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सावधान, सिगरेट के धुएं की तरह फैलता है वायरस, कई रिसर्च के बाद WHO ने भी किया स्वीकार

कई रिसर्च रिपोर्ट के बाद डब्ल्यूएचओ ने भी इस फैक्ट को स्वीकार किया कि हवा के जरिए भी फैल सकता है वायरस। WHO का मानना है कि हवा के कम बहाव वाली अंदर की जगहों पर कोरोना वायरस के हवा के जरिए फैलाने की आशंका इंकार नहीं की जा सकती।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 08:14 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 08:14 AM (IST)
सावधान, सिगरेट के धुएं की तरह फैलता है वायरस, कई रिसर्च के बाद WHO ने भी किया स्वीकार
हवा के जरिए भी फैल सकता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस सिर्फ किसी सतह को छूने या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ही नहीं, बल्कि हवा के जरिए भी फैल सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने अब इस बात पर मुहर लगा दी है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ अब तक हवा के जरिए संक्रमण की बात को नकारता आया है, पर कुछ रिसर्च के नतीजों ने उसकी राय बदल दी है। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि भीड़भाड़ और हवा के कम बहाव वाली अंदर की जगहों पर कोरोना वायरस के हवा के जरिए फैलाने की आशंका खारिज नहीं की जा सकती।

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सुपर स्प्रेडर कहा जाता है

वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा के जरिए संक्रमण अब ज्यादा फैल रहा है। इस सुपर स्प्रेडर फैलाव कहा जाता है। ऐसे मामलों में संक्रमित व्यक्ति एक बार में ही कई और व्यक्तियों को संक्रमित कर देता है। जरूरी नहीं है कि यह संक्रमण मुंह या नाक के जरिए ही फैले। वायरस अन्य जरियों से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है।

सिगरेट के धुएं की तरह फैलता है वायरस

वैज्ञानिकों ने छोटे कणों पर फोकस किया, जो सिगरेट के धुएं की तरह हवा में फैलते हैं।

यह कण हवा द्वारा ले जाए जाते हैं और शरीर की गर्मी से ऊपर की ओर उठते हैं।

इसके अलावा यह कण हवा में कुछ मिनट से लेकर कई घंटों तक रह सकते हैं।

इन कणों को एयरोसोल कहा जाता है और यह 6 फीट की दूरी तक फैल सकते हैं।

इसीलिए प्रोटोकॉल के तरह एक-दूसरे के बीच दूरी रखने को कहा जाता है।

इंडिया में भी हो रही है स्टडी

देश में कई मामले इस तरह के सामने आए जिसमें पीड़ित मरीज को घर में रहते कोरोना हो गया। कोरोना की स्पीड को देखते हुए इसके हवा में फैलने की संभावना तेज हो गई है। ऐसे में सीएआईआर के सेल्युलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र ने कोरोना संक्रमित व्यक्ति से वायरस के हवा में फैलने की दूरी और वातावरण में एक स्टडी शुरू की है। सीसीएमबी के डायरेक्टर राकेश मिश्रा ने बताया कि करीब 10 दिन पहले शुरू स्टडी का उद्देश्य यह जानना है कि क्या वायरस वास्तव में हवा के जरिए फैल सकता है और अगर ऐसा होता है तो यह कितनी दूर तक जा सकता है और कितनी देर तक मौजूद रह सकता है। इसमें आईसीयू या कोविड-19 वार्ड जैसे अस्पताल के विभिन्न स्थानों से मरीज के दो, चार और आठ मीटर जैसी अलग-अलग दूरी से एयर सैम्पलर का इ्स्तेमाल करके नमूने एकत्र किए जाएंगे। यह स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा को बेहतर बनाने की एक रणनीति है।

Pic credit- https://www.freepik.com/free-photo/coronavirus-cells-floating_8722211.htm#page=6&query=corona&position=42


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