कोरोना से बचाव में इस्तेमाल होने वाली ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ दवा के बेअसर होने का दावा
कोरोना के मरीज के लिए संजीवनी बताई जाने वाली ये दवा जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति भी इस्तेमाल करते हैं क्लीनिकल ट्रायल में फेल हो गई।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवाई का इस्तेमाल देश और दुनिया में किया जा रहा था। इस दवा को मेडिकल जगत का एक वर्ग कोरोना वायरस के खिलाफ ‘संजीवनी’ बता चुका है। लेकिन मलेरिया की इस दवा के बारे में सूचना आई है कि ये दवा कोरोना के इलाज में बेअसर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना से बचने के लिए इस दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में कोरोना फाइटर्स को भी यह दवा दी जा रही है। इस बीच अमेरिका में ही हुए क्लीनिकल ट्रायल के बाद कहा गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) कोरोना वायरस के खिलाफ बेअसर है।
अमेरिकी यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा ने कोरोना वायरस के खिलाफ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) का क्लीनिकल ट्रायल किया। यह ट्रायल अमेरिका और कनाडा के 821 लोगों पर किया गया। इसके बाद यूनिवर्सिटी की टीम इस नतीजे पर पहुंची कि यह दवा कोविड-19 की रोकथाम में बेअसर है। इस बारे में न्यू इंग्लैंड जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का ट्रायल रैंडमली किया गया। इसमें कोरोना वायरस के मरीजों को फायदा नहीं हुआ। इस ट्रायल के बाद यह कहा जा सकता है कि यह दवा कोविड-19 के खिलाफ असरदार नहीं है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने 'एचसीक्यू' के परीक्षण को फिर मंजूरी दे दी है। अब परीक्षण चौकाने वाला लग रहा है।
आपको बता दें कि मई के महीने में अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा मांगी थी। पहले तो भारत ने इस दवा के निर्यात पर रोक लगा रखी थी, अमेरिका और अन्य देशों की मांग के बाद इस रोक को हटा दिया गया। भारत ने यह दवा अमेरिका के अलावा कई अफ्रीकी और एशियाई देशों को दी थी। भारत में आईसीएमआर ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे मेडिकल जगत के कर्मचारियों से लेकर सुरक्षाबलों तक को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन देने की सिफारिश की है। उसका कहना है कि इससे कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
Written By Shahina Noor