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Coronavirus: 3 वजहें, क्यों महिलाओं की तुलना पुरुषों के लिए ज़्यादा घातक साबित हो रहा है कोरोना?

Coronavirus कई शोध से पता चला है कि महिलाओं और पुरुषों को कोरोना वायरस एक तरह से संक्रमित करता है लेकिन ये बीमारी पुरुषों में ज़्यादा गंभीर रूप ले लेती है जिसकी वजह से विशेषज्ञ

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 05:52 PM (IST)
Coronavirus: 3 वजहें, क्यों महिलाओं की तुलना पुरुषों के लिए ज़्यादा घातक साबित हो रहा है कोरोना?
Coronavirus: 3 वजहें, क्यों महिलाओं की तुलना पुरुषों के लिए ज़्यादा घातक साबित हो रहा है कोरोना?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus: SARS-CoV-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 बुज़ुर्गों, बच्चों, नौजवानों यानि किसी को भी संक्रमित कर सकती है। हालांकि, उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि ये बीमारी लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती है - कुछ के लिए, यह खांसी या बुखार के साथ शुरू होती है, तो दूसरों के लिए, यह गंध या स्वाद की भावना के ख़त्म हो जाने से शुरू होती है। 

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शोध से ये पता चला है कि 80 प्रतिशत संक्रमित लोग ऐसे हैं, जिनमें लक्षण हल्के से लेकर न के बराबर होते हैं। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि कोविड-19 महिलाओं की तुलना पुरुषों में कहीं ज़्यादा गंभीर रूप ले लेती है। यह भी देखा गया है कि पुरुषों में संक्रमण की संभावना अधिक होती है, और बीमारी अधिक जानलेवा साबित होती है।

दुनियाभर के आंकड़े देखें, तो महिलाओं की तुलना में कोविड-19 से पुरुष ज़्यादा मर रहे हैं। इसके पीछे संभावित कारण जीव विज्ञान से लेकर बुरी आदतों तक हो सकता है। कई शोध से पता चला है कि महिलाओं और पुरुषों को कोरोना वायरस एक तरह से संक्रमित करता है, लेकिन ये बीमारी पुरुषों में ज़्यादा गंभीर रूप ले लेती है, जिसकी वजह से विशेषज्ञ भी हैरान हैं।

आमतौर पर ज्ञात है कि पुरुष हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों की चपेट में ज़्यादा आते हैं। इसके अलावा महिलाओं की तुलना में ज़्यादातर पुरुष धूम्रपान करते हैं, इसलिए कोरोना वायरस से गंभीर बीमारी की संभावना उनके लिए बढ़ जाती है।

साथ ही पुरुष भी जोखिम भरे व्यवहार में संलग्न होते हैं जैसे दिशा-निर्देशों की अनदेखी करना, उनके लक्षणों को गंभीरता से न लेना आदि। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एक और कारण ये भी हो सकता है कि पुरुषों की तुलना महिलाओं की इम्यूनिटी ज़्यादा मज़बूत होती है। 

ये बातें सामान्य संक्रमण की घटनाओं को समझने में मदद करते हैं, लेकिन इससे ये साफ नहीं कि दोनों में गंभीरता अलग क्यों हो जाती है।

महिलाओं की तुलना अधिक पुरुष क्यों गवां रहे हैं जान 

एक्सपर्ट्स इस वक्त, कोविड-19 और लिंग के बारे में तीन शीर्ष सिद्धांत एंजियोटेनसिन को परिवर्तित करने वाले एंजाइम -2 (ACE-2) रिसेप्टर, एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं, और आनुवंशिक प्रवृतियां।

ACE -2 रिसेप्टर्स: कई शोधों के बाद ये बात स्पष्ट रूप से समझ में आ गई है कि SARS-CoV-2, SARS (गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम), MERS (मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम) जैसे कोरोना वायरस के 'स्पाइक प्रोटीन' ACE-2 रिसेप्टर्स की ओर आकर्षित होते हैं। यह लगभग ऐसा है जैसे ACE-2 रिसेप्टर इन वायरस के लिए प्रवेश द्वार हैं। ACE-2 रिसेप्टर्स का जमाव महिलाओं की तुलना में पुरुषों में प्रचुर मात्रा में मौजूद है। वे फेफड़ों, हृदय, आंत और गोनाड्स में उच्च सांद्रता में पाए जाते हैं।

एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन के रिश्ते को समझना: महिलाएं प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और लचीलापन के संबंध में एक मज़बूत वर्ग है। महिला हार्मोन एस्ट्रोजन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को तेज़ी से उत्तेजित करता है और SARS-CoV-2 वायरस प्रतिकृति को भी दबाता है। वहीं, दूसरी तरफ, पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को रोकता है, इसलिए, पुरुषों को गंभीर संक्रमण का खतरा होता है। एस्ट्रोजेन की यह गुणवत्ता न सिर्फ कोविड​​-19 मामलों में देखी जाती है, बल्कि इन्फ्लूएंज़ा जैसी अन्य वायरल बीमारियों में भी देखने को मिलती है। 

आनुवंशिक प्रवृतियां: इस घटना का संभावित तीसरा कारण यह है कि जीन, जो शरीर में एक रोगजनक़ की पहचान करने और उनकी प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार हैं, वो एक्स-क्रोमोसोम में मौजूद हैं। क्योंकि महिलाओं में 2X गुणसूत्र होते हैं, रोगज़नक़ के प्रति उनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया तेज़ी से काम करती है और उन्हें बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है।

इस बीच, मुंबई शहर में किए गए एक सीरो सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिक महिलाओं ने कोविड-19 के लिए एंटीबॉडी विकसित कर ली हैं, जिससे साबित होता है कि महिलाएं संक्रमित तो हुई लेकिन पुरुषों के मुकाबले उनके लक्षण बेहद हल्के थे। इसलिए, जहां अधिक पुरुषों में लक्षणों ने गंभीर रूप ले लिया, वहीं महिलाएं संभवतः प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण बड़े पैमाने पर सुरक्षित रहीं।


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