MyHappimess पहल के जरिए Fiama मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों को कर रहा है जागरूक
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर MyHappimess पहल के हिस्से के रूप में गायिका और गीतकार लिसा मिश्रा के साथ मिलकर ITC Fiama एक विशेष वीडियो लेकर आया है। यह वीडियो हर किसी से ,SayMoreThanOkay का आग्रह करता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक स्वास्थ्य भी एक मुद्दा है। हम जितनी इसकी उपेक्षा करेंगे यह समस्या उतनी ही बढ़ती जाएगी। हम अपनी फीलिंग्स, इमोशन्स और मूड्स आदि के बारे में आपस में बात करें। इसी सोच के साथ ITC Fiama ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर MyHappimess नाम से एक पहल की शुरुआत की है। इसका मकसद लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करता है कि वो अपनी भावनाओं, इच्छाओं और सोच के बारे में एक-दूसरे को बताएं।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर MyHappimess पहल के हिस्से के रूप में गायिका और गीतकार लिसा मिश्रा के साथ मिलकर ITC Fiama एक विशेष वीडियो लेकर आया है। यह वीडियो हर किसी से #SayMoreThanOkay का आग्रह करता है। इस वीडियो में हर कोई एक अनोखे अंदाज के साथ अपने इमोशन्स और मूड्स को दुनिया के सामने रखकर जश्न मना रहा है। इस वीडियो के जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि आप अपनी भावनाओं को दबाए नहीं, बल्कि सबके साथ बांटे। आप भी देखें ये वीडियो -
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भारतीयों के बदलते रवैये और व्यवहार को समझने के प्रयास में, प्रमुख बाजार अनुसंधान कंपनी, Nielsen के साथ ITC Fiama ने मानसिक स्वास्थ्य पर एक ऑनलाइन सर्वेक्षण का आयोजन किया। इस सर्वेक्षण में भारत के 15 शहरों के 18-45 वर्ष के 700 से अधिक पुरुषों और महिलाओं ने भाग लिया।
अध्ययन से पता चला कि 77% व्यक्तियों ने माना कि मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत पर्याप्त नहीं है। 87% ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य जैसा ही महत्वपूर्ण है। 80% से अधिक ने कहा कि लॉकडाउन ने उनकी मानसिक सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। लगभग चार युवा भारतीयों में से एक को लगता है कि मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा किशोरावस्था से ही शुरू हो जाता है। 25 साल से कम उम्र के 70% युवा भारतीयों के साथ मानसिक स्वास्थ्य और इस तरह के कई तथ्य सामने आए हैं। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए ITC Fiama ने NGO MINDS फाउंडेशन के सहयोग से MyHappimess पहल की शुरुआत की है। Fiama की यह पहल लोगों में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में जागरूकता को बढ़ाती है।
मानसिक स्वास्थ्य एक बहुत ही बड़ा विषय है, इसपर हर किसी को चर्चा करना चाहिए। हमारे अंदर उठने वाली फीलिंग्स और इमोशन्स को अगर हम दूसरों के साथ शेयर करते हैं, तो इससे हम मन में चलने वाली हलचल को शांत कर सकते हैं और जब मन शांत होता है, तो उसकी खुशी हमारे चेहर पर दिखाई देती है।