जानें, कैसे होती है अल्जाइमर बीमारी और क्या हैं बचने के उपाय
अल्जाइमर बीमारी से पीड़ित लोगों के दिमाग के कई हिस्सों में आयरन जमा हो जाता है इसकी वजह से मरीजों की याददाश्त में कमी आ जाती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जिसका सीधा ताल्लुक इंसान की याददाश्त से है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के मस्तिष्क की बाहरी परत में आयरन के संचय होने से मरीजों की याददाश्त में कमी आ जाती है। ऑस्ट्रिया की मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ ग्राज के शोध में यह खुलासा हुआ है।
अल्जाइमर मरीजों पर 17 साल तक अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों के दिमाग के कई हिस्सों में आयरन जमा हो जाता है। इसकी वजह से मरीजों की याददाश्त में कमी आ जाती है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रे मैटर, टेंपोरल लोब्स और नियो कोर्टेक्स में सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा आयरन मौजूद रहता है।
आयरन सांद्रता एक महत्वपूर्ण प्रोटीन एमाइलॉइड बीटा के साथ जुड़कर उसे मस्तिष्क की कोशिकाओं और उसके आस-पास जमा कर देता है, जो अल्जाइमर का कारण बनता है। इस शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि जो दवाइयां दिमाग से आयरन के संग्रह को कम कर सकती हैं, वे अल्जाइमर के इलाज में काफी कारगर सिद्ध हो सकती हैं। मस्तिष्क की न्यूरोलॉजिकल गतिविधियों के लिए रक्त से आयरन मिलना आवश्यक है, लेकिन प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए आयरन के रासायनिक तत्व को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
शोधकर्ता रिनहोल्ड स्किमिड ने कहा कि हमारे शोध से पता चलता है कि अल्जाइमर की बीमारी में आयरन के संचय की अहम भूमिका होती है। इस आयरन को कम करने की दवा से अल्जाइमर का प्रभावी इलाज किया जा सकता है। एमआरआई आधारित आयरन मैपिंग की मदद से अल्जाइमर की बीमारी की भविष्यवाणी भी की जा सकती है। इससे जल्द इलाज शुरू करने में मदद मिल सकती है। अल्जाइमर से पीड़ित मरीजों का इलाज अगर जल्दी शुरू कर दिया जाए तो मरीज की याददाश्त को मजबूत बनाया जा सकता है।
Written By Shahina Noor