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ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए ऐसे करें केले के फूल का सेवन

एक रिसर्च लेख के अनुसार केले के फूल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स मापने की वह प्रक्रिया है जिससे यह पता चलता है कि कार्बोहाइड्रेट से कितने समय में ग्लूकोज बनता है। इसके सेवन से ग्लूकोज बहुत कम बनता है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 05:32 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 10:03 PM (IST)
ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए ऐसे करें केले के फूल का सेवन
दुबले-पतले लोगों के लिए केला किसी दवा से कम नहीं है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। सनातन धर्म में केले का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि केले के पौधे में भगवान विष्णु वास करते हैं। इसके लिए गुरुवार के दिन केले के पौधे की पूजा की जाती है। भारत में लोग केले के पत्ते पर भोजन ग्रहण करते हैं। केले का पौधा उष्णकटिबंधीय जलवायु में उगता है। इसकी खेती भारत सहित कैरेबियन देशों में अधिक की जाती है। इसके सेवन से शरीर को त्वरित ऊर्जा की प्राप्ति होती है। जबकि केला खाने से वजन भी बढ़ता है। दुबले-पतले लोगों के लिए केला किसी दवा से कम नहीं है। इसके साथ ही केले का फूल भी सेहत के लिए लाभदायक होता है। सेहत की दृष्टिकोण से केला बहुत फायदेमंद फल है। इसके सेवन से डायबिटीज रोग में आराम मिलता है। कई शोधों में खुलासा हुआ है कि डायबिटीज के मरीजों को केले के फूल का सेवन जरूर करना चाहिए। अगर आपको इसके फायदे नहीं पता है, तो आइए जानते हैं कि कैसे यह डायबिटीज में मददगार साबित होता है-

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researchgate.net पर छपी एक रिसर्च लेख के अनुसार, केले के फूल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स मापने की वह प्रक्रिया है, जिससे यह पता चलता है कि कार्बोहाइड्रेट से कितने समय में ग्लूकोज बनता है। इसके सेवन से ग्लूकोज बहुत कम बनता है। इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं, जो डॉयबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।

ऐसे में डायबिटीज के मरीज केले के फूल का सेवन कर सकते हैं। खासकर केले के फूल के पकौड़े बेहद स्वादिष्ठ होते हैं। अगर आपने कभी कोशिश नहीं की है, तो एक बार जरूर केले के फूल के पकौड़े बनाकर सेवन करें। आप चाहे तो इसे उबालकर भी सेवन कर सकते हैं। जबकि इसकी सब्जी भी बना सकते हैं।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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