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Stay Home Stay Empowered: वर्क फ्रॉम होम में आपके इन पॉजिटिव व्यवहार से बच्चे बनेंगे परफॉर्मर

अगर आप घर में सकारात्मक बने रहते हैं तो बच्चों में भी पॉजिटिविटी का संचार होता है और उनके व्यक्तित्व का संजीदा और स्वस्थ विकास होता है। ऐसे माहौल में बच्चे मोटिवेट होते हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 11:17 AM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 04:05 PM (IST)
Stay Home Stay Empowered: वर्क फ्रॉम होम में आपके इन पॉजिटिव व्यवहार से बच्चे बनेंगे परफॉर्मर
Stay Home Stay Empowered: वर्क फ्रॉम होम में आपके इन पॉजिटिव व्यवहार से बच्चे बनेंगे परफॉर्मर

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। कोरोना वायरस के इस कहर के बीच ‘वर्क फ्रॉम होम’ का अनुभव अधिकांश लोगों के लिए बिल्कुल अलहदा है, जब पूरा परिवार चौबीसों घंटे एक साथ घर पर है। वरना, आज की इस भागमभाम में बच्चों के साथ वक्त बिताना किसी लग्जरी की तरह हो गया है। वैसे, घर से काम करने की अपनी मुश्किलें भी हैं, जो छोटे बच्चों की उपस्थिति में थोड़ी बढ़ जाती हैं।

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हालांकि, अगर आप घर में सकारात्मक बने रहते हैं तो बच्चों में भी पॉजिटिविटी का संचार होता है और उनके व्यक्तित्व का संजीदा और स्वस्थ विकास होता है। ऐसे माहौल में बच्चे अच्छे काम के लिए मोटिवेट होते हैं। याद रहे कि बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास परिवार की संरचना और माहौल पर ही निर्भर करता है। ऐसे में हमें उन्हें डांटने के बदले उनके व्यवहार की रचनात्मक आलोचना करनी चाहिए। यानी, उत्तेजित हुए बिना उन्हें बताना चाहिए कि इस व्यवहार या रिएक्शन में अगर वे अमुक बदलाव कर लेते तो उन्हें यह लाभ होता।

इसके अलावा, सही काम पर उनकी तारीफ करने से बच्चे अधिक ऊर्जावान और उत्साहित महसूस करते हैं। इससे उनकी कार्यक्षमता काफी बढ़ जाती है। आपको याद रखना चाहिए कि सफलता और असफलता में महज कुछ फीसद का फर्क होता है। आपके प्रोत्साहक व्यवहार से बच्चों का परफॉर्मेंस अगर 20-30 फीसदी भी बढ़ जाता है तो उन्हें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। आखिर, आपका सपना भी तो यही है।

वह कहें जो आप उन्हें करते देखना चाहते हैं

यूनीसेफ के विशेषज्ञ कहते हैं कि आपके बच्चे क्या करना चाहते हैं, यह बताते समय सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करें, जैसे उनसे यह न कहें कि गंदगी न फैलाओ, इसके बजाए उनसे कहें कि अपने खिलौनों को दूर रखो। एएसआईएसी के सेक्रेटरी-ट्रेजरर और हडर्ड हाईस्कूल के प्रिंसिंपल के वी विंसेंट कहते हैं कि बच्चों को पॉजिटिव दुनिया से रूबरू कराइए। उन्हें बेहतर किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें, भले ही वे उनकी कोर्स बुक न हो। वह यू-ट्यूब पर या टीवी पर भी अगर कुछ पॉजिटिव, इंर्फोमेटिव देख रहे हों तो उनको बार-बार टोकिए मत। कई बार आप ये सोचेंगे कि क्या इस बात को बच्चे समझेंगे, लेकिन ध्यान रखें कि आप ही उन्हें सबसे बेहतर जानते हैं, वैसे ही उनसे संवाद करें। 

एम्स के मनोचिकित्सक डॉ नंद कुमार कहते हैं कि बच्चों के मन में यदि मौजूदा माहौल और कोरोना को लेकर डर भरा है तो उसे दूर करना हमारी जिम्मेदारी है। संभव है कि बच्चे कई बार एक ही सवाल पूछे। ऐसे में यदि आप अपने उत्तरों को शांत तरीके से देंगे तो उनको आश्वासन मिलता है। हमेशा सवालों के जवाब सच्चाई से दें। मुख्य तौर पर आपको उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत और पॉजिटिव एट्टीट्यूड वाला बनाना है। ऐसा तभी संभव होगा, जब आप उन्हें जानकारी देंगे और लगातार संवाद करेंगे। 

बच्चों को समझाने का तरीका 

कई बार ऐसा होता है कि बच्चों के मन में उठ रहे सवालों के उत्तर देने में हम झल्ला जाते हैं। कोरोना को लेकर बच्चे आपसे तमाम उलझे सवाल भी पूछ सकते हैं। ऐसे में आपको इनका सकारात्मक और शांत तरीके से उत्तर देना होगा। एम्स के मनोचिकित्सक डॉ जवाहर सिंह कहते हैं कि बच्चों को समझाने का तरीका सकारात्मक रखें। उन्हें कोरोना या किसी भी चीज के बारे में ऐसे बताएं कि यह कुछ समय का मामला है, जो जल्द खत्म हो जाएगा। स्कूल बंद करने के सवाल पर उनसे कहें कि घर से न निकलने पर बीमारी दूर भाग जाएगी।

दोस्तों से बात कराएं

एम्स के मनोचिकित्सक डॉ जवाहर सिंह कहते हैं कि बच्चों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के मार्फत उनके दोस्तों से बात कराएं। संभव हो तो उनके टीचर अगर किसी वीडियो कॉल से बच्चों से बात करते हों या बच्चा किसी ट्यूशन में पढ़ता है तो उसके शिक्षक से उसे ऑनलाइन जोड़ें। जिन सगे-संबंधियों से वह बात करना चाहता है, उनसे भी वीडियो या कॉस से बात संभव है।

माउंट आबू स्कूल की प्राचार्या ज्योति अरोड़ा कहती हैं कि बच्चों को विशेष रूप से अपने दोस्तों के साथ बात करने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें खुद को व्यक्त करने के लिए समय दें, खासकर अगर वे अपने डर और चिंताओं के बारे में बात करना चाहते हैं। यह ध्यान रखने की बात है कि चुप्पी हमारे बच्चों की रक्षा नहीं कर सकती, बल्कि उनसे बातचीत से कई हल निकल सकते हैं। 

सकारात्मक रहें और बच्चों के साथ संबंध बेहतर बनाएं

एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजी एंड एलाइड साइंसेस की असिस्टेंट प्रोफेसर छवि मित्तल कहती हैं कि कोविड 19 आने के बाद फिर हम उसी प्राचीन प्रश्न पर आ गए हैं कि पानी का ग्लास आधा भरा है या आधा खाली है। यानी सब कुछ आपके देखने के तरीके पर निर्भर करता है। छवि के मुताबिक हम सब घर में हैं। काफी अनिश्चितता है कि यह अवधि कब खत्म होगी। इसलिए सकारात्मक रहना और इस गुण को बच्चों को सीखाना जरूरी है। इस समय परिवार के सदस्यों और बच्चों के साथ अपने संबंध बेहतर करें। याद रहे कि अगर हम प्यार और खुशी के साथ रहेंगे तो कोविड 19 का यह अंधकार खत्म हो जाएगा।

सारे जवाब न जानना सही है

यूनीसेफ के विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे अगर सवाल पूछें तो यह कहना सही है कि हम नहीं जानते, लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं। यह भी कह सकते हैं कि हम नहीं जानते, लेकिन हम सोचेंगे। इसका प्रयोग अपने बच्चे के साथ कुछ नया सीखने के अवसर के तौर पर करें। यूनीसेफ के अनुसार, अपने बच्चों के साथ इस तरीके समय बिताया जा सकता है।

छोटे बच्चे के साथ समय बिताने के तरीके

-गाना गाएं, चम्मच व बर्तनों से संगीत बनाएं

-उनके चेहरे के भाव और आवाजों को दोहराएं

-कप या ब्लॉक को एक के ऊपर एक रखें

- किताब पढ़ कर या चित्र दिखा कर एक कहानी बताएं

-किशोर-किशोरी के साथ समय बिताने के तरीके

-उनके पसंदीदा चीजों जैसे खेल, टीवी शो, उनके दोस्तों के बारे में बात करें

-बाहर या घर के आसपास टहलने के लिए जाएं

-साथ में कसरत करें

-उनकी बात सुनें, उनकी तरफ देखें। उन पर अपना पूरा ध्यान दें। मजे करें

-एक किताब पढ़ें या चित्रों को देखें

-बाहर या घर के आसपास टहलने के लिए जाएं

-नृत्य और फ्रीजी खेलें

-एक साथ घर का काम करें। सफाई और खाना बनाने को एक खेल बनाएं

-स्कूल के काम में मदद करें


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