Thinking About IVF: क्या आप आईवीएफ के लिए सोच रही हैं? तो इन दो बातों को ज़रूर जान लें
Thinking About IVF एंडोमेंट्रियोसिस बहुत ही कम उम्र में होना शुरू होता है और यह बढ़ते रहने वाली बीमारी है इसके लक्षण महिला के रिप्रोडक्टिव लाइफ के आसार और ज्यादा खतरनाक होते जाते हैं।
By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 02:03 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 02:03 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Thinking About IVF: हाल ही में शादी करने वाली मिसेज चंदना शर्मा को बहुत ही बुरी खबर पता चली है कि वह प्राकृतिक तरीके से मां नहीं बन सकती हैं। 33 वर्षीय चंदना को इससे पहले कोई इनफर्टिलिटी जैसी समस्या या कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखें थे। उन्हें जब पीरियड्स आते थे, तो वह बहुत दर्दनाक होते थे। यह लक्षण इनफर्टिलिटी का लीडिंग लक्षण माना जाता हैं। महिलाओं में इनफर्टिलिटी के होने के कारण एंडोमेंट्रियोसिस होता है। जिसकी वजह से कई महिलाएं मां बनने के लिए इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन का सहारा लेती है।
यह एक फैक्ट है कि एंडोमेट्रियोटिक महिलाएं जो आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाती हैं और जो दूसरे लक्षण की वजह से आईवीएफ ट्रीटमेंट कराती हैं, के मुकाबले एंडोमेट्रियोटिक महिलाओं का आईवीएफ ट्रीटमेंट सफल होने का सक्सेस रेट कम होता है। लेकिन कई सारे केसेस में वे आसानी से गर्भधारण कर लेती हैं और आसानी से बच्चे पैदा करने में सफल होती हैं।
एंडोमेंट्रियोसिस बहुत ही कम उम्र में होना शुरू होता है और यह बढ़ते रहने वाली बीमारी है, इसके लक्षण महिला के रिप्रोडक्टिव लाइफ के आसार और ज्यादा खतरनाक होते जाते हैं। बहुत ज्यादा पेल्विक दर्द होने और इनफर्टिलिटी के अलावा, दूसरे लक्षण भी इसमें शामिल हो सकते है।
जैसे-
- सेक्स के दौरान दर्द होना
- ओव्यूलेशन के दौरान दर्द होना
- कमज़ोरी
- हल्का पीठ दर्द
- आंत में दर्द होना
- कब्ज या डायरिया
इनफर्टिलिटी और एंडोमेंट्रियोसिस के बीच का लिंक
जैसे कि बताया गया है कि एंडोमेंट्रियोसिस का सबसे आम लक्षण इनफर्टिलिटी होती है। 2017 में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के अनुसार एंडोमेंट्रियोसिस कमजोर करने वाली बीमारी होती है जो 6 से 10% महिलाओं को होती है। जिन्हें दर्द और इनफर्टिलिटी होती है ऐसी महिलाएं 30 से 50% तक होती है। लगभग 25 से 50% इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रही महिलाओं में एंडोमेंट्रियोसिस होता है और 30 से 50% महिलाओं में जिन्हें एंडोमेंट्रियोसिस होता है वे इनफर्टिलिटी की समस्या से पीड़ित होती हैं।
हालांकि भारत में इस कंडीशन के प्रति जागरूकता बहुत ही कम है। दुर्भाग्य से कुछ महिलाओं को यह समस्या तब पता चलती है जब वह गर्भधारण करने में मुश्किलों का सामना करती हैं। अभी भी कई रिसर्च में यह पता चलना बाकी है कि जिन महिलाओं में एंडोमेंट्रियोसिस होता है, उनमे इनफर्टिलिटी की समस्या क्यों होती है।
कुछ असत्यापित तथ्य के अनुसार
- सूजन की वजह से साइटोंकिंस नाम के केमिकल का निर्माण होता है। ये साइटोंकिंस स्पर्म या अंडे की कोशिकाओं में बाधा डालते हैं और गर्भधारण की प्रक्रिया को बहुत मुश्किल बना देते हैं।
- घाव और चिपकाव से एंडोमेंट्रियोसिस फालोपियन ट्यूब या युटेरस ब्लॉक हो सकती है। जिससे स्पर्म को अंडे से मिलने में मुश्किल होती है।
- ओवरी पर मोजूद एंडोमेंरियल टिश्यू ओव्यूलेशन में बाधा डालते हैं और अंडे को रिलीज नहीं होने देते हैं।
क्या आईवीएफ ट्रीटमेंट एंडोमेंट्रियोटिक महिलाओं के लिए सही होता है?
हां, अनुभवी डॉक्टरों द्वारा आईवीएफ ट्रीटमेंट करने से एंडोमेट्रियोटिक महिलाओं के लिए आईवीएफ निश्चित रूप से सुरक्षित होता है। कुछ डॉक्टर पहले एंडोमेट्रियोटिक सिस्ट को ओवरी से निकालते हैं। इसके बाद आईवीएफ का प्रोसेस शुरू करते हैं। यह दो धारी तलवार की तरह हो सकता है क्योंकि सर्जरी के बाद मरीज की ओवेरियन रिजर्व नीचे जा सकता है। इसलिए अधिकांश डॉक्टर एंडोमेट्रियोटिक सिस्ट को हटाए बिना ही आईवीएफ और आईसीएसआई (इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन) ट्रीटमेंट शुरू कर देते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में ह्युमन रिप्रोडक्शन में इस्तेमाल हुए अल्ट्रासाउंड और क्येशचनरीज के मद्देनज़र प्रकाशित हुई 2011 की एक स्टडी के अनुसार जिन महिलाओं की आईवीएफ सर्जरी हुई थी उनमे पता लगाया गया क्या उनकी बीमारी पर कोई प्रभाव पड़ा। स्टडी से निष्कर्ष निकला कि आईवीएफ से महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस-संबंधी लक्षण का खतरा नहीं होता है।
हालांकि, एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि अल्ट्रासाउंड एंडोमेट्रियोसिस को डायगनोज़ और ट्रैक करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं होता है। प्रक्रिया को लेप्रोस्कोपी के माध्यम से निर्धारित करने की आवश्यकता है जो वर्तमान समय में एंडोमेट्रियोसिस का पता लगाने और डायगनोज्ड करने के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता है।
नोवा आईवीएफ, नई दिल्ली के फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ अस्वती नायर द्वारा इनपुट
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