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Yellow Fungus: ब्लैक या वाइट फंगस से कैसे ज़्यादा ख़तरनाक हो सकता है येलो फंगस?

Yellow Fungus अब तकइन संक्रमण के आठ हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि इन दो संक्रमणों के अलावा अब एक तीसरा संक्रमण भी देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में ब्लैक और वाइट फंगस के बाद अब येलो फंगस (पीला फंगस) का मामला भी सामने आया है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 10:20 AM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 10:20 AM (IST)
Yellow Fungus: ब्लैक या वाइट फंगस से कैसे ज़्यादा ख़तरनाक हो सकता है येलो फंगस?
ब्लैक या वाइट फंगस से कैसे ज़्यादा ख़तरनाक हो सकता है येलो फंगस?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Yellow Fungus: जानलेवा कोरोना वायरस महामारी के बीच भारत इस वक्त इसके कारण हो रहीं दूसरी ख़तरनाक बीमारियों से भी जूझ रहा है। देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस और हाल ही में वाइट फंगस के मामले बढ़ते जा रहे हैं, दोनों इंफेक्शन पर्यावरणीय में मौजूद फफूंद और अस्वच्छ स्थितियों के कारण फैलते हैं।

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अब तक भारत में इन संक्रमण के आठ हज़ार से ज़्यादा मामले आ चुके हैं। हालांकि, इन दो संक्रमणों के अलावा अब एक तीसरा संक्रमण भी देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में ब्लैक और वाइट फंगस के बाद अब येलो फंगस (पीला फंगस) का मामला भी सामने आया है। 

कैसे ज़्यादा ख़तरनाक है येलो फंगस?

विशेषज्ञों का सुझाव है कि पीले कवक संक्रमण, दो अन्य संक्रमणों के विपरीत, शरीर के आंतरिक अंगों को प्रभावित करने के तरीके के कारण बहुत अधिक डरावना हो सकता है। दो अन्य संक्रमणों से बिल्कुल विपरीत, येलो फंगस आंतरिक रूप से शुरू होता है, पस के रिसाव का कारण बनता है, घावों धीरे भरते हैं, और गंभीर मामलों में, अंग विफलता और तीव्र नेक्रॉसिस जैसे विनाशकारी लक्षण भी पैदा कर सकता है। इसलिए मरीज़ को जैसे ही लक्षण दिखने शुरू हों, उन्हें बिना वक्स गवांए फौरन मेडिकल मदद लेनी चाहिए।

येलो फंगस के बारे में हम क्या जानते हैं?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, येलो फंगस का पहला मामला उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में देखा गया है। हालांकि, इस मामले के बारे में बहुत अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि येलो फंगस, वाइट और ब्लैक फंगस की तुलना में कहीं अधिक ख़तरनाक हो सकता है। 

ये संक्रमण कैसे होता है?

यह जानना ज़रूरी है कि इस तरह के अधिकांश फंगल संक्रमण अस्वच्छ स्थितियों के कारण शुरू होते हैं- खराब स्वच्छता, दूषित संसाधन (जिसमें भोजन भी शामिल है), या ज़रूरत से ज़्यादा स्टेरॉयड लेना, एंटीबैक्टीरियल दवाएं या खराब ऑक्सीजन का उपयोग।

वे मरीज़ जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं और वे जो प्रतिरक्षा को कम करने वाली दवाएं ले रहे हैं, उनमें इस तरह के संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।

येलो फंगस के लक्षण क्या हैं?

ब्लैक और येलो फंगस संक्रमण के लक्षण परेशान कर देने वाले हैं। जिनकी वजह से चेहरा ख़राब हो सकता है और भयानक सूजन भी आ सकती है। येलो फंगस इन दोनों फंगस से ज़्यादा ख़तरनाक इसलिए है, क्योंकि शरीर के अंदर से फैलना शुरू होता है और शुरुआत में कई तरह के लक्षण पैदा कर सकता है।

इस संक्रमण के आम लक्षण हैं:

थकावट

ये फंगल इंफेक्शन शरीर के अंदर फैलना शुरू होता है, जिसकी वजह से अंगों पर दबाव पड़ता है और आप भयानक थकावट महसूस करते हैं। इसकी वजह से तीव्र सुस्ती और थकावट महसूस हो सकती है।

भूख न लगना

शरीर में येलो फंगस के फैलने की वजह से आपके पाचन को भी बिगाड़ सकता है। अचानक मरीज़ में भूख न लगने जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।

वज़न घटना, खराब चयापचय

मेटाबॉलिक परिवर्तन भी इस वक्त एक ऐसा लक्षण है, जिसपर नज़र रखने की ज़रूरत है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अचानक वज़न कम होने पर भी एक व्यक्ति को जांच ज़रूर करवानी चाहिए। खासतौर पर अगर फंगल इंफेक्शन से जुड़े और लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

धंसी हुई आंखें

चेहरे का ख़राब होना काले फंगस का एक ख़ास लक्षण है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ येलो फंगल के गंभीर मामलों में मरीज़ को आंखों का लाल होना और धंसा हुआ दिखना, घावों का धीरे ठीक होना और अंत में गल जाना जैसी मुश्किलों से गुज़रना पड़ता है। वहीं, कुछ गंभीर मामलों में पस का निकलना भी देखा जा सकता है।

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

येलो, ब्लैक या वाइट फंगस कोई नए या असामान्य तरह के फंगस नहीं हैं। ये पहले से मौजूद हैं। इस वक्त  Amphotericin B इंजेक्शन, जो एक ऐंटिफंगल दवा है, संक्रमण से लड़ने के लिए एकमात्र ज्ञात इलाज है।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।


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