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Toxic Smog: सेहत के लिए हानिकारक है टॉक्सिक स्मॉग, एक्सपर्ट से जानें इसके दुष्परिणाम और बचाव के तरीके

लगातार बढ़ता प्रदूषण इन दिनों सभी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। धुंध और कोहरे के मिश्रण से तैयार स्मॉग हमारी सेहत के लिए काफी हानिकारक है। ऐसे में एक्सपर्ट बता रहे हैं इसका हमारी सेहत पर क्या असर पड़ता है और इससे बचाव कैसे किया जाए।

By Harshita SaxenaEdited By: Published: Thu, 08 Dec 2022 12:45 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2022 12:45 PM (IST)
Toxic Smog: सेहत के लिए हानिकारक है टॉक्सिक स्मॉग, एक्सपर्ट से जानें इसके दुष्परिणाम और बचाव के तरीके
टॉक्सिक स्मॉग का सेहत पर असर और इससे बचाव के तरीके

नई दिल्ली, हर्षिता सक्सेना। Toxic Smog: पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण ने हमारी सेहत पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाला है। बीते कई दिनों से देश की राजधानी दिल्ली, एनसीआर और उत्तर भारत के अन्य शहरों में लगातार जहरीले स्मॉग की एक मोटी परत देखने को मिल रही है। हमारे वातावरण में लगातार बढ़ रहे इस स्मॉग का हमारी सेहत पर काफी हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। इसकी वजह से कई लोगों को सांस की समस्याएं, गले में खराश, आंखों में परेशानी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण हमारी सेहत पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक असर डालता है। इससे होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जानने के लिए हमने गुरुग्राम स्थित मैक्स अस्पताल के सीनियर डायरेक्टर-इंटरनल मेडिसिन एंड मेडिकल एडवाइजर डॉ. आशुतोष शुक्ला (एमडी, एफएसीपी) से बात की।

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इस गंभीर समस्या के बारे में बात करते हुए डॉ. आशुतोष ने बताया कि हमारे आसपास मौजूद स्मॉग कई तरह से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। इसकी वजह से हमें अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। लगातार ऐसे पर्यावरण में रहने से अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, इसकी वजह से कुछ अन्य दिक्कतें जैसे आंखों में जलन,गले में परेशानी आदि भी हो सकता है। स्मॉग से होने वाले अल्पकालिक समस्याओं में आंखों, नाक और गले में जलन,खांसी,सीने में जकड़न और सांस लेने में कठिनाई आदि शामिल हैं।

वहीं, बात करें दीर्घकालिक समस्याओं की तो इसमें वातस्फीति, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा,थकान का बढ़ना, दिल का दौरा जैसी कई गंभीर समस्याएं शामिल हैं। विस्तार में जानते हैं इन सभी समस्याओं के बारे में-

वातस्फीति (एम्फाइज़िमा)

वातस्फीति फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है, जिसके कारण शुरुआत में सांस लेने में तकलीफ होती है। यह एक दीर्घकालिक समस्या है, जिसमें मरीज के लंग्स में मौजूद एयर सैक्स (Air Sacks) डैमेज हो जाते हैं। इसकी वजह से आगे चलकर लंग्स में मौजूद एयर स्पेसेज बड़े हो जाते हैं, जो बाद में गंभीर रूप ले लेते हैं। इसके लक्षणों में सूखी खांसी, खांसी में बलगम आना, सांस लेने में दिक्कत आदि शामिल है।

ब्रोंकाइटिस

जहरीले स्मॉग की वजह से होने वाली एक और गंभीर समस्या में ब्रोंकाइटिस शामिल है। यह भी सांस संबंधी एक परेशानी है, जो आमतौर पर प्रदूषण की वजह से होती है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले ज्यादातर लोगों में ब्रोंकाइटिस की समस्या देखने को मिलती है। इसके अलावा यह बीमारी तंबाकू के धुएं, वायु प्रदूषण, धूल और धुएं के संपर्क में आने से भी होती है।

अस्थमा

लगातार वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से लोगों को अस्थमा की समस्या भी हो सकती है। यह एक गंभीर और दीर्घकालिक समस्या है, कई बार ट्रिगर भी कर सकती है। हवा में मौजूद प्रदूषक आपकी नाक या मुंह से होकर आपके फेफड़ों में पहुंच जाते हैं, जिससे यह समस्या हो सकती है। साथ ही यह प्रदूषक वायुमार्ग में सूजन और जलन पैदा करते हैं, जिससे अस्थमा पीड़ित लोगों की समस्या बढ़ सकती है। इतना ही नहीं उच्च स्तर के वायु प्रदूषण में सांस लेने से बार-बार अस्थमा का दौरा पड़ सकता है।

टॉक्सिक स्मॉग से ऐसे करें अपना बचाव

  • गले में जलन, आंखों से पानी आना और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षणों पर ध्यान दें।
  • हाई रिस्क वाले लोग जैसे ब्रोन्कियल अस्थमा या ब्रोंकाइटिस से पीड़ित, जिनके कोरोना की वजह से फेफड़े प्रभावित हुए हो या 65 वर्ष से ऊपर के लोग अपना विशेष ध्यान रखें।
  • घर, दफ्तर और अपनी कार में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। ज्यादा प्रदूषण के दौरान खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें।
  • इनडोर पौधों का उपयोग करें, जो हवा को साफ करते हैं-जैसे मनी प्लांट, एरेका पाम, फिलोडेंड्रोन, पीस लिली, ड्रेकेना, बोस्टन फर्न और एलोवेरा।
  • जब आप अपने घर से बाहर निकलें तो फेस मास्क पहनें, जो आपको प्रदूषण से बचाता है।
  • ज्यादा प्रदूषण के दौरान बाहर व्यायाम करने से बचें।
  • फ़्लू वैक्सीन के साथ ही नियमित रूप से निमोनिया का टीका लगवाएं।
  • अचानक से तापमान के परिवर्तन के संपर्क में आने से बचें, जैसे घर के अंदर गर्म से बाहर की ठंड।
  • अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं।
  • पोषक आहार, व्यायाम, पर्याप्त नींद, तनाव का स्तर और पर्याप्त पानी आदि का ध्यान रखें।
  • यदि आप 50 साल से ऊपर हैं, तो मल्टी विटामिन, च्यवनप्राश, हल्दी वाले दूध आदि का सेवन करें।

Picture Courtesy: Freepik


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