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Deworming In Children: खतरनाक हो सकते हैं बच्चों के पेट में पल रहे कीड़ें, ऐसे पाएं इनसे छुटकारा

Deworming In Children बच्चों के शरीर में ये परजीवी पहुंचकर अपनी संख्या को मिनटों में कई गुना बढ़ा लेते हैं। यह न सिर्फ शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर कर देते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 04:59 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 04:59 PM (IST)
Deworming In Children: खतरनाक हो सकते हैं बच्चों के पेट में पल रहे कीड़ें, ऐसे पाएं इनसे छुटकारा
बच्चों के पेट में कीड़े उनकी सेहत को बेहद खराब कर सकते हैे।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। बच्चों के पेट में कीड़ें होना सामान्य बात है, लेकिन इन कीड़ों का बच्चों के पेट में टिके रहना बहुत घातक भी हो सकता है। कई तरह के ऐसे परजीवी होते हैं जो बच्चों के पेट में तब तक अपना बसेरा बनाए रखते हैं जब तक कि उन्हें मारा न जाए। इन परजीवियों को बच्चों के पेट में बसेरा होने की बात सुनकर ही अजीब लगता है लेकिन छोटे बच्चों में यह सामान्य बात है। किशोरावस्था तक ये परजीवी पीछा नहीं छोड़ते। बड़े लोगों पर भी इन परजीवियों का हमला होते रहता है। हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों को ये परजीवी परेशान करते हैं। इन कीड़ों की उपस्थिति हर सार्वजनिक जगहों पर होती है। ये परजीवी शरीर में पहुंचकर अपनी संख्या को मिनटों में कई गुना बढ़ा लेते हैं। यह न सिर्फ शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर कर देते हैं। यहां तक कि कई क्रोनिक बीमारियों को भी जन्म दे सकते हैं। आइए जानते हैं कहां-कहां इन कीड़ों के होने की आशंका है, और बच्चों में कीड़े लग जाने के बाद इसके क्या-क्या लक्षण है। साथ ही इससे कैसे छुटकारा पाया जाए।

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कहां-कहां बच्चे इन कीड़ों से संक्रमित हो सकते हैं?

कोई भी फूज जिसे अच्छी तरह से साफ नहीं किया गया हो या जो खुला हो, उन सामग्री को ये कीड़े दूषित कर सकते हैं। ऐसा होना सामान्य बात है। बच्चे खाने की चीजों पर बिना कुछ सोचे टूट पड़ते हैं। इसलिए बच्चे को खाना खिलाते समय सतर्कता बरतनी चाहिए।

  • दूषित जल से सबसे ज्यादा बच्चों में कीड़ें लगने की आशंका रहती है। इसलिए बच्चों को साफ पानी ही दें।
  • पूअर हाइजीन भी बच्चों में कीड़ें लगने की वजह है।
  • आसपास के दूषित वातावरण में हर जगह ये परजीवी मौजूद रहते हैं।
  • कच्चा मीट या कम पके हुए मीट में असंख्य परजीवी छिपे रहते हैं।
  • मिट्टी में इनकी संख्या बहुत अधिक होती है। इसलिए जब बच्चा मिट्टी में खेलता है तो वहां ये परजीवी बच्चों तक किसी न किसी माध्यम से पहुंच जाते हैं।
  • पालतू जीवों से भी परजीवी के बच्चों में प्रवेश की आशंका रहती है।

परजीवी के हमले के बाद बच्चों में इसके लक्षण

  • बच्चों में शरीर के पीछे नितंबों पर चकते निकल जाना।
  • पेट में दर्द करना।
  • उल्टी होना।
  • डायरिया हो जाना,
  • कॉन्सटीपेशन
  • वजन कम होना
  • भूख न लगना
  • थकान
  • कमजोरी, स्टूल में ब्लड, जल्दी-जल्दी यूरिन आना, एनीमिया इत्यादि कीड़े लगने के लक्षण हैं।

इसके उपाय क्या हैं

  • प्रत्येक छह महीनों पर बच्चों को कीड़े की दवाई देनी चाहिए।
  • डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक दवाई का इस्तेमाल करें।
  • अगर टैबलेट या सीरप से आराम नहीं मिल रहा तो बच्चों के स्टूल का टेस्ट कराएं।
  • कुछ मामलों में अल्ट्रासाउंड भी करना पड़ती है।
  • इन सबसे बचने के लिए बच्चों की साफ सफाई और हाइजीन पर अत्यधिक ध्यान दें। बच्चों के नाखून को नियमित रूप से छोटे रखें। 

                     Written By: Shahina Noor


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