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Sadness Can Lead To Chain Smoking: दुखी और उदास लोग बनते हैं चेन स्मोकर्स!

Sadness Can Lead To Chain Smoking अन्य नकारात्मक भावनाओं की तुलना में उदासी एडिक्शन को ट्रिगर करने में विशेष रूप से मज़बूत भूमिका निभाती है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 04:00 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 04:59 PM (IST)
Sadness Can Lead To Chain Smoking: दुखी और उदास लोग बनते हैं चेन स्मोकर्स!
Sadness Can Lead To Chain Smoking: दुखी और उदास लोग बनते हैं चेन स्मोकर्स!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Sadness Can Lead To Chain Smoking: उदासी, और सभी तरह की नकारात्मक भावनाएं, न सिर्फ लोगों को धूम्रपान करने के लिए प्रेरित करती हैं बल्कि इससे एडिक्शन में भी बदल देती हैं। ऐसा हाल ही की एक रिसर्च में सामने आया है। 

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हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि अन्य नकारात्मक भावनाओं की तुलना में उदासी एडिक्शन को ट्रिगर करने में विशेष रूप से मज़बूत भूमिका निभाती है। इसका मतलब ये हुआ कि उदासी और नकारात्मक भावनाएं रखने वाले लोगों में धूम्रपान करने की संभावना अधिक होती है। इसकी वजह से लोग शराब और धूम्रपान जैसी चीजों की तरफ अधिक प्रेरित होते हैं। 

दुख और चेन स्मोकिंग के बीच का संबंध

प्रमुख शोधकर्ता चार्ल्स ए. डोरिसन ने कहा कि किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना, चाहे वह क्रोध, घृणा, तनाव, उदासी, भय या शर्म हो, किसी व्यक्ति में नशे का उपयोग करने की अधिक संभावना होगी। डोरिसन ने प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित पत्रिका में बताया कि उदासी नशे की लत के उपयोग का एक विशेष रूप से शक्तिशाली ट्रिगर प्रतीत है।

चार तरह से की गई रिसर्च

पहले शोध में, शोधकर्ताओं ने एक राष्ट्रीय सर्वे के आंकड़ों की जांच की जिसमें 20 वर्षों में 10,685 लोगों पर नज़र रखी गई। उन्होंने पाया कि प्रतिभागियों के बीच दुख धूम्रपान करने वाले के साथ जुड़ा हुआ था।

दूसरे शोध में, टीम ने यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या उदासी की वजह से लोग धूम्रपान करते हैं या नकारात्मक जीवन की घटनाएं उदासी और धूम्रपान दोनों का कारण बनती हैं। इसका परीक्षण करने के लिए 425 धूम्रपान करने वालों को एक ऑनलाइन शोध के लिए भर्ती किया गया, जिन्होंने वीडियो देखे।

तीसरे शोध में दूसरे शोध के समान, लगभग 700 प्रतिभागियों ने वीडियो देखे और जीवन के अनुभवों के बारे में लिखा जो या तो उदास थे या तटस्थ थे।

आखिरी शोध में 158 धूम्रपान करने वालों को यह जांचने के लिए भर्ती किया कि उदासी ने वास्तविक धूम्रपान व्यवहार को कैसे प्रभावित किया। प्रतिभागियों को कम से कम आठ घंटे (कार्बन मोनोऑक्साइड सांस परीक्षण द्वारा सत्यापित) धूम्रपान से दूर रहना पड़ा।

इस रिसर्च का निष्कर्ष ये निकला कि जब इंसान उदास होता है तो उसे धूम्रपान करने की बहुत ज्यादा क्रेविंग होती है। ये भी देखा गया कि नॉर्मल ग्रुप में शामिल लोगों की तुलना में उदासी समूह के लोग जल्द ही धूम्रपान करने के लिए अधिक अधीर साबित हुए। 


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