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Stop Overthinking: कहीं उम्र से पहले मृत्यू की वजह न बन जाए ज़्यादा सोचने की आदत!

Stop Overthinkingज़्यादा सोचना अभी तक कमाने का ज़रिया नहीं बना है लेकिन उम्र से पहले मृत्यू की वजह ज़रूर बन गया है। अगर आप भी ज़्यादा सोचने की आदत के शिकार हैं तो इसे फौरन रोकें।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 08:42 AM (IST)
Stop Overthinking: कहीं उम्र से पहले मृत्यू की वजह न बन जाए ज़्यादा सोचने की आदत!
Stop Overthinking: कहीं उम्र से पहले मृत्यू की वजह न बन जाए ज़्यादा सोचने की आदत!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Stop Overthinking: कहीं आप भी उन लोगों में से तो नहीं हैं जिन्हें ज़रूरत से ज़्यादा सोचने की आदत पड़ चुकी है। ये ऐसे लोग होते हैं जिन्हें अगर इस काम के पैसे देने शुरू कर दिए जाएं तो वह पल भर में ही करोड़पति बन जाएंगे। खैर, ज़्यादा सोचना अभी तक कमाने का ज़रिया तो नहीं बना है, लेकिन उम्र से पहले मृत्यू की वजह ज़रूर बन गया है। 

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अगर आप भी ज़रूरत से ज़्यादा सोचने की आदत के शिकार हैं तो इसे फौरन रोकें। हाल ही में हुई एक रीसर्च के मुताबिक, हार्वर्ड मेडिकल स्कून के रिसर्च्स ने 60-70 की उम्र में मरने वाले लोगों के दिमाग़ की तुलना उन लोगों से की जिनकी उम्र कम से कम 100 साल के करीब थी। इस स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों की उम्र से पहले मृत्यू हुई उनमें REST नाम के प्रोटीन की काफी कमी थी। ये प्रोटीन दिमाग़ को शांत रखने, ज़्यादा सोचने और चिंता करने से रोकता है। REST प्रोटीन अल्ज़ाइमर्ज़ की बीमारी से भी बचाता है। 

एक अतिसक्रिय दिमाग़ का जीवन काल काफी कम पाया गया है, जबकि इस तरह की अधिकता को अगर नियंत्रित कर लिया जाए तो उम्र लंबी हो सकती है। ऐसा नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में पाया गया है।

ज़्यादा सोचना शायद आपको हानिकारक न लगता हो, लेकिन इससे स्वास्थ्य समस्याएं, रोग और विकार जुड़े होते हैं। अगर आप अक्सर ज़रूरत से ज़्यादा सोचते हैं तो आपको ये बीमारियां होने की ज़्यादा संभावना है।

दिल की बीमारी

ज़्यादा सोचने से आपक दिल की बीमारी का भी शिकार हो सकते हैं। अगर आप ज़्यादा सोचते हैं तो आपको सीने में दर्द, चक्कर आना आदि जैसे लक्षण आमतौर पर दिखते होंगे।  

मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों

कई मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे और उनसे होने वाले जोखिम, सबका का सीधा रिश्ता ज़्यादा सोचने से ही है। ज़्यादा सोचना और घबराहट होने का भी सीधा रिश्ता इसी से है। डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारी भी ज़्यादा सोचने की वजह से होती है। शराब या ड्रग्स का ज़्यादा सेवन, सोने में परेशानी या फिर नींद न आने की बामीर, सभी लगातार चिंता करने की वजह से होते हैं।

गंजापन

ज़्यादा सोचना, चिंता करना और तनाव का सीधा असर गंजेपन और एलोपेसिया नाम की हार्मोनल प्रॉब्लम से है।अगर आप ज़रूरत से ज़्यादा सोचेंगे तो आपके बाल तेज़ी से गिरने शुरू हो जाएंगे।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित युक्तियां और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी तरह की समस्या के समाधान के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।


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