अगर आपके बच्चे भी करते हैं खाने में मनमानी, तो इन आदतों को अपनाकर रखें उन्हें हेल्दी
हर मां अपने बच्चों को पौष्टिक आहार देना चाहती है लेकिन वे अकसर मनमानी करते हैं। इस समस्या से बचने का एकमात्र तरीका यही है कि उनमें शुरू से ही खानपान की स्वस्थ आदतें विकसित की जाएं।
बच्चे खाने को लेकर पेरेंट्स को बहुत परेशान करते हैं। वे फलों और हरी-सब्जि़यों के नाम से ही दूर भागते हैं। आजकल अधिकतर मम्मियां बच्चों की ऐसी आदतों से परेशान रहती हैं। तो क्या है इस समस्या का समाधान, आइए जानते हैं इसके बारे में।
शुरुआत हो सही
अगर बच्चे हेल्दी चीज़ें नहीं खाना चाहते तो इसके लिए उन्हें दोषी ठहराना गलत है। बच्चों की जीभ में मौज़ूद टेस्ट बड्स को उन्हीं चीज़ों का स्वाद पसंद आता है, जिनसे वे छोटी उम्र में ही परिचित हो जाते हैं। आपने भी देखा होगा कि कुछ बच्चे बाज़ार में बिकने वाले कार्बोनेटेड ड्रिंक्स के बजाय ताज़े फलों का जूस पीना पसंद करते हैं। आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल जिन घरों के फ्रिज में ऐसी नुकसानदेह चीज़ें नहीं होतीं, वहां रहने वाले बच्चों को इनका स्वाद पता नहीं होता और उन्हें इसकी आदत भी नहीं लगती।
जब से शिशु दूध के अलावा अन्य प्रकार के ठोस आहार लेना शुरू करता है, तभी से उसे वैसी सही पौष्टिक चीज़ें देनी चाहिए, जिसे परिवार के अन्य सदस्य खाते हैं। मसलन, दाल-चावल, रोटी-सब्ज़ी, फल, अंडा, चिकेन और ड्राई फ्रूट्स। दरअसल ट्रेडिशनल भारतीय थाली में वे सारे पोषक तत्व संतुलित मात्रा में मौज़ूद होते हैं, जो बच्चों शारीरिक विकास के लिए आवश्यक माने जाते हैं। हर परिवार में बड़ों को देखकर ही बच्चे अच्छी या नुकसानदेह चीज़ें खाना सीखते हैं। छह माह की उम्र के बाद शिशु अकसर अपने पेरेंट्स की प्लेट से खाना उठा कर खाने की कोशिश करता है तो उसे कभी भी रोकना नहीं चाहिए, (बशर्ते आपकी प्लेट में मिर्च न हो) इससे बच्चे में सहज ढंग से हेल्दी चीज़ें खाने की आदत विकसित होगी।
चुनें सही विकल्प
स्कूली बच्चों को ब्रेकफस्ट, लंच और डिनर के बीच में भी मंचिंग की इच्छा होती है। उम्र के इस दौर में बच्चों का शारीरिक-मानसिक विकास तेज़ी से हो रहा होता है, इसलिए बीच में जब भी उन्हें भूख लगे तो उनके लिए हमेशा ऐसी चीज़ों का चुनाव करना चाहिए, जो स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद हो। मसलन, फ्रूट सैलेड, फ्रेश जूस, मिक्स वेज सैंडविच, पोहा, ढोकला और इडली आदि। न्यूट्रिशनिस्ट शीला कृष्णास्वामी के अनुसार, 'ड्राई फ्रूट्स पारंपरिक भारतीय खानपान का ज़रूरी हिस्सा हैं, जिसे अब लोग भूलते जा रहे हैं। बच्चों को बीच में जब भी कुछ खाने की इच्छा हो तो वेफर्स, बिस्किट जैसे चीज़ों के बजाय आप उसे मुटठी भर ड्राई फ्रूट्स खाने को दें। वैसे तो हर तरह के मेवे पौष्टिक गुणों से भरपूर होते हैं लेकिन स्कूली बच्चों के लिए बादाम विशेष रूप से फायदेमंद होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड के अलावा कई ऐसे माइक्रो न्यूट्रिएंट तत्व पाए जाते हैं, जो ब्रेन के विकास के लिए ज़रूरी माने जाते हैं। बादाम उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मज़बूत बनाता है।
अगर आप बच्चों में स्वस्थ आदतें विकसित करना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाएं, तभी बच्चे भी सेहत के प्रति जागरूक बनेंगे।
यह भी न भूलें
1. अपने फ्रिज में वैसी भी कोई चीज़ न रखें, जो सेहत के लिए नुकसानदेह होती है।
2. माता-पिता बनने के बाद बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए अपने खानपान की आदतों में भी बदलाव लाएं।
3. नमकीन, बिस्किट और वेफर्स की जगह बच्चों काजू, किशमिश, बादाम, मुनक्का और खुबानी जैसे ड्राई फ्रूट्स खाने को दें। इसी तरह कार्बेनेटेट ड्रिंक्स की जगह लस्सी या घर में निकाला गया फ्रेश जूस जैसी चीज़ें दें।