Coronavirus Tests: कब करवाना चाहिए कोरोना वायरस का टेस्ट?
Coronavirus Testsएक तरफ मामले लगातार बढ़ रहे हैंलेकिन डॉक्टर्स और विशेषज्ञों का फोकस कोरोना वायरस का जल्द से जल्द निदान करना और लोगों को संगरोध में रखना है जिससे संक्रमण न बढ़े।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Tests: कोरोना वायरस के संक्रमण का कहर अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारत में भी कोरोना वायरस के मामले हर दिन दुगने हो रहे हैं। देश में इस वक्त दुनिया में चौथे सबसे ज़्यादा मामले हैं। भारत में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या चार लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। जिसमें से 2,48,690 लोग स्वस्थ हो चुके हैं, वहीं 14,014 लोगों की मौत हो चुकी है।
एक तरफ मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन डॉक्टर्स और विशेषज्ञों का फोकस कोरोना वायरस का जल्द से जल्द निदान करना और लोगों को संगरोध में रखना है, जिससे संक्रमण को फैलने से बचाया जा सके।
कोरोना वायरस की न तो वैक्सीन है और न ही इलाज, इसलिए दुनिया भर में इसको लेकर पैनिक बढ़ता जा रहा है। इसकी एक वजह ये भी है कि कोरोना वायरस के लक्षण सामान सर्दी या फ्लू की तरह के ही होते हैं। अस्पतालों में मरीज़ों की लाइन लगी हुई है, इसलिए वहां जाना भी ख़तरे से खाली नहीं है। ऐसे में ये जानना ज़रूरी है कि कब कोरोना वायरस का टेस्ट कराना चाहिए।
क्या है टेस्ट की प्रकिया
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का सबसे पहला कदम है इससे संक्रमित लोगों को संगरोध या फिर दूसरों से अलग रखा जाए। चूंकि कोरोना वायरस एक उच्च जोखिम वाला संक्रमण है, इसलिए COVID-19 से संक्रमित रोगियों के साथ निकट संपर्क में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को स्क्रीनिंग की सलाह दी जा रही है। साथ ही सभी को घर पर रहने के लिए कहा जा रहा है।
इन लोगों को कराना चाहिए COVID-19 टेस्ट
कोरोना वायरस के मुख्य लक्षण बुखार, सूखी खांसी, और सांस की तकलीफ, साथ ही आपकी गंध और स्वाद की इंद्रियों का नुकसान है, और, कुछ मामलों में, पाचन संबंधी समस्याएं भी। यदि आपको ऐसा लगता है कि आप में कोरोना वायरस के लक्षण हैं, तो, हर तरह से, परीक्षण करवाएं। आप अपने राज्य या स्थानीय स्वास्थ्य विभाग या एक हेल्थ एक्सपर्ट से कंसल्ट कर सकते हैं कि इसके लिए कहां जाना है।
कैसे होता है कोरोना वायरस का टेस्ट?
सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार कोरोना वायरस (COVID-19) टेस्ट एक सैंपल लेने से शुरू होता है, जो रोगी की नाक या उनके मुंह में या गले के पीछे तक पहुंचने के लिए एक पतली डंडी डालकर किया जाता है।
एक सैंपल लेने के बाद, डंडी एक लिक्विड से भरे ट्यूब में चली जाती है और उसे एक लैब में ले जाया जाता है, जहां पेशेवर तब वायरस के प्रोटीन और रासायनिक संरचना का मूल्यांकन करते हैं, यह देखने के लिए कि क्या यह कोरोनो वायरस से मेल खाता है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर 24 से 48 घंटे लगते हैं।