कोरोना से रिकवरी के बाद भी मरीजों को हो सकती हैं ये समस्याएं
अध्ययन के मुताबिक कोरोना से ठीक हुए मरीजों में कई महीनों तक सांस लेने में तकलीफ और थकान जैसी समस्याएं बनी रह सकती हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस देश-दुनिया में तेजी से फैल रहा है। राहत की बात ये है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज़ों के ठीक होने का आंकड़ा भी अब बढ़ रहा है। कोरोना मरीजों की रिकवरी रेट पहले की अपेक्षा बढ़ी है, यानी अब कम समय में कोरोना के मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक, कोरोना के मरीज बेशक कोरोना को हरा रहे हैं, लेकिन इस बीमारी का असर उन लोगों की सेहत पर लंबे समय तक रहता है। ब्रिटेन की सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने चेताया है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों में कई महीनों तक सांस लेने में तकलीफ और थकान जैसी समस्याएं बनी रह सकती हैं। हालांकि, ये समस्याएं आखिर कितने समय तक बनी रह सकती हैं, इसको लेकर और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है।
ब्रिटेन की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के वैज्ञानिकों ने बीते महीने कोरोना के गंभीर लक्षणों पर चर्चा की थी, जिसमें स्ट्रोक, किडनी की बीमारी और अंगों की घटती कार्यक्षमता पर भी बैठक हुई थी। वैज्ञानिकों का कहना था कि कोविड 19 से उबरने वाले मरीजों में ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा होगी, जिनके लिए सामान्य जीवन में वापस लौटना मुश्किल होगा।
कोरोना पीड़ितों के लिए खासतौर पर बनाए गए एनएचएस अस्पताल में पिछले हफ्ते ऐसे मरीज रिकवर हुए, जो इलाज के बाद लंबे समय से कोरोना का बुरा प्रभाव झेल रहे थे। एनएचएस के मुताबिक, कोरोना से उबरने वाले मरीजों के लिए ब्रिटेन में ऐसा मॉडल अपनाया जाएगा, जिससे कि उनका मानसिक असंतुलन, सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोगों जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद की जा सके।
एनएचएस ने कहा है कि जिन लोगों के शरीर में किसी तरह के डैमेज या अंगों को नुकसान हुआ है, उनकी रिकवरी में संस्था मदद करेगी।
सिमोन स्टीवेंस के मुताबिक, कोरोना से उबरने वाले मरीजों को ट्रैकियोस्टॉमी वाउंड, हृदय और फेफड़ों के डैमेज रिपेयर करने वाली थैरेपी, मसल के अलावा मनोवैज्ञानिक चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है।
Written By Shahina Noor