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गलतफहमियों का शिकार होकर न करें घुटनों के दर्द को इग्नोर, बढ़ सकती है प्रॉब्लम

बढ़ती उम्र ही नहीं कैल्शियम की कमी से भी घुटनों में दर्द की शिकायत हो सकती है। लोगों के दिमाग में इसे लेकर कई तरह की बातें हैं जिस पर ध्यान देना जरूरी है। जानेंगे इनके बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 02:19 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 11:00 AM (IST)
गलतफहमियों का शिकार होकर न करें घुटनों के दर्द को इग्नोर, बढ़ सकती है प्रॉब्लम
गलतफहमियों का शिकार होकर न करें घुटनों के दर्द को इग्नोर, बढ़ सकती है प्रॉब्लम

घुटनों में लगातार रहने वाले दर्द के अनेक कारण हैं, जिनमें प्रमुख है गठिया (अर्थराइटिस), जिसके कई प्रकार होते हैं। सच तो यह है कि घुटनों में दर्द और घुटना प्रत्यारोपण के संदर्भ में लोगों में कई भ्रांतियां व्याप्त हैं, जिन्हें तथ्यों की रोशनी में दूर करना जरूरी है।

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1. मिथ: अगर घुटनों के जोड़ में कम दर्द हो, तब डॉक्टर के पास जाना जरूरी नहीं है। मालिश या पेनकिलर से दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।

तथ्य: घुटनों में दर्द की शुरुआत में ही डॉक्टर के पास जाने से इसे गंभीर होने से बचाया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह लिए बगैर किसी के भी कहने पर कोई दवाई या पेनकिलर न लें। इससे समस्या ठीक होने की बजाय बढ़ सकती है।

 

2. मिथ: घुटनों का ऑपरेशन तभी कराना चाहिए, अगर आपको बहुत ज्यादा दर्द हो या आपसे चला नहीं जा रहा हो। इससे पहले ऑपरेशन कराना जल्दबाजी होगी।

तथ्य: यह बिल्कुल गलत धारणा है। अगर डॉक्टर ने आपको सर्जरी की सलाह दी है, तो उसे समय रहते करा लेना चाहिए क्योंकि इससे जटिलताएं कम होती हैं और आप दर्द रहित जीवन बिताते हैं। कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि रोगी के देरी करने से उसकी सर्जरी करना नामुमकिन हो जाता है।

3. मिथ: सर्जरी कराने के बाद कई महीनों तक बिस्तर पर रहना पड़ता है।

तथ्य: ऐसा बिल्कुल नहीं है। आजकल मिनिमल इनवेसिव सर्जरी के कारण सर्जरी में एक छोटा चीरा लगता है। मरीज को सर्जरी के कुछ घंटों या फिर अगले दिन रोगी को सहारा देकर चलाया जाता है। रोगी की स्थिति को देखते हुए उसे तीन या चार दिनों में अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया जाता है।

4. मिथ: कृत्रिम घुटने, कुदरती घुटनों की तरह काम नहीं करते।

तथ्य: आजकल टेक्नोलॉजी ने इतनी तरक्की कर ली है कि जो घुटने लगाए जाते हैं, वह प्राकृतिक घुटनों की तरह ही काम करते है और आपको बिल्कुल भी असहज महसूस नहीं होता। आप सीढि़यां चढ़-उतर सकते है, ड्राइव कर सकते हैं और भी रोजमर्रा के काम करने में कोई तकलीफ नहीं होती।

5. मिथ: ऑपरेशन कराने के बाद भी घुटनों में दर्द रहता है और अगर ठीक भी रहे, तो कुछ ही सालों बाद घुटना दोबारा बदलवाना पड़ता है।

तथ्य: टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी का मुख्य काम ही आपकी जिंदगी को दर्दमुक्त करना है और रही बात दोबारा घुटने बदलवाने की तो आपको बताना चाहूंगा कि आजकल ऐसे इंप्लांट आ चुके है, जो बीस साल तक चलते हैं। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आपके घुटनों में दर्द की शुरुआत है या फिर आप कई सालों से दर्द झेल रहे है, तो तुरंत ऑर्थोपेडिक सर्जन से मिलें और समय पर अपना इलाज कराएं।


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