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मानसून में बुखार, कंपकंपी और पसीने आने का मतलब है इस बीमारी का खतरा!

बारिश होने के साथ मच्छर और मच्छर के काटने की वजह से होने वाली बीमारियों का आतंक भी बढ़ना शुरू हो गया है। दिल्ली में ही जुलाई में मलेरिया के 39 मामले सामने आ चुके हैं।

By Mohit PareekEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 05:13 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 04:33 PM (IST)
मानसून में बुखार, कंपकंपी और पसीने आने का मतलब है इस बीमारी का खतरा!
मानसून में बुखार, कंपकंपी और पसीने आने का मतलब है इस बीमारी का खतरा!

नई दिल्ली, जेएनएन। बारिश होने के साथ मच्छर और मच्छर के काटने की वजह से होने वाली बीमारियों का आतंक भी बढ़ना शुरू हो गया है। दिल्ली में ही जुलाई में मलेरिया के 39 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं इस साल 27 जुलाई डेंगू के 34 मामले सामने आ चुके हैं। ये हाल सिर्फ दिल्ली का है, अगर पूरे देश की बात करें तो यह आंकड़ा काफी बढ़ गया है। ऐसे में मच्छर से बचना आवश्यक है ताकि मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों से बचा जा सके।

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कैसे होता है मलेरिया?

मलेरिया बुखार मादा मच्छर एनोफेलीज के काटने की वजह से होता है। मलेरिया के लक्षण हैं बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जी मचलना और उल्टी होना आदि। अगर आपके साथ भी ऐसी दिक्कत होती है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। खास बात ये है कि इस दौरान बुखार कम भी हो जाता है और फिर बढ़ जाता है। जानते हैं मलेरिया कितने तरह का होता है...

कितनी तरह का होता है मलेरिया?

प्लासमोडियम वाइवेक्स - इस मलेरिया के मरीज भारत समेत कई देशों में पाए जाते हैं। भारत में 60 फीसदी केस इसी टाइप के मलेरिया होते हैं। इसके लक्षण दस्त, थकान और बुखार है।

प्लासमोडियम ओवाले– यह प्रकार मुख्य रूप से ट्रॉपिकल वेस्ट अफ्रीका में पाए जाते हैं। यह बहुत कम लोगों में पाया जाता है।

प्लासमोडियम मलेरिया– यह प्रकार अमरीका, अफ्रीका और साउथ ईस्ट एशिया के ट्रॉपिकल जगहों पर होता है। यह बाकी प्रकार जैसा जानलेवा नहीं माना जाता है। इस मलेरिया प्रकार के लक्षण ठंड और तेज बुखार है।

प्लासमोडियम फेल्किपेराम– इस मलेरिया की वजह से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। यह मुख्य रूप से साउथ ईस्ट एशिया, साउथ अमरीका और अफ्रीका में होता है।  


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