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Heart Attack: हार्ट अटैक के बाद अब सेल प्रोग्रामिंग की मदद से दिल को किया जाएगा रिपेयर, नया शोध

Heart Attack हार्ट अटैक आने के बाद हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने चूहों पर रिसर्च किया है जिससे पता चलता है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद होने वाले नुकसान को कैसे कम कर सकते हैं।

By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayPublished: Fri, 31 Mar 2023 06:21 PM (IST)Updated: Fri, 31 Mar 2023 06:21 PM (IST)
Heart Attack: हार्ट अटैक के बाद अब सेल प्रोग्रामिंग की मदद से दिल को किया जाएगा रिपेयर, नया शोध
Heart Attack: हार्ट अटैक के बाद अब सेल प्रोग्रामिंग की मदद से दिल को किया जाएगा रिपेयर

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Heart Attack: वैज्ञानिकों ने सेलुलर प्रोग्रामिंग का लाभ उठाने के लिए प्रोटीन के एक समूह की पहचान की है। जिससे दिल की कोशिकाओं को पहुंचे नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सके। वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान पाया कि दिल के दौरे के बाद एक चूहे के दिल को पहुंची चोट की मरम्मत सफल तरीके से कैसे की जा सकती है। अमेरिका के सैनफोर्ड बर्नहैम प्रीबिस में हुई रिसर्च के निष्कर्ष में पाया गया कि इससे हृदय, पार्किंसंस रोग और न्यूरोमस्कुलर बीमारियों सहित कई बीमारियों के उपचार को बदलने में मदद मिल सकती है।

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शोध के निष्कर्षों को नेचर कम्यूनीकेशन्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

सेलुलर प्रोग्रामिंग क्या है

शरीर की कोशिकाएं चुनी गई जीन्स को "चालू" और "बंद" करने की क्षमता रखती हैं। जैसे- वे कैसे दिखते हैं और वह क्या करते हैं, उसे बदलना ही सेलुलर प्रोग्रामिंग का आधार है। यह पुनर्योजी चिकित्सा का एक उभरता हुआ दृष्टिकोण है, जिसमें वैज्ञानिक क्षतिग्रस्त या घायल शरीर के ऊतकों की मरम्मत के लिए कोशिकाओं को बदलते हैं।

सैनफोर्ड बर्नहैम प्रीबिस के असिस्टेंट प्रोफेसर और रिसर्च के लीड लेखक, एलेक्जेंडर कोलास ने बताया कि, " हार्ट अटैक के बाद अगर एक व्यक्ति बच भी जाता है, तब भी उसके दिल को भारी नुकसान जरूर पहुंचा होता है, जिसकी वजह से दिल की दूसरी बीमारियों का जोखिम और बढ़ जाता है।" उन्होंने कहा, "थिअरी में सेलूलर प्रोग्रामिंग, हमें किसी भी कोशिका की गतिविधि और उपस्थिति को नियंत्रित करने का मौका देती है।"

यह कॉन्सेप्ट शरीर को खुद को दोबारा ठीक करने में बड़ी मदद प्रदान करता है, लेकिन रीप्रोग्रामिंग तंत्र की बाधाओं ने विज्ञान के लैब से क्लिनिक तक के सफर को रोका हुआ है।

हुई चार चरह के प्रोटीन की पहचान

इस समस्या को हल करने के लिए शोध में चार तरह के प्रोटीन की पहचान की गई, जिसे AJSZ नाम दिया गया है। कोलास ने कहा, " इन प्रोटीन्स की एक्टिविटी को ब्लॉक कर, हम दिल को पहुंची चोट को कम कर पाए और दिल के दौरे का शिकार हुए चूहे के दिल के कार्य में 50 फीसदी तक सुधार ला पाए।"

हालांकि, इस शोध का फोकस दिल की कोशिकाओं पर रहा, लेकिन वैज्ञानिकों को यकीन है कि AJSZ सभी तरह की कोशिकाओं में पाए जा सकते हैं। उन्हें यकीन है कि इस तरीके से कई तरह की बीमारियों का बेहतर इलाज हो सकता है। कोलास ने कहा, " यह सफलता इन जबरदस्त जैविक अवधारणाओं को वास्तविक उपचारों में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"

इस शोध का अगला कदम है AJSZ प्रोटीन्स को काम करने से ब्लॉक करने के कई विकल्पों की तलाश करना। अध्ययन के बारे में, कोलास ने कहा, "गहरी चोट के बाद दिल को ठीक करने में मदद कर पाना अपने आप में एक महत्वपूर्ण चिकित्सा आवश्यकता है, लेकिन ये निष्कर्ष चिकित्सा में सेल रिप्रोग्रामिंग के बड़े पैमाने में उपयोग के रास्ता को भी बड़ा बनाते हैं। "


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