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Covid-19 & Depression In Kids: बच्चों में कोविड-19 से हुए तनाव को इन 4 तरीकों से कम करें!

Covid-19 Depression In Kidsकोविड-19 वायरस के संक्रमण के बीच बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों में भी वृद्धि हो रही है। इनमें जिद चिड़चिड़ापन चिंता घबराहट और व्यवहार में तल्खी और युवाओं में अवसाद के लक्षण सबसे आम हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 02:38 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 02:38 PM (IST)
Covid-19 & Depression In Kids: बच्चों में कोविड-19 से हुए तनाव को इन 4 तरीकों से कम करें!
बच्चों में कोविड-19 से हुए तनाव को इन 4 तरीकों से कम करें!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Covid-19 & Depression In Kids: हम में से कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि बचपन हमारी जिंदगी का सबसे बेहतरीन समय होता है। ऐसी बेफिक्र जिंदगी जहां कोई बंदिश नहीं, सबकुछ जानने की जिज्ञासा और मन में उमड़ता उत्साह, माता-पिता का प्यार और बड़ों का मार्गदर्शन से निर्मित हमारा बचपन जीवन भर के लिए हमें कुछ बेहद खूबसूरत और न भूल सकने वाली यादें देता है। जैसे-जैसे मानव सभ्यता तेज़ी से आगे बढ़ रही है, तकनीक की चमक-दमक में मासूम बचपन की मीठी यादें भी हर गुजरते साल के साथ कम होती जा रही हैं। 

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आज की जनरेशन-ज़ी की तुलना में मिलेनियल्स का बचपन ज्यादा खुशनुमा बीता है। दोस्तों के साथ खुले मैदानों में दिनभर मिट्टी में खेलते हुए और घर की रसोई में मां को पसंदीदा व्यंजनों को बनाते हुए देखना मिलेनियल्स के जीवन का हिस्सा था। इस दौरान खुद को तलाशने की भी कुछ संभावनाएं थीं। लेकिन अफसोस कि आज की पीढ़ी के बच्चों के लिए बचपन ऐसा नहीं है। मिलेनियल्स की तुलना में जनरेशन-ज़ी का बचपन उनके माता-पिता के बचपन की तुलना में ज्यादा व्यवस्थित, योजनाबद्ध और संतुलित है।

क्या आपके बच्चे का बचपन खत्म होने की कगार पर है?

शुरुआती शैक्षणिक वर्षों की अवधि में माता-पिता की अपेक्षाओं का बोझ बच्चों के बचपन पर भारी बोझ बन रहा है। आज सभी अभिभावक गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में चाहते हैं कि उनका बच्चा स्पोर्ट्स चैंपियन, क्लास-टॉपर या इनोवेटर बने, लेकिन इस मुश्किल दौड़ में, वास्तव में जो सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, वह आपके बच्चों का मासूम बचपन है। माता-पिता की उम्मीदों का बोझ क्या कम था जो अब कोविड-19 वायरस से घरों में कैद हुए बच्चों के जीवन को और घुटन भरा बना दिया है।  बच्चों को गैजेट्स देना अब माता-पिता के लिए खाना बनाने, ऑफिस का काम करने या कुछ देर शांति से रहने का एक आसान तरीका बन गया है। लेकिन क्या यह वास्तव में आपके बच्चे के मानसिक विकास और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है? कोविड-19 वायरस के संक्रमण के बीच, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों में भी वृद्धि हो रही है। इनमें जिद, चिड़चिड़ापन, चिंता, घबराहट और व्यवहार में तल्खी और युवाओं में अवसाद के लक्षण सबसे आम हैं।

युवाओं और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए टिप्स

लॉकडाउन और कोरोना के प्रसार ने हम सभी को कुछ हद तक तनाव देने का काम किया है। महीनों बीत जाने और सभी सुरक्षा उपाय अपनाने के बावजूद संक्रमित होने का लगातार खतरा बना रहता है। 

घबराएं नहीं और 'न्यू नॉर्मल' की आदत डालें

यदि आप अब भी स्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं तो आप अपने छोटे बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ व सामान्य होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? अपने बच्चों से इस महामारी की वास्तविकता और उससे जुड़े  तमाम पहलुओं पर बात करें लेकिन संक्रमण से हुई मौतों की चर्चा न करें। 

बच्चों के लिए एक शिड्यूल तय करें

पढ़ाने के अलावा स्कूल एक जो सबसे महत्वपूर्ण काम करते हैं वह है बच्चों के लिए एक शेड्यूल का निर्माण करना। स्कूल केवल पाठ्यक्रम पूरा करने या प्रमाणित मार्कशीट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कम उम्र में ही बच्चों में अनुशासन और जीवन मूल्यों को स्थापित करने का सबसे सरल तरीका है। इसलिए बच्चों के लिए घर पर भी एक टाइम टेबल बनाएं और उसी के हिसाब से शिड्यूलिंग कर बच्चों के सोने, जागने, टीवी देखने, पढऩे या खेलने का समय तय करें। साथ ही उन्हें इसका पालन करने के लिए भी प्रेरित करें, ताकि उनका रुटीन बना रहे। अवकाश में खेलने के लिए अपने घर पर भी एक स्कूल के प्ले रूम की तरह एक कमरा बनाएं जो आपके शौक और मनोरंजन के साधनों से सुसज्जित हों।

छोटे बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं

यदि आप पूरी लगन से अपने शिड्यूल को फॉलो करते हें तो आप अपनी नींद को प्रभावित किए बिना सीमित समय में घंटों तक बेहतर काम कर सकते हैं। परिवार के सदस्यों के बीच कामों का बंटवारा करें, बच्चों को भी उनकी क्षमता के अनुसार काम का जिम्मा सौंपें। इसमें रसोई, बागवानी या साफ-सफाई जैसे कामों में बच्चों की मदद ली जा सकती है। इससे आपके और बच्चों के बीच बेहतर संपर्क स्थापित होगा और यह उन्हें जिम्मेदार होने का अहसास भी करवाएगा।

बच्चों को अपने दिल की बात कहने के लिए प्रोत्साहित करें

चिंता और अवसाद जैसे मानसिक मुद्दे अक्सर व्यक्ति की भावनाओं को दूसरों तक पहुंचने नहीं देते। इसलिए खुले, सकारात्मक और हल्के-फुल्के माहौल में बातचीत करने के लिए अपने बच्चों को लगातार प्रोत्साहित करते रहें। इससे उन्हें अपने अंतर्मन को व्यक्त करने में बहुत हद तक मदद मिल सकती है। लेकिन ध्यान रखें कि इस दौरान आपको उन्हें जज नहीं करना है। इस सारी कवायद का मकसद परिवार और जरूरत पड़े तो विशेषज्ञ की सहायता से बच्चों की सकारात्मक ऊर्जा को सही दिशा प्रदान करना है। बचपन में बिताया हुआ खुशनुमा समय किसी भी व्यक्ति के जीवन की नींव रखने का काम करते हैं। यह निश्चित रूप से, अब एक विश्व स्तरीय विषय बन गया है कि हम आज ही यह तय करें कि हमारी अगली पीढ़ी के लिए सबसे अच्छा क्या है? आशा है कि इन सुझावों और विसतार से की गई चर्चा से आप निश्चित रूप से अपने बच्चों के लिए महमारी के दौर में भी बेहतर माहौल और वही पुराना बचपन लौटा सकेंगे।

-प्रवेश गौर, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और संस्थापक एवं सीईओ, स्रोटा' वैलनेस


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