Stay Home Stay Empowered: कोरोना वायरस से मिली हैं ये 6 सीख, समझने पर बेहतर हो सकता है हमारा कल
माइकल जेरसन कहते हैं कि हमें सिर्फ इंद्रधनुष और डूबते सूरज को प्रकृति नहीं समझना चाहिए। यह मनुष्यों और माइक्रोबियल रोगजनकों के बीच क्रूर विकासवादी संघर्ष भी है। हमें नई बीमारियों के लिए तैयार रहना होगा। मुश्किल यह है कि रोगजनक बेहद तेजी से विकसित होते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। एक साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी कोरोना हमारे बीच मौजूद है और इसका गहरा असर हर क्षेत्र पर पड़ा है। अब विशेषज्ञ कोरोना के प्रभावों का अपने-अपने तरीके से विश्लेषण कर रहे हैं। अमेरिकी विशेषज्ञ माइकल जेरसन के मुताबिक, कोरोना से जो हमें सीख मिली है, वह हमारे भविष्य को आकार दे सकती है। उनके अनुसार, कोरोना से मुख्य रूप से हमें 6 तरह की सीख मिली है। आइए जानते हैं उनके बारे में-
1. प्रकृति हमें मारने निकली है
माइकल जेरसन कहते हैं कि हमें सिर्फ इंद्रधनुष और डूबते सूरज को प्रकृति नहीं समझना चाहिए। यह मनुष्यों और माइक्रोबियल रोगजनकों के बीच क्रूर विकासवादी संघर्ष भी है। हमें नई बीमारियों के लिए तैयार रहना होगा। मुश्किल यह है कि रोगजनक बेहद तेजी से विकसित होते हैं। उदाहरण के रूप में एशेरिकिया कोलाए (Escherichia coli) को लेते हैं। यह एक दिन में ही म्यूटेंट तैयार कर लेता है। जबकि इंसान को विकसित होने में सदियां लगती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, हर 4 से 5 साल में एक नया रोगजनक आ जाता है। हालांकि, कोविड-19 सबसे बुरा है, लेकिन हमने हाल में नोवेल इन्फ्लूएंजा का भी सामना किया है, जो काफी घातक है।
2. हम समस्या को और बिगाड़ रहे हैं
75 फीसद नई बीमारियों का मूल जानवर हैं। मनुष्य कई तरह से इस खतरे को बढ़ा रहा है। एक तो प्रोटीन की ज्यादा मांग के चलते कई जानवरों, जैसे सुअर को अब घरेलू स्तर पर पाला जा रहा है। वहीं जंगलों के कटने से मनुष्य और जंगली जानवरों का संपर्क भी अधिक हो गया है, जैसे चमगादड़ बेहद तेजी से संक्रमण फैलाते हैं। वैज्ञानिकों के एक अनुमान के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में जानवरों से फैलने वाली 1200 बीमारियां मिली हैं। जबकि 7 लाख ऐसी बीमारियों का अनुमान है, जिनके बारे में हम नहीं जानते हैं।
3. इन खतरों से आइसोलेशन (अलगाव) एक मिथक है
हर रोज विमान दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक जाते हैं। हमने देखा है कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन के किसी वायरस को हम तक पहुंचने में वक्त नहीं लगता है। यानी दुनिया के किसी हिस्से में अगर वायरस से जंग ठीक से नहीं लड़ी जाएगी तो यह फिर हम तक पहुंच जाएगा।
4. विकेंद्रीकरण अच्छा राजनीतिक सिद्धांत है, लेकिन खराब स्वास्थ्य नीति है
विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना से हमें सीख मिली है कि कई बार विकेंद्रीकरण सेहत संबंधी नीतियों के लिए अच्छा नहीं होता है। अमेरिका में 3000 से ज्यादा राज्य, स्थानीय और ट्रिब्यूनल हेल्थ डिपार्टमेंट ने नीतियां बनाईं। पर कई जगहों पर ऐसा लगा कि वायरस के सामने प्रशासन ने सरेंडर कर दिया।
5. लोग परोपकार की भावना से व्यवहार परिवर्तन नहीं करते
कोरोना महामारी में वायरस 70 फीसद 20 से 49 साल के लोगों के जरिए फैला, लेकिन जान गंवाने वाले 80 फीसद लोग 65 साल या इससे ज्यादा के थे। यानी अगर आप 65 साल से ज्यादा के हैं तो बीमारी से जान जाने का खतरा 5.6 फीसद है, लेकिन 20 से 49 साल के लिए लोगों पर यह खतरा केवल 0.092 फीसद है। पर क्या युवाओं ने मास्क पहनकर वायरस फैलने से रोका, तो जवाब है नहीं। यानी सिर्फ सरकार ही है, जो नीतियां बनाकर लोगों से नियम का पालन करा सकती है।
6. हालांकि, हम अगले वायरस के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं, हम बड़े वायरस के लिए तैयार नहीं हैं-
विशेषज्ञों के अगले वायरस से बचने के लिए कई सुझाव दिए हैं-
-जंगलों की कटाई धीमी करनी होगी
-वन्य जीव व्यापार के लिए बेहतर नीतियां बनानी होंगी।
-फैक्ट्री फार्मिंग को भी रेगुलेट करने की जरूरत है।
-जानवरों से मनुष्यों में आने वाले रोगाणुओं का ज्यादा गहराई से अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
-जेनेटिक रोगों के एक आनुवंशिक कैटलॉग के निर्माण में तेजी लाई जाए।
-विकासशील देशों में स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए और अधिक निवेश की जरूरत।