कोरोना से निबटने के लिए आगे आए छोटे-छोटे स्कूली वैज्ञानिक
कोरोना से बचने के लिए स्कूल के छात्रों का सराहनीय कदम जो लगों को कोरोना से बचने में बहुत हद तक मददगार साबित हो सकता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। देश में सिर्फ वैज्ञानिक और प्रमुख तकनीकी संस्थान नहीं हैं, जो COVID-19 के खिलाफ जंग लड़ने में मददगार हैं, बल्कि स्कूल के छात्र भी कोरोना से जंग लड़ने के लिए नई-नई तकनीकों का अविष्कार कर रहे हैं। कोई सेनिटाइजर बैंड बना रहा है तो कोई कोरोना से बचाव के लिए सन ग्लास बना रहा है।
एमिटी इंटरनेशनल स्कूल में 9वीं कक्षा के छात्र शिवम मुखर्जी ने एक ऐसा सेनिटाइजेशन बैंड बनाया है, जिसे हाथ में पहनने के बाद यह सेनिटाइजेशन बैंड किसी भी तरह के आवंछित चीज को छूने के बाद हाथ को तुरंत डिसइंफेक्ट कर देता है। इस सेनिटाइजेशन बैंड को शिवम ने अभय नाम दिया है।
शिवम ने बताया कि यह बहुत ही साधारण बैंड है जिसे कलाई में पहना जा सकता है। इसमें अल्ट्रावायलेट लाइट और प्रोक्सिमिटी सेंसर लगे हुए हैं। इसे पहनने के बाद जब व्यक्ति किसी भी चीज को छूएगा तो उसमें लगे सेंसर इसे पहचान लेगा और अल्ट्रावायलेट लाइट के माध्यम से अल्कोहल युक्त सेनिटाइजेश स्प्रे छोड़ेगा। यह बैंड कंप्यूटर आधारित है, जो एप से संचालित होता है। इसमें सेनिटाइजेशन के लिए एक रिफील लगा होता है। सेनिटाइजेशन जब खत्म होगा उससे पहले एप पर यह बैंड बता देगा।
सनग्लास बताएगा एक मीटर की दूरी पर है या नहीं
कोरोना से निबटने के लिए 8 साल के विनायक तारा ने एक सनग्लास बनाया है। इस सनग्लास को पहनने के बाद जैसे ही आप किसी से एक मीटर के दायरे से नजदीक आएंगे, सनग्लास में बीप बजने लगेगा और आपको आगाह करेगा। सार्वजनिक स्थलों पर इस सनग्लास का इस्तेमाल कोरोना से बचने में सहायक होगा।
इस छोटे से वैज्ञानिक ने बताया है कि इस सनग्लास को एक आईआर सेंसर के साथ एकीकृत किया गया है जिसमें निश्चित दूरी के लिए कोड सेट किया गया है। आई डिटेक्टर छोटे से माइक्रोचिप में फिट रहता है जिसमें फोटोसेल लगा रहता है। चश्मा पहनने के बाद जैसे ही कोई एक मीटर के दायरे में आता है, इसमें लगे सेंसर के कारण चश्मे से बीप की आवाज आती रहती है। इस बीप को म्यूजिक या मोबाइल की तरह गाने के बोल में बदला जा सकता है। सार्वजनिक जगहों पर कोरोना महामारी के इस दौर में इस चश्मे का महत्व काफी बढ़ जाता है।
Written By Shahina Noor