड शरीर के लिए दो महत्वपूर्ण हॉर्मोन्स टी-3 और टी-4 का सिक्रीशन करती है, जिनकी कमी या अधिकता से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं परेशान करने लगती हैं। क्यों होता है ऐसा, क्या है इसका इलाज और सावधानियां, जानेंगे आज।

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प्रेग्नेंसी और थायरॉयड

गर्भावस्था में टी-3, टी-4 हॉर्मोन के असंतुलन से एनीमिया, मिसकैरेज और शिशु में जन्मजात मानसिक दुर्बलता की आशंका बनी रहती है। इसलिए कंसीव करने से पहले युवतियों को थायरॉयड की जांच अवश्य करानी चाहिए। अगर रिपार्ट में कोई गड़बड़ी हो तो दवाओं के नियमित सेवन से उसके स्तर को संतुलित करने के बाद ही उन्हें पारिवारिक जीवन की शुरुआत करनी चाहिए।   

हेल्दी और एक्टिव बने रहने के लिए जो हॉर्मोन्स खास होते हैं, टी-3 और टी-4 उन्हीं से एक हैं। इनका सिक्रीशन गले में स्थित थायरॉयड नामक ग्लैंड से होता है। ये हॉर्मोन्स किस तरह काम करते हैं, बता रहे हैं आर्टिमिज़ हॉस्पिटल गुरुग्राम के सीनियर कंसल्टेंट एंडोक्रॉनोलॉजिस्ट डॉ.धीरज कपूर। 

क्या है इन हार्मोन्स का काम

थायरॉयड ग्लैंड से निकलने वाले ये दोनों हॉर्मोन्स साथ मिलकर मेटाबॉलिज़्म, दिल की धड़कन, शरीर के तापमान के अलावा कई अन्य क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। इनकी कमी से होने वाली समस्या को हाइपो थायरॉयडिज़्म और अधिकता से बढऩे वाली परेशानी को हाइपर थायरॉयडिजम कहा जाता है। अधिकतर लोगों में हाइपोथायरॉयडिजम की समस्या होती है। हॉर्मोन की अधिकता के मामले कम देखने को मिलते हैं। इस समस्या के दोनों रूप और लक्षण इस प्रकार हैं :

हाइपो-थायरॉयडिजम: जब हॉर्मोन का सिक्रीशन कम हो जाता है तो इसकी वजह से एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, शरीर और चेहरे में सूजन, कब्ज़, त्वचा में रूखापन, बालों का गिरना, अनियमित पीरियड्स आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।

हाइपर थायरॉयडिजम: जयादा भूख लगना, तेज़ी से वज़न घटना, लूज़ मोशंस, बेचैनी, गुस्सा, दिल की धड़कन बढ़ना और हाथ-पैरों में कंपन आदि लक्षण दिखाई देते हैं। 

क्या है वजह

चिकित्सा विज्ञान की भाषा में इसे ऑटो इम्यून डिज़ीज़ कहा जाता है। अर्थात शरीर के भीतर मौज़ूद केमिकल्स की संरचना में स्वत: कुछ ऐसे बदलाव आते हैं, जिससे यह समस्या हो जाती है। फिर भी आनुवंशिकता, जन्मजात रूप से ग्लैंड में गड़बड़ी, एंटीबायोटिक्स या स्टेरॉयड दवाओं के साइड इफेक्ट से भी यह समस्या हो सकती है। 

बचाव एवं उपचार

1. अगर कोई भी लक्षण नज़र आए तो बिना देर किए टी-3, टी-4 और टीएसएच-4 की जांच कराएं।

2. अगर रिपोर्ट पॉजि़टिव आए तो डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से दवाओं का सेवन करें और हर छह महीने के बाद जांच करवा के डॉक्टर से सलाह लें। 

3. अगर हाइपोथायरॉयड की समस्या हो तो पत्तागोभी, फूलगोभी और ब्रॉक्ली का सेवन सीमित मात्रा में करें क्योंकि इन सब्जि़यों में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो थायरॉयड ग्लैंड के कामकाज में बाधा पहुंचाते हैं। 

4. अगर हाइपर थायरॉयडिजम की गंभीर समस्या हो तो सर्जरी द्वारा इसका उपचार संभव है।


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