गैजेट्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल दे सकता है सेहत से जुड़ी कई सारी समस्याएं
स्मार्टफोन और लैपटॉप की अब आदत सी हो गई है लेकिन क्या आपको पता है कि रात को सोने से कम से कम एक घंटा पहले मोबाइल को अपने से दूर कर देना चाहिए अन्यथा सेहत से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
रात में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से नींद से जुड़ी कई बीमारियां घेर लेती हैं। गैजेट्स का इस्तेमाल हमारे काम को आसान बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन अगर आप इन्हें जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो कई बीमारियां भी हो सकती है।
इम्सोनिया
गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल करने में जो सब से अहम बीमारी हो सकती है वह है इम्सोम्निया यानी अनिद्रा। अगर आप जरूरत से ज्यादा गैजेट्स का इस्तेमाल कर रही है तो यह आप के लिए इन्सोम्निया की पहली कड़ी साबित हो सकता है।
कर सकती हैं।
टैक्स्चर नैक
टैक्स्चर नैक सिंड्रोम उन लोगों को होता है जो स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट्स का इस्तेमाल करते समय गर्दन नीचे की और झुका कर रखती है। अगर यह सिंड्रोम बढ़ गया है तो गर्दन की मसल्स इसी पोजीशन को अडॉप्ट कर लेंगी और गर्दन सीधी करने में परेशानी होगी।
कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
हमारी आंखों की बनावट ऐसी नहीं है कि हम किसी भी एक प्वाइंट पर घंटों देखते रहें और आंखों को कोई नुकसान न पहुंचें। घंटों कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते रहने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो सकता है। इस में आंखों में थकान, इचिंग, रेडनेस और धुंधला दिखाई देने की समस्या हो सकती है।
टोस्टेड स्किन सिंड्रोम
आजकल लैपटॉप पर ज्यादा काम करना आम बात हो गई है। अगर आप लैपटॉप को जररूत से ज्यादा अपनी गोद में रखती हैं। तो इस से स्किन डिसऑर्डर हो सकता है। लैपटॉप से हमेशा गरम हवा निकलती है। ज्यादा इस्तेमाल से स्किन सूख जाती है। अगर आप की स्किन सेंसिटिव है तो उस का कलर बदल जाएगा और खुजली भी हो सकती है।
सुनने में समस्या
ईयरफोन का इस्तेमाल आप बहुत ज्यादा करती हैं तो सुनने में दिक्कत हो सकती है। यह आदत आप के सुनने की क्षमता खराब कर सकती है।
रैडिएशन इफैक्ट
मोबाइल फोन से ऐसा रेडिएशन नहीं आता कि आप को कैंसर हो जाए, लेकिन फिर भी यह हेल्थ से जुड़े कई मामलों में असर डालता है। यह मेंटल स्ट्रेस से लेकर इन्सोम्निया तक कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
स्ट्रैस
आरएसआई या रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजुरी ज्यादातर उन लोगों को होती है जो कंप्यूटर पर हर दिन घंटों कम करते हैं। इसी के साथ, जो लोग ज्यादा टैक्स्टिंग करते हैं वे भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इस इंजरी में हाथों में निशान पड़ जाते हैं। ऐसा अक्सर टाइपिंग के समय होता है। जब पंजों के नीचे निशान दिखने लगते हैं।
Pic credit- pexels