कोरोना से बचने के लिए स्कूल के बच्चे भी कर रहे हैं नए-नए आविष्कार
कोरोना से बचाव हम सब की जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को निभाने में विद्यार्थियों ने भी निभाई अहम भूमिका। बिना टच किए चलने वाली डोर बेल से कोरोना फैलने का खतरा नहीं होगा।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, लेकिन जरूरी नहीं है कि ये आविष्कार बड़े-बड़े तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों द्वारा ही किए जा रहे हों। अगर प्रतिभा और रचनात्मक कौशल हो तो किसी भी स्कूल के बच्चे और किसी भी उम्र के लोग बड़े-बड़े आविष्कार कर सकते हैं।
हमारे देश में भी इस समय ऐसा ही हो रहा है। हर तरफ कोरोना का खौफ फैला हुआ है। हर जगह लॉकडाउन है, लेकिन स्कूल के वैज्ञानिक बच्चे इस लॉकडाउन का भरपूर इस्तेमाल रचनात्मक कौशल के साथ कर रहे हैं। इन बच्चों में किसी ने बिना टच वाली डोर बेल बनाई है तो किसी ने लकड़ी में इंटरफेस का इस्तेमाल कर वेंटिलेटर तक बना डाला है।
दिल्ली के शालीमार बाग में मॉडर्न पब्लिक स्कूल के 11वीं के छात्र सार्थक जैन ने बिना टच वाला डोर बेल बनाया है। यह ऑटोमैटिक टचलेस डोरबेल है, जिसका नाम उसने अर्रड्यूनो रखा है। इसमें अल्ट्रासोनिक सेंसर लगा हुआ है, जिससे घर में पहुंचने के लिए किसी को डोरबेल बजाना नहीं पड़ता है, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा न के बराबर रहता है।
सार्थक ने बताया कि डोरबेल हमारे दैनिक जीवन का वह हिस्सा है, जिसकी जरूरत लगातार पड़ती रहती है। डोरबेल कोरोना संक्रमण का वाहक हो सकती है। इसलिए हमने ऐसा डोरबेल बनाया है, जिसे छूने की जरूरत नहीं है। अर्रड्यूनो में ओपन सोर्स इलेक्ट्रॉनिक प्रोटोटाइप प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें डोरबेल की जगह पर यदि व्यक्ति 30 से 50 सेंटीमीटर की दूरी पर भी हो तो सेंसर के माध्यम से उसकी उपस्थिति दर्ज हो सकती है और घर के अंदर बजर बजना शुरू हो जाता है। इसमें व्यक्ति को डोरबेल छूने की कोई जरूरत नहीं है। बस उसे सिर्फ वहां खड़ा होना पड़ता है। उम्मीद की जा रही है कि इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होगा।
Written By Shahina Noor