Stay Home Stay Empowered: कोरोना महामारी में बदल रहा लोगों का बर्ताव, क्या आप पर भी हो रहा असर
कोरोना वायरस का असर हम सभी के ऊपर है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस दौर में हमारी पर्सनैलिटी के नए रूप भी सामने आ रहे हैं और हमारे बर्ताव में भी बदलाव हो रहा है।
नई दिल्ली, विनीत शरण। कोरोना वायरस का असर हम सभी के ऊपर है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस दौर में हमारी पर्सनैलिटी के नए रूप भी सामने आ रहे हैं और हमारे बर्ताव में भी बदलाव हो रहा है। लॉकडाउन में हम अपने बारे में ज्यादा जान रहे हैं। भारतीय मनोवैज्ञानिक मान रहे हैं कि कोरोना लॉकडाउन के चलते लोगों के बर्ताव पर असर पड़ा है।
एम्स के मनोविशेषज्ञ राजेश सागर ने बताया कि वे अभी अपने पुराने मरीजों का इलाज ही कर रहे हैं। उनके पास लॉकडाउन के बाद कोई नया मरीज नहीं आया है, लेकिन पुराने मरीज लगातार कोरोना और लॉकडाउन के संबंधित सवाल पूछ रहे हैं। लोगों के बर्ताव में बदलाव आ रहा है। मन और सोच में बदलाव आ रहा है। मन में निगेटिव विचार ज्यादा आ रहे हैं। असमंजस है और भविष्य की चिंता है। चिड़चिड़ापन, मन उदास होना, अकेले रहने में परेशान हो जाने जैसी समस्याएं हैं। कुछ लोगों का मन कर रहा है बाहर निकलने का। कुछ लोगों का ज्यादा लोगों से बात करने मन करना है। राजेश सागर ऐसे में लोगों को तीन सलाह देते हैं। घर वालों से बात करें। खुद को व्यक्त करें और अपने आपको हमेशा बिजी रखें।
राजेश सागर के अनुसार पर्सनालिटी बचपन से विकसित होती है। यह हमारे बिहैवियर, थिंकिंग और इमोशन से बनती है। करोना जैसी एक समस्या से बदल नहीं सकती है। लेकिन कुछ लोग इंट्रोवर्ट है और कुछ एक्सट्रोवर्ट होते हैं। कुछ शांत होते हैं और कुछ गर्म मिजाज। इसलिए कोरोना से निपटने का सबका तरीका अलग-अलग है।
ब्रिटेन के शोध में कई खुलासे
लंदन के किंग कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं ने हालिया शोध में बताया है कि इस मुश्किल दौर में मुख्य रूप से तीन तरह की पर्सनैलिटी के पहलू सामने आ रहे हैं। पहले तरह के लोग, जिन्होंने सब कुछ स्वीकार कर लिया है, दूसरे जो खुद को पीड़ित महसूस कर रहे हैं और तीसरे जो प्रतिरोध कर रहे हैं। यह शोध महिलाओं पर किया गया है। ब्रिटेन के शोधकर्ताओं के मुताबिक 48 फीसदी लोग स्वीकार करने वालों की श्रेणी में आते हैं। ये लॉकडाउन में शांति से जिंदगी जी रहे हैं और इस जीवन को कबूल कर रहे हैं। 44 प्रतिशत लोग लॉकडाउन से पीड़ित हैं और बाकी बचे 8 फीसदी तीसरी श्रेणी (प्रतिरोध) में हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इन तीन प्रकार के अलावा भी लॉकडाउन में कई अन्य तरह की पर्सनैलिटी के पहलू सामने आ रही हैं। आइए जानते हैं कि लोग कैसे कर रहे बर्ताव।
फैशनपरस्त
लाइफस्टाइल विशेषज्ञ कैथरीन स्पेंले बताती हैं कि कई महिलाएं लॉकडाउन के इस दौर में भी फैशन के पूरे टिप्स फॉलो कर रही हैं। ये महिलाएं वीडियो कॉल पर बिना सही लाइटिंग, फिल्टर और अच्छी ड्रेस के बात नहीं कर सकती हैं। यह बात भी सच है कि लॉकडाउन में वीडियो टेक्नोलॉजी ने हर किसी को न्यूज रीडर के स्तर का मेकअप करने का मौका दे दिया है। सिर्फ महिलाएं ही नहीं हैं, जो कैमरे पर खूबसूरत दिखना चाहती हैं। डिजाइनर्स ने सलाह दी है कि हम सबको वीडियो कॉल करते समय मेज पर सफेद टेबल क्लॉथ या पेपर बिछाना चाहिए, जिससे लाइट का बेहतर रिफ्लेक्शन आए। वहीं, फैशनपरस्त लोग अपने वीडियो कॉल में बैकग्राउंड को भी किताब, हाउसप्लांट और योग मैट से सजा के रखते हैं।
एक्सट्रोवर्ट एक्सरसाइजर्स
इस श्रेणी के लोग लॉकडाउन में भी पार्क में व्यायाम और योग करते मिल जाएंगे। बाहर न निकल पाने की सूरत में ये घर में ही अपने एब्स के लिए पूरी एक्सरसाइज करते हैं। इंस्टाग्राम पर ये लोग व्यायाम करते और मसल्स वाली फोटो अपलोड कर रहे हैं।
वजन बढ़ाने वाले लोग
कई लोग ऐसे हैं, जो वर्क फ्रॉम होम के दौरान खूब वेट गेन कर रहे हैं। इसका कारण है कि ये लोग नाश्ते के बड़े शौकीन हो गए हैं। लोग सुबह, शाम तो छोड़िए रात में भी कुछ न कुछ एक्सट्रा खा रहे हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि लॉकडाउन खुलते ही वे वेट लूज कर लेंगे।
क्वारनटाइन क्वीन
कुछ महिलाएं हाउसपार्टी (Houseparty) ऐप का जमकर इस्तेमाल कर रही हैं। वहीं जूम ऐप पर भी अपने दोस्तों को इंविटेशन भेजने में सबसे आगे रह रही हैं।
अपने बचाव में जुटे लोग
कुछ लोग घर में खुद को वायरस से बचाने की कोशिश में लगे हैं। वे हमेशा फर्श और हर उस चीज को साफ करते रहते हैं, जहां वायरस का खतरा है।
जासूसी करने वाले
अब भी कई लोग अपने घर का दरवाजा हल्का सा खोलकर ये देखने की कोशिश करते हैं कि दूसरे लोग क्या कर रहे हैं।