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Covid-19 Plasma Donate: जानें, क्यों कुछ महिलाएं कोविड-19 मरीज़ों को नहीं कर सकती प्लाज़्मा दान?

Covid-19 Plasma Donate क्या आपको मालूम है कि कोविड-19 से उबरी कुछ महिलाएं अपने रक्त प्लाज़्मा दान नहीं कर सकती हैं खासकर जो बच्चे को जन्म दे चुकी हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 05:00 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 05:00 PM (IST)
Covid-19 Plasma Donate: जानें, क्यों कुछ महिलाएं कोविड-19 मरीज़ों को नहीं कर सकती प्लाज़्मा दान?
Covid-19 Plasma Donate: जानें, क्यों कुछ महिलाएं कोविड-19 मरीज़ों को नहीं कर सकती प्लाज़्मा दान?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Covid-19 Plasma Donate: कोरोना वायरस महामारी से आज पूरी दुनिया जूझ रही है। इसी बीच आजकल प्लाज़्मा थैरपी काफी खबरों में है। प्लाज़्मा खून का वो तरल हिस्सा होता है, जिसमें SARS-Cov-2 के खिलाफ एंटीबॉडीज़ मौजूद होती हैं। ये उन्हीं मरीज़ों के खून में पाई जाती हैं, जो कोविड-19 संक्रमण से उबर चुके होते हैं। 

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कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हुए लोगों से गुज़ारिश की जा रही है, कि वह कोविड-19 मरीज़ों के लिए अपना प्लाज़्मा दान करें, ताकि उनकी जान बचाई जा सके। हालांकि, प्लाज़मा दान करने के लिए भी कुछ नियम हैं, हर मरीज़ इसे दान नहीं दे सकता। क्या आपको मालूम है कि कोविड-19 से उबरी कुछ महिलाएं अपने रक्त प्लाज़्मा दान नहीं कर सकती हैं, खासकर जो बच्चे को जन्म दे चुकी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भवती हो चुकी महिलाओं का रक्त प्लाज़्मा कोविड-19 मरीज के इलाज के लिए सुरक्षित नहीं हैं।

महिलाएं क्यों नहीं कर सकती प्लाज़्मा दान?

बड़ा सवाल यह है कि ऐसा क्यों है? चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार महिलाएं, गर्भावस्था के दौरान पिता की आनुवंशिक मैटेरियल के खिलाफ मानव ल्यूकोसाइट एंटीजन (HLA) नामक एंटीबॉडी विकसित करती हैं। दरअसल, एक महिला की जितनी सफल गर्भधारण की संख्या होती है, एचएलए की गिनती भी उतनी ही अधिक होती है और एक बार HLA के विकसित होने के बाद यह हमेशा के लिए उनके रक्त में मौजूद रहता है।

क्योंकि कोविड-19 रोगियों को प्लाज्मा चढ़ाने की ज़रूरत पड़ती है और आमतौर पर उनके फेफड़े वायरस से कमज़ोर हो जाते हैं। ऐसे में अगर उन्हें अपने जीवन कभी मां बन चुकी महिला का प्लाज़्मा चढ़ाना घातक साबित हो सकता है।

कॉन्वेसिसेंट प्लाज़्मा ही असरदार

चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड -19 संक्रमित मरीजों के इलाज में केवल कॉन्वेसिसेंट प्लाज़्मा (Convalescent plasma) ही प्रभावी हैं, जिनके रक्त के तरल हिस्से में विकसित एंटी बॉडीज ही SARS-Cov-2 के खिलाफ काम करता है। यानी कॉन्वेसिसेंट प्लाज़्मा ही संक्रमितों के इलाज के लिए उपयोगी है, जो अब कई मामलों में संक्रमितों की चिकित्सा थैरपी बन चुकी है।

सिर्फ महिलाएं ही नहीं, ये लोग भी नहीं कर सकते दान 

प्लाज़्मा दान न देने की लिस्ट में सिर्फ महिलाएं ही नहीं आती, बल्कि कई पुरुष भी आते हैं। प्लाज़्मा दान करने के नियम काफी सख़्त हैं। एक मरीज़ पूरी तरह से ठीक होने के 14 दिन बाद ही प्लाज़्मा दान कर सकता है। दानकर्ता की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए और 60 साल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। वज़न कम से कम 50 किलो होना चाहिए, हीमोग्लोबिन कम से कम 8।

डोनर किसी भी क्रोनिक किडनी, हृदय, फेफड़े या डायबिटीज़ रोगी न हो

दान देने वाला व्यक्ति दिल, किडनी, फेफड़े और डाबिटीज़ का मरीज़ नहीं होना चाहिए। यहां तक कि, जिन लोगों को कैंसर हो चुका हो, वह भी प्लाज़्मा दान नहीं कर सकते। इसके अलावा ब्लड प्रेशर 140 से ऊपर नहीं होना चाहिए और डायस्टोलिक 60 से कम या 90 से अधिक नहीं होना चाहिए।


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