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सालभर में इस बीमारी से 1 लाख से ज्‍यादा बच्‍चों की मौत, कहीं आपका लाडला भी इसकी चपेट में तो नहीं

People Died From Measles बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सर्दी का मौसम बेहद संवेदनशील होता है। इस दौरान बच्‍चों को कई तरह की बीमारियां अपनी चपेट में ले सकती हैं।

By Rizwan MohammadEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 03:23 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 03:29 PM (IST)
सालभर में इस बीमारी से 1 लाख से ज्‍यादा बच्‍चों की मौत, कहीं आपका लाडला भी इसकी चपेट में तो नहीं
सालभर में इस बीमारी से 1 लाख से ज्‍यादा बच्‍चों की मौत, कहीं आपका लाडला भी इसकी चपेट में तो नहीं

नई दिल्‍ली, जेएनएन। People Died From Measles : बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सर्दी का मौसम बेहद संवेदनशील होता है। इस दौरान बच्‍चों को कई तरह की बीमारियां अपनी चपेट में ले सकती हैं। इनमें से एक है खसरा। इस बीमारी के चलते बच्‍चे अपंग होने के साथ ही मौत का शिकार भी हो सकते हैं। इस बीमारी को रुबेला भी कहा जाता है। ताजा वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में करीब डेढ़ लाख बच्‍चों और बड़े लोगों की मौत खसरे के कारण हो चुकी है। 

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डब्‍ल्‍यूएचओ की ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पिछले एक साल में दुनियाभर के 140000 से ज्‍यादा बच्‍चों की मौत खसरे की बीमारी के कारण हो चुकी है। यह बीमारी लगातार बच्‍चों में फैलती जा रही है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने सभी देशों को सचेत किया है कि वह खसरा का टीकाकरण तत्‍काल शुरू कर दें।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बीमारी से मरने वाले बच्‍चों में सबसे ज्‍यादा 5 साल से कम उम्र के हैं। 2018 की रिपोर्ट के यह आंकड़े काफी भयानक हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसकी रोकथाम के लिए तत्‍काल वैक्‍सीनेशन करना जरूरी है। इस बीमारी के बढ़ने पर बच्‍चे की देखने और सुनने की क्षमता प्रभावित होने का खतरा रहता है।

इस बीमारी से पीडि़त बच्‍चों के शरीर पर लाल चकत्‍ते निकल जाते हैं। इसके साथ ही बुखार, सूखी खांसी, नाक बहना, गले में दर्द जैसी समस्‍या होने लगती है। इसके अलावा आंखों में सूजन और कान की श्रवण नलिकाओं में सूजन आ जाती है, जिससे सुनने की क्षमता पर असर पड़ने लगता है।

रिपोर्ट के मुताबिक बच्‍चों के गाल और मुंह के अंदरूनी हिस्‍से में छाले निकल आते हैं। इसके कॉपलिक स्पॉट कहा जाता है। इन दानों के कारण बच्‍चे कुछ भी खा नहीं पाते हैं और हर वक्‍त दर्द में रहते हैं। इस तरह की समस्‍या वाले बच्‍चों को तत्‍काल उपचार के लिए नजदीकी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र ले जाना चाहिए।  


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