मंत्री का मर्डर करने वाले पुलिसकर्मी को है Bipolar Disorder, जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ
Bipolar Disorder कई ऐसी मानसिक बीमारियां हैं जिनके बारे में कम लोग जानते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह एक दुर्लभ बीमारी है। आइए जानें ऐसी ही एक बीमारी बायपोलर डिसऑर्डर के बारे में और किन लोगों को इसका ख़तरा ज़्यादा होता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Bipolar Disorder: ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब दास की एक पुलिस कर्मचारी ने रविवार को गोली मारकर हत्या कर दी। नब दास एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे, कि तभी ASI गोपाल दास ने बेहद नजदीक से उन पर फायरिंग कर दी। जिसके बाद इलाज के दौरान मंत्री की मौत हो गई। अब बताया जा रहा है कि गोपाल दास बायपोलर डिसऑर्डर नाम की मानसिक बीमारी से पीड़ित है। आपको बता दें कि यह कोई दुर्लभ बीमारी नहीं है, बल्कि भारत में 150 में से एक व्यक्ति बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित है।
तो आइए जानें आखिर क्या होता है बायपोलर डिसऑर्डर
क्या है बायपोलर डिसऑर्डर
बायपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है, जिसमें मूड मेनिया से अवसाद तक तेज़ी से बदलता है। बायपोलर डिसऑर्डर को मैनेज करना बेहद मुश्किल होता है, लेकिन सही इलाज से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। बायपोलर डिसऑर्डर कोई दुर्लभ स्थिति नहीं है। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार, दुनियाभर में 4.6 करोड़ लोग इस डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। इस स्थिति को मेनिक डिप्रेशन और बायपोलर बीमारी के नाम से भी जाना जाता था।
बायपोलर डिसऑर्डर के अहम लक्षणों में:
- मूड ज़रूरत से ज़्यादा अच्छा रहना
- मूड बेहद खराब रहना, या अवसाद
- यह एपिसोड कुछ दिनों से लेकर कई हफ्तों लंबा चल सकता है
बायपोलर डिसऑर्डर के बाकी लक्षण
बायपोलर का निदान तभी होता है, जब व्यक्ति मेनिया या हाइपोमेनिया के कम से कम एक एपिसोड का अनुभव करता है। इन दोनों में व्यक्ति उत्साहित, आवेगी और ऊर्जा से भरा महसूस कर सकता है, लेकिन हाइपोमेनिया, मेनिया के मुकाबले कम गंभीर होता है। मेनिया के लक्षण आपकी रोज़ मर्रा की ज़िंदगी, ऑफिस या घर को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। वहीं, हाइपोमेनिया के लक्षण, तबाही नहीं मचाते लेकिन मरीज़ के लिए स्ट्रेसफुल हो जाते हैं। बायपोलर डिसऑर्डर के तीन अहम लक्षण होते हैं- मेनिया, हाइपोमेनिया और अवसाद।
मेनिया और हाइपोमेनिया
मेनिया के अपिसोड में अक्सर व्यक्ति भावनात्मक तौर पर उच्च महसूस करता है। इसमें उत्साह, ऊर्जा चरम पर होती है, व्यक्ति बेहद खुश होता है। इस दौरान कई लोग हैलूसीनेशन या याइकोसिस के दूसरे लक्षणों का अनुभव भी करते हैं। इस दौरान व्यक्ति आवेग में आकर कुछ भी कर लेता है, जैसे:
- ज़रूरत से ज़्यादा शराब पी लेना या ड्रग्ज़ का इस्तेमाल कर लेना
- शॉपिंग पर निकल जाना और खूब खर्चा कर लेना
- अचानक नौकरी छोड़ देना
- बिना किसी को बताए ट्रिप पर निकल जाना
- कहीं पैसा लगा देना
- तेज़ी से ड्राइव करना
हाइपोमेनिया में कई लक्षण मेनिया जैसे ही होते हैं, बस इनकी गंभीरता कम होती है। हाइपोमेनिया में व्यक्ति का ऑफिस, स्कूल या फिर रिश्ते प्रभावित नहीं होते। इस दौरान व्यक्ति प्रोडक्टिव और ऊर्जा से भरा महसूस कर सकता है, लेकिन मूड में बाकी बदलावों पर उसका ध्यान नहीं जाता। जो लोग आपको करीब से जानते हैं, वे आपके ऊर्जा के स्तर और मूड में बदलाव को देख सकते हैं।
बच्चों में मेनिया के लक्षण
- अजीब व्यवहार करना और फिर बेहद खुश महसूस करना
- जल्दी-जल्दी बात करना और सब्जेक को तेज़ी से बदलते रहना
- फोकस करने में दिक्कत आना
- गुस्सा जल्दी आना
- नींद पूरी होने में दिक्कत आना और फिर भी थकावट न महसूस होना
बच्चों में अवसाद के लक्षण
घर पर इधर-उधर पड़े रहना, दुखी रहना या अक्सर रोना
ज़रूरत से ज़्यादा सोना या कम सोना
आम एक्टिविटीज़ में कम या बिल्कुल दिलचस्पी न दिखाना
हर वक्त बीमार महसूस करना, जिसमें सिर दर्द या पेट दर्द शामिल है
बेकार महसूस करना
ज़्यादा या कम खाना
मौत या आत्महत्या के बारे में सोचना
मेनिया के आम लक्षण जो टीनएजर्स में दिखते हैं
बेहद खुश रहना
दुर्व्यवहार करना
ऐसी आदत जिसके गंभीर नकुसान हो सकते हैं, जैसे ड्रग्ज़ का उपयोग
यौव संबंध बनाने की इच्छा कहीं ज़्यादा होना
सोने में दिक्कत आना, लेकिन फिर भी थकावट या कमज़ोरी महसूस न होना
जल्दी गुस्सा आ जाना
फोकस बनाए रखने में दिक्कत आना या आसानी से ध्यान भंग हो जाना
किन लोगों में बढ़ जाता है बायपोलर डिसऑर्डर का ख़तरा?
परिवार में इतिहास
अगर आपके मां-बाप या भाई-बहन को बाइपोलर डिसऑर्डर है, तो आप भी इस स्थिति के शिकार हो सकते हैं। अगर आपके पैरेंट्स को यह समस्या है, तो आपके इससे पीड़ित होने का जोखिम 10 से 25 फीसदी बढ़ जाता है।
आपका दिमाग
आपकी मस्तिष्क संरचना बाइपोलर डिसऑर्डर के विकास के आपके जोखिम को प्रभावित कर सकती है। ब्रेन केमिस्ट्री में अनियमितताएं या फिर मस्तिष्क की संरचना या काम इस जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
वातावरण से जुड़े कारक
ऐसा नहीं है कि आपके शरीर में किसी तरह की दिक्कत के कारण ही यह डिसऑर्डर होता है। इसमें दूसरे कारण भी बड़ी वजह बनते हैं जैसे:
- ज़रूरत से ज़्यादा तनाव
- दर्दनाक अनुभव
- कोई बीमारी
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।