Coronavirus Affects Heart: जानें दिल को कैसे प्रभावित करता है कोरोना वायरस संक्रमण?
Coronavirus Affects Heart ये ख़तरनाक संक्रमण सबसे ज़्यादा हमारे दिल को नुकसान पहुंचाता है। JAMA कोर्डियोलॉजी में प्रकाशित एक शोध के अनुसार 78 प्रतिशत मरीज़ ठीक होने के बाद दिल से जुड़ी तकलीफों के लिए दोबारा अस्पताल आते हैं।
नई दिल्ली, रूही परवेज़। Coronavirus Affects Heart: दिल से जुड़ी बीमारियां पिछले कुछ 10 सालों में तेज़ी से बढ़ती आ रही हैं। ज़ाहिर तौर पर इसके पीछे ज़िंदगी में बढ़ता स्ट्रेस और तनाव है। इसके साथ ही पिछले 10 महीने से दुनियाभर में लगातार पैर पसार रहे कोरोना वायरस ने तनाव के स्तर को काफी बढ़ा दिया है। कोविड-19 न सिर्फ दिल के मरीज़ों के जानलेवा साबित हो रहा है, बल्कि ये स्वस्थ हृदय वालों को भी दिल का मरीज़ बना रहा है।
ये ख़तरनाक संक्रमण सबसे ज़्यादा हमारे दिल को नुकसान पहुंचाता है। JAMA कोर्डियोलॉजी में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, 78 प्रतिशत मरीज़ ठीक होने के बाद दिल से जुड़ी तकलीफों के लिए दोबारा अस्पताल आते हैं। नए प्रमाण बताते हैं कि हृदय संबंधी समस्याएं संक्रमण के शुरुआती दिनों में भी हो सकती हैं, यहां तक कि उन लोगों को भी जिनमें इस बीमारी के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
दिल को ऐसे क्षति पहुंचाता है कोरोना
डॉ. अमित भूषण शर्मा, एसोसिएट डायरेक्टर और यूनिट हेड- कार्डियोलॉजी, पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम का कहना है कि हाल के दिनों में कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जो बताती हैं कि कोविड-19 न केवल फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि हार्ट को भी नुकसान पहुंचा रहा है। हाल के दिनों में एक नया लक्षण देखने को मिला हैं जिसमें 30% हार्ट से सम्बंधित है और 70% मौतें मरीजों में हार्ट की बीमारी होने से हो रही है।
"ये मायोकार्डिटिस के कारण सीने में दर्द के साथ शुरू होता है और हार्ट की मांसपेशियों में सूजन पैदा करता है। कभी-कभी लोगों में हार्ट रेट और धड़कन बढ़ जाती हैं। कोरोना के कारण कुछ लोगों में हार्ट में ब्लॉकेज भी हो रही है। जिन लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और हार्ट से सम्बंधित बीमारियां होती है, उनमें अन्य लोगों के मुकाबले कोविड-19 इंफेक्शन होने की संभावना 10 गुना ज्यादा हो जाती है। उनकी मोर्टेलिटी रेट नॉन-एनसीडी मरीज़ की तुलना में 30% ज्यादा होती है, नॉन-एनसीडी मरीज़ में मोर्टेलिटी रेट केवल 2% है। इसलिए विश्व हृदय दिवस (वर्ल्ड हार्ट डे ) पर हम सभी को हेल्थी लाइफस्टाइल और डाइट को बनाए रखते हुए एनसीडी बीमारियों को दूर रखने के लिए संकल्प लेने की ज़रूरत है।"
डॉ. (कर्नल) मोनिक मेहता, चीफ ऑफ़ कार्डियोलॉजी, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, पालम विहार, गुरुग्राम का कहना है कि कोरोना महामारी के समय में दिल की बीमारी भारतीयों को ज्यादा नुकसान पंहुचा रही है, इसी समय में कोविड-19 वायरस से संक्रमित होने के डर से हार्ट के मरीज़ घरों में रहने के लिए मजबूर हैं और अपने रेगुलर चेकअप के लिए नहीं जा पा रहे हैं। यही कारण है हृदय रोग से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। 35 से ज्यादा उम्र के युवाओं में भी इनएक्टिव लाइफस्टाइल और खाने की खराब आदतों के कारण हार्ट रोग की बीमारी होने का ख़तरा बढ़ रहा है। पिछले 5 सालों में दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हो रहा है। इनमें से अधिकांश 30-50 साल के आयु वर्ग के पुरुष और महिलाएं हैं। अब जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि ऐसे लोग दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए एक्टिव रहें और कम से कम हलकी एक्सरसाइज़ करें, अगर बाहर जा रहे हों, तो कोविड के सुरक्षा उपायों जैसे मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग अपनाएं। जिन पैकेज्ड स्नैक्स में नमक, चीनी और ट्रांस फैट ज्यादा हो उसे रज़ाना खाने से बचें। इससे हार्ट की बीमारी होने का ख़तरा कम होता है।"
इन लक्षणों पर दें ध्यान
सांस से जुड़े लक्षणों को पहचानना आसान है, लेकिन डॉ. त्रेहन के मुताबिक दिल से जुड़े इन लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इन पर भी ध्यान देना ज़रूर है।
- सांस लेने में तकलीफ
- सीने में लगातार दर्द या दबाव महसूस होना
- भ्रम या भटकाव महसूस होना
- होठों या चेहरे का नीला पड़ना
- शरीर में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाना
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।