COVID-19 and Fever: कोरोना को मात देने के बाद कब तक रह सकता है बुखार, जानिए कारण
COVID-19 and Fever बुखार कम करने के लिए मरीजों को पैरासिटामॉल एंटीबायोटिक और स्टोरॉइड की डोज देना पड़ती है। यह दवाईयां इम्यूनिटी कमजोर करती हैं। मरीजों को जब स्टेरॉइड देना बंद किया जाता है तो पुराने या फिर नए इंफेक्शन उभरने से बुखार हो जाता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस का शिकार हुए मरीज़ों को पॉजिटिव होने के 5-7 दिनों तक बुखार आता है। कुछ लोगों को बुखार 8-14 दिनों तक भी रहता है। बुखार कम करने के लिए मरीजों को पैरासिटामॉल, एंटीबायोटिक और स्टोरॉइड की डोज देना पड़ती है। स्टेरॉइड की वजह से बुखार कम हो जाता है लेकिन बाकी इंफेक्शन बॉडी में बने रहते हैं। यह दवाईयां इम्यूनिटी कमजोर करती हैं। मरीजों को जब स्टेरॉइड देना बंद किया जाता है तो पुराने या फिर नए इंफेक्शन उभरने से बुखार हो जाता है। आइए जानते हैं कि कोरोना को मात देने के बाद बुखार आने के कौन-कौन से कारण है और यह बुखार कितने दिनों तक रह सकता है।
- कोरोना को मात देने के 15-30 दिनों तक अगर आपको 99 या इससे नीचे बुखार रहें तो परेशान नहीं होइए। बुखार लगातार आ रहा है तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
- अगर बुखार 100 से ऊपर 3 दिनों से ज्यादा समय तक रहे तो आप गंभीरता से इलाज करें। बुखार के साथ-साथ दूसरे लक्षणों पर भी ध्यान दें। गर्मी के दिनों में मच्छरों के काटने से भी मलेरिया जैसी बीमारी हो सकती है। अगर बुखार की वजह से सर्दी लग करही है तो यह मलेरिया की निशानी है।
- कुछ लोगों को 99 डिग्री पर भी फीवर जैसा महसूस होता है ऐसा बारिश में भीगने की वजह से भी हो सकता है। ऐसे में मरीज़ को इलाज से ज्यादा आराम की जरूरत होती है।
कोरोना से ठीक होने के बाद बुखार आने की अन्य वजह है
फिर से इंफेक्शन का उभरना:
बीमारी के दौरान एंटीबायोटिक देने से इंफेक्शन खत्म नहीं होता। मरीज़ों को इलाज के दौरान जब स्टेरॉइड देना बंद किया जाता है तो पुराने या फिर नए इंफेक्शन उभरने से फिर से बुखार आता है।
बैक्टीरियल इंफेक्शन:
टाइफाइड या फिर न्यूमोनिया का इंफेक्शन अमूमन हमारी बॉडी में मौजूद ही रहते हैं। दवाईयों के सेवन से इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है, जैसी ही बॉडी कमजोर होती है फौरन ही बैक्टीरियल इंफेक्शन ज़ोर पकड़ने लगता है जिसकी वजह से बुखार आता है।
फंगल इंफेक्शन:
कोरोना से उभरने वाले मरीज़ों में ब्लैक फंगस यानि म्यूकरमाइकोसिस की परेशानी जोर पकड़ रही है। इस बीमारी की वजह से भी मरीज़ को बुखार आने लगता है। हालांकि इस फंगल इंफेक्शन के और भी कई लक्षण है जैसे आंखें लाल होना, सिर दर्द, दांत या जबड़े में दर्द, नाक से काला बलगम निकलना और आंखे लाल होना शामिल है।
किडनी इंफेक्श:
किडनी में इंफेक्शन पेशाब की थैली तक फैलता है तो आमतौर पर बुखार नहीं होता। अगर यह इंफेक्शन प्रोस्टेट में फैल चुका होता है तो बुखार आ सकता है।
लीवर की परेशानी:
इम्यूनिटी मजबूत करने में लीवर का अहम किरदार है। यह भोजन को पचाने में अहम रोल निभाता है। लिवर की परेशानी बढ़ने की वजह से भी कई बार बुखार आता है।
Written By: Shahina Noor