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Pollution Can Cause Glaucoma: हवा में बढ़ते प्रदूषण के साथ तेज़ी से बढ़ रहे हैं ग्लोकोमा के मामले

Pollution Can Cause Glaucomaग्लोकोमाजिसे काला मोतियाबिंद भी कहा जाता है। वैश्विक स्तर पर अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक है।दुनिया भर के करीब 6 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 01:55 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 01:55 PM (IST)
Pollution Can Cause Glaucoma: हवा में बढ़ते प्रदूषण के साथ तेज़ी से बढ़ रहे हैं ग्लोकोमा के मामले
Pollution Can Cause Glaucoma: हवा में बढ़ते प्रदूषण के साथ तेज़ी से बढ़ रहे हैं ग्लोकोमा के मामले

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pollution Can Cause Glaucoma: देश की राजधानी दिल्ली में हवा की क्वालिटी अब भी काफी खराब है। यहां रह रहे लोगों को सांस लेने में तकलीफ के साथ-साथ इससे जुड़ी कई बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। एक नई रिसर्च की मानें तो अब प्रदूषण की वजह से लोगों को एक गंभीर बीमारी से भी जंग लड़ने के लिए तैयार होना होगा।

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यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में हुई एक नई रिसर्च के मुताबिक, भारी प्रदूषित क्षेत्रों में रहने से ग्लोकोमा होने का ख़तरा बढ़ सकता है। शोध के अनुसार कम प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वालों की तुलना में प्रदूषित इलाकों में रहने वालों में ग्लोकोमा के होने की सम्भावना 6 फीसदी अधिक पायी गयी है। यह अध्ययन जर्नल इन्वेस्टिगेटिव ऑप्थल्मोलॉजी एंड विजुअल साइंस में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन का उद्देश्य वायु प्रदूषण और ग्लोकोमा के बीच के संबंध की खोज करना था। इसमें पाया गया कि उच्च पीएम 2.5 एकाग्रता वाले क्षेत्रों के निवासियों में ग्लोकोमा के विकास की संभावना अधिक थी।

क्या है ग्लोकोमा

ग्लोकोमा, जिसे काला मोतियाबिंद भी कहा जाता है। वैश्विक स्तर पर अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक है। दुनिया भर के करीब 6 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। वहीं यदि भारत की बात करें तो 1.2 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं और इसके चलते करीब 12 लाख लोग अपनी आंखों की रौशनी खो चुके हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका यदि समय पर इलाज न कराया जाये तो इससे आंखों की रौशनी भी जा सकती है।

रिसर्च में पाया गया...

अध्ययन के प्रमुख लेखक, प्रोफेसर पॉल फोस्टर ने बताया कि, "हमें वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य को होने वाले एक और खतरे के बारे में पता चला है, जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। वायु प्रदूषण से आंखों पर पड़ने वाले असर पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्लोकोमा, एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है। यह आंखों की एक ऐसी बीमारी है जिसके होने पर इंसान की आंखे लगातार कमज़ोर होती चली जाती है और वह अंधेपन का शिकार हो जाता है। हमारी आंखों में एक ऑप्टिक नर्व होती है जोकि आंखों से चित्र को दिमाग तक पहुंचती है और दिमाग उसे ओब्सर्व करता है, लेकिन ग्लोकोमा की स्थिति होने पर इस नर्व में अत्यधिक दवाब पड़ने लगता है और यह चित्र सही तरीके से नही बन पाता, जिससे इंसान को दिखना कम हो जाता है।

आंखों पर पड़ने वाला दबाव वायु प्रदूषण से जुड़ा नहीं है, शोधकर्ताओं का मानना है कि वायु प्रदूषण एक अलग तरीके से ग्लोकोमा के जोखिम को बढ़ा सकता है। अनुमान है कि वायु प्रदूषण के कारण रक्त वाहिकाओं में कसाव आ जाता है, जो ग्लोकोमा होने का कारण हो सकता है। जोकि हृदय रोग का भी कारण होता है।


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