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Coronavirus: जानें सतह पर कितने दिनों तक ज़िंदा रह सकता है कोरोना वायरस?

इस शोध से यह भी पता चला कि कठोर सतहों की तुलना में चिकनी सतहों पर (प्लास्टिक बैंकनोट्स की जगह पेपर बैंकनोट्स पर) कोरोना वायरस ज्यादा दिनों तक जीवित रह सकता है। जबकि इन्फ्लून्जा वायरस चिकनी सतहों पर 17 दिनों तक जीवित रहता है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 04:18 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 04:18 PM (IST)
Coronavirus: जानें सतह पर कितने दिनों तक ज़िंदा रह सकता है कोरोना वायरस?
यह शोध Australian agency CSIRO ने की है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। एक शोध में यह खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस चिकनी सतहों जैसे स्टेनलेस स्टील, फोन स्क्रीन्स, कांच, प्लास्टिक और बैंकनोट्स पर 28 दिनों तक जीवित रह सकता है। इससे पहले के शोध में यह बताया गया था कि कोरोना वायरस चिकनी सतहों पर 3 से 7 दिनों तक जिंदा रहता है। जबकि नए शोध में परिणाम चौकाने वाला है। यह शोध ऑस्ट्रेलियाई एजेंसी CSIRO ने की है।

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इस बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस 28 दिनों तक जिंदा रहकर संक्रमण फैला सकता है। यह फ्लू वायरस से अधिक दिनों तक फर्श पर जीवित रह सकता है। अगर कमरे की बत्ती बुझा दी जाए और तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रखा जाए, तो भी यह वायरस 28 दिनों तक सजीव रूप में रह सकता है। जबकि अपने आसपास के व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।

शोध के अनुसार, 20 डिग्री सेल्सियस तापमान के कमरे में 28 दिनों के बाद भी कोरोना वायरस को कांच, पॉलीमर नोट, स्टेनलेस स्टील, विनाइल लचीला प्‍लास्टिक और पेपर नोट्स पर जीवित पाया गया। इस शोध के अंत में आगाह किया है कि कोरोना वायरस के बारे में जो भी तथ्य है। उसमें बदलाव की संभावना अधिक है। इसके लिए आवश्यक सावधानियां जरूर बरतें।

इस शोध से यह भी पता चला कि कठोर सतहों की तुलना में चिकनी सतहों पर (प्लास्टिक बैंकनोट्स की जगह पेपर बैंकनोट्स पर) कोरोना वायरस ज्यादा दिनों तक जीवित रह सकता है। जबकि इन्फ्लून्जा वायरस चिकनी सतहों पर 17 दिनों तक जीवित रहता है।

गौतरलब है कि कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या में रोजाना बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। इससे बचने और प्रसार को रोकने के लिए कई शोध किए जा चुके हैं। जबकि कई शोध किए जा रहे हैं। खबरों की मानें तो 165 से अधिक कोरोना वायरस वैक्सीन प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षणों के विभिन्न चरणों में हैं, जिनमें 33 से अधिक मानव परीक्षणों के लिए अंतिम चरण में हैं।


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