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Coronavirus Most Intelligent: अन्य वायरस की तुलना में कहीं ज़्यादा बुद्धिमान है COVID-19

Coronavirus Most Intelligent SARS-CoV-2 जिसकी वजह से कोविड-19 संक्रमण होता है में अन्य वायरस की तुलना कहीं ज़्यादा बुद्धिमत्ता होती है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 01 May 2020 01:15 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2020 02:40 PM (IST)
Coronavirus Most Intelligent: अन्य वायरस की तुलना में कहीं ज़्यादा बुद्धिमान है COVID-19
Coronavirus Most Intelligent: अन्य वायरस की तुलना में कहीं ज़्यादा बुद्धिमान है COVID-19

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Most Intelligent: नया कोरोना वायरस यानी कोविड-19 का स्वभाव काफी अजीब किस्म का है और ऐसा लगता है कि इसकी बुद्धिमत्ता अन्य वायरस की तुलना में कहीं ज़्यादा है। एक भारतीय शोधकर्ता ने हाल ही में एक अणु बनाया है, जिसमें एक दवा के रूप में विकसित होने की क्षमता है और ये दवा COVID-19 रोगियों में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) को ठीक कर सकती है।

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ग्रेटर नोएडा के शिव नादर विश्वविद्यालय में कैमिस्ट्री के प्रोफेसर, डॉ. सुभाब्रता सेन ने कहा कि आशा है कि उनका चिकित्सीय दृष्टिकोण तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम से जुड़ी विकृतियों के खिलाफ समाधानों को खोलेगा।  

सांस संबंधी बीमारी होगी दूर

उनकी टीम ने एक न्यू कैमिकल एंटिटीज़ (NCE) के सेट ढूंढ़ा जिसमें कोविड-19 से होने एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) या एक्यूट लंग इंजरी (ALI) या अन्य सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) और मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) को ठीक करने की क्षमता है। 

डॉ. सेन ने इसके बारे में समझाते हुए कहा, "हमने जो नया अणु खोजा है वह मानव शरीर में एक स्वदेशी लिगैंड पर आधारित है। सामान्य तौर पर, छोटे अणु के नुकसानों में से एक यह है कि मानव शरीर उन्हें ज़ीनोबायोटिक (xenobiotic) मानता है। एक बार जब उन्हें सिस्टम में प्रशासित किया जाता है, तो शरीर मुख्य रूप से लिवर में एंजाइमिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से उन्हें जल्दी से ख़त्म करने की कोशिश करता है।"  

"इंडिजिनस लिगेंड्स के आधार पर छोटे अणुओं के विकास का लाभ यह है कि शरीर इसे अपना हिस्सा समझकर स्वीकार करता है। नतीजतन, अणु के उत्सर्जित होने की संभावना कम होती है, जिससे उसके चिकित्सीय उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अधिक समय मिलता है।"

उनका मानना ​​है कि उनकी चिकित्सा न सिर्फ कोविड​​-19 को किसी व्यक्ति के फेफड़ों को प्रभावित करने से रोकेगी, बल्कि वायरस से पहले से मौजूद फेफड़ों की तकलीफों को भी संबोधित करेगी, ऐसे मामलों में वेंटीलेटर ARDS से पीड़ित COVID-19 रोगियों को बहुत राहत नहीं पहुंचा रहे हैं।

कब से शुरू होगा ट्रायल

इंसानों पर होने वाले क्लीनिकल ट्रायल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, " अगले महीने हम जानवरों पर ट्रायल शुरू करना चाहते हैं और साल के आखिर में मनुष्यों पर भी ट्रायल शुरू हो जाएगा।" वहीं उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन के बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। 


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