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ईटिंग डिसऑर्डर के पीछे जिम्मेदार हो सकते हैं शरीर के ये बिगड़े हुए हॉर्मोन्स

दिनभर कुछ-कुछ खाते रहने की आदत दरअसल एक तरह का डिसऑर्डर है जिसे ईटिंग डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता है। जिसके पीछे वजह हो सकते हैं शरीर के ये बिगड़े हुए हॉर्मोन्स। जान लें जरा इनके बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 07:13 AM (IST)
ईटिंग डिसऑर्डर के पीछे जिम्मेदार हो सकते हैं शरीर के ये बिगड़े हुए हॉर्मोन्स
दोनों हाथों में डोनट पकड़कर खाती हुई युवती

शरीर में कई ऐसे हॉर्मोन्स मौजूद होते हैं, जो आंतों और ब्रेन के बीच मेसेंजर का काम करते हुए भूख को बढ़ाते हैं और उसे नियंत्रित भी करते हैं। कई बार इनकी कार्य प्रणाली में असंतुलन की वजह से व्यक्ति को ईटिंग डिसॉर्डर की समस्या हो सकती है। आप भी जानें, ऐसे हॉर्मोन्स और उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें-

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इस हॉर्मोन का उत्पादन फैट सेल्स से होता है। यह ब्रेन के हाइपोथेलेमस नामक हिस्से को संदेश भेजता है कि अभी शरीर में पर्याप्त मात्रा में फैट मौजूद है और अब उसे भोजन की जरूरत नहीं है। जब यह हॉर्मोन सही ढंग से काम नहीं करता तो ब्रेन तक पेट भरा होने का संदेश नहीं पहुंच पाता। इससे व्यक्ति अधिक मात्रा में खाने लगता है।

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जब हम खाली पेट होते हैं तो हमारी अंतः स्त्रावी ग्रंथियों में इस हॉर्मोन का सिक्रीशन शुरू हो जाता है। पेट भरते ही इसका स्त्राव बंद हो जाता है। सामान्य स्थिति में खाने के बाद शरीर में इसकी मात्रा घटकर बहुत कम हो जाती है लेकिन कई बार खाने के बाद भी इसका लेवल कम नहीं होता और व्यक्ति को दोबारा भूख लग जाती है। इसकी गड़बड़ी से ईटिंग डिसऑर्डर हो सकती है।

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जैसे ही भोजन आंतों तक पहुंचता है. यह हॉर्मोन हमारे ब्रेन तक इस बात का संदेश भेजता है कि अब खाने की जरूरत नहीं है। इसकी ऐसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी की वजह से ही इसे फुल हॉर्मोन भी कहा जाता है। कई बार अधिक चटपटे भोजन की वजह से इसका स्तर घटने लगता है और खाने के बाद भी व्यक्ति को फूड क्रेविंग महसूस होती है।

न्यूरोपेप्टाइड स्टिमुलेट हॉर्मोन

इस हॉर्मोन का उत्पादन ब्रेन और नर्वस सिस्टम में होता है। यह कार्बोहाइड्रेट की जरूरत पूरी करने के लिए भूख को बढ़ाता है। तनाव की स्थिति में इसका सिक्रीशन तेजी से होने लगता है और इससे व्यक्ति को ज्यादा भूख लगती है।

Pic credit- pexels


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