उल्लास के साथ नवरात्र का पर्व मनाइए, लेकिन उपवास के साथ सेहत का भी रखिए ख्याल
लखनऊ के डा.राममनोहर लोहिया चिकित्सा आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्साधीक्षक एवं विभागध्यक्ष मेडिसिन के डा. विक्रम सिंह ने बताया कि आस्था का पर्व शारदीय नवरात्र मनाया जा रहा है। ये दिन व्रत पूजा और अनुष्ठान वाले होते हैं लेकिन खानपान में बरतें एहतियात जिससे प्रभावित न हो स्वास्थ्य...
कानपुर, लालजी वाजपेई। नवरात्र में व्रत, पूजन और विभिन्न तरह के अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है। ये दिन शरीर को आध्यात्मिक ऊर्जा से मजबूत करने वाले होते हैं। शारदीय नवरात्र से सर्दी के आरंभ की शुरुआत भी मानी जाती है। नवरात्र में व्रत, उपवास करें पर यह भी ध्यान रखें कि यह दिन बदलते मौसम वाले हैं और इस समय मौसमी बीमारियों का भी खतरा है। इसलिए सतर्क रहें, जिससे सेहत सुरक्षित रहे। खानपान में भी सावधानी बरतें, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे। यदि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या किसी अन्य तकलीफ से ग्रसित हैं तो और भी अधिक एहतियात बरतने की जरूरत है। घर पर ही सुरक्षित रहकर देवी के प्रति आस्था प्रकट करें और यदि व्रत नहीं रह सकते तो ध्यान करके देवी मां को प्रसन्न करें।
किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो चिकित्सकीय परामर्श लें
यदि डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, दिल की बीमारी या अन्य किसी ऐसे संक्रमण से ग्रसित हैं, जिसका उपचार लें रहे हैं तो बिना चिकित्सकी सलाह के व्रत या उपवास कतई न रखें। अगर चिकित्सक डाइट चार्ट के अनुसार, व्रत रहने की सलाह देता है तो ही व्रत रखें। कई बार दवाओं के सेवन की अनदेखी और बीमारी की वजह से गंभीर स्थिति बन सकती है। डायबिटीज के रोगी फलों का सेवन सीमित मात्रा में करें और दवाओं का सेवन कतई बंद न करें। इस बात को समझें कि सेहत पहले है। इसलिए दवाओं के सेवन से कोई पाप नहीं होता है।
समझें व्रत का महत्व
हर छह माह में मौसम के बदलाव के समय व्रत का विधान हमारे ऋषि मुनियों ने शरीर को डिटाक्स करने के लिए बनाया है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। संयमित खानपान, अल्पाहार या अन्न के अतिरिक्त चीजों के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मौजूद होती है। इसलिए इन्हें करना चाहिए, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना है कि हमारी सेहत और सामथ्र्य इन सबको करने में सक्षम है या नहीं। ऐसा नहीं है कि केवल व्रत करने से पुण्य मिलता है। इन दिनों सात्विक आहार, ध्यान आदि करने से भी आध्यात्मिक ऊर्जा का लाभ मिलता है।
इसे अवश्य करें
उपवास वाले हल्का भोजन करें और गरिष्ठ भोजन करने से बचें। मौसमी फलों का पर्याप्त सेवन करें, लेकिन डायबिटिक हैं तो सीमित मात्रा में ही फल खाएं। अनुलोम-विलोम योग और प्राणायाम से शारीरिक व मानसिक सेतह दुरुस्त होती है। हवन सामग्री में कपूर, गुगुल मिलाकर हवन करने से वायरस और बैक्टीरिया नष्ट होंगे।
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