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Coronavirus Vaccine: ब्रिटेन सरकार ने साइन की कोरोना वैक्सीन के 9 करोड़ डोज की डील, जानें कब होगी डिलिवरी

Coronavirus Vaccine इस डील से पहले वैक्सीन को लेकर एक और डील हो चुकी है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की वैक्सीन की 100 मिलियन खुराक जिसे एस्ट्राज़ेनेका विकसित कर रही है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 03:07 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 03:07 PM (IST)
Coronavirus Vaccine: ब्रिटेन सरकार ने साइन की कोरोना वैक्सीन के 9 करोड़ डोज की डील, जानें कब होगी डिलिवरी
Coronavirus Vaccine: ब्रिटेन सरकार ने साइन की कोरोना वैक्सीन के 9 करोड़ डोज की डील, जानें कब होगी डिलिवरी

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Vaccine: ब्रिटेन की सरकार ने विकसित हो रही कोरोना वायरस वैक्सीन की 90 मिलियन खुराकों के लिए डील पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इन वैक्सीन पर दवा कंपनियां BioNtech और Pfizer के साथ-साथ Valneva फर्म मिलकर शोध कर रही है। 

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इस डील से पहले वैक्सीन को लेकर एक और डील हो चुकी है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की वैक्सीन की 100 मिलियन खुराक, जिसे एस्ट्राज़ेनेका विकसित कर रही है। हालांकि, ये अभी भी साफ नहीं है कि इन दोनों वैक्सीन्स में से किसकी दवा असरदार हो पाएगी। हालांकि, हमारी ज़िंदगी पहले जैसी तभी हो पाएगी, जब कोरोना वायरस को ख़त्म करने के लिए कोई वैक्सीन कारगर साबित होगी।

साल 2019 के दिसंबर में चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस के बारे में पूरी दुनिया को साल 2020 के शुरुआत में पता चला था। तब से ही इस ख़तरनाक वायरस से लड़ने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं। इस वक्त 20 से ज़्यादा वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। 

इनमें से कुछ वैक्सीन इम्यून सिस्टम को कुछ हद तक मज़बूत करती हैं, लेकिन इनमें से एक भी संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा करन में कारगर साबित नहीं हुई है।

हमें कब तक मिलेगी वैक्सीन?

ब्रिटेन सरकार ने अब उन तीन टीकों तक पहुंच हासिल कर ली है, जिनका अलग-अलग तरीकों से उपयोग हो सकता हैं:

ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की 100 मिलियन खुराकें, जिसे जनैटिक तरके से बनाए गए वायरस से विकसित किया है।

BioNtech/Pfizer की वैक्सीन की 30 मिलियन खुराक, जो कोरोना वायरस के आनुवांशिक कोड का हिस्सा है। 

Valneva की 60 मिलियन खुराकें, जो कोरोना वायरस के एक निष्क्रिय संस्करण का उपयोग करता है।

अलग-अलग तरह की वैक्सीन का इस्तेमाल करने से इस बात की उम्मीदें बढ़ जाती हैं, कि इनमें से कम से कम एक काम ज़रूर करेगी। 

सरकार की वैक्सीन टास्कफोर्स की अध्यक्ष केट बिंघम का कहना है, " इस वक्त हमारे पास वैक्सीन के मज़बूत दावेदार हैं, इससे ये बात साफ है कि हम इस कामयाबी की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहे हैं। साथ ही मैं ज़रूरत से ज़्यादा आशावादी होने के भी खिलाफ हूं। ऐसा भी हो सकता है कि हमें कभी भी कोरोना वायरस की वैक्सीन न मिले। अगर ऐसा होता है, तो हमें ऐसी वैक्सीन के लिए भी तैयार रहना चाहिए, जो वायरस को ख़त्म न करे, लेकिन उसके लक्षणों को ज़रूर कम कर दे।"

अगर इस संक्रमण के खिलाफ कारगर वैक्सीन तैयार हो जाती है, तो हेल्थ और सोशल केयर कर्मी, जिन्हें संक्रमण का सबसे ज़्यादा ख़तरा है, उन्हें सबसे पहले दी जाएगी। हालांकि, अगले साल से पहले व्यापक पैमाने पर वैक्सीन आने की उम्मीद नहीं है।

ये वैक्सीन उन लोगों के लिए भी पहले उपलब्ध कराई जा सकती है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर है या जिनका कैंसर जैसी बीमारी  का इलाज चल रहा है। 


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