Malaria In India: WHO के मुताबिक भारत में हर साल मलेरिया से होती हैं 2 लाख से ज़्यादा मौतें
Malaria In India किसी भी संक्रमित व्यक्ति में अगर सिर दर्द होना उल्टी होना ठंड के साथ-साथ बुखार आना कमज़ोरी लगना आदि देखे जाते हैं तो ये लक्षण मलेरिया के हो सकते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेल्क। Malaria In India: कई दशकों से चली आ रही वैश्विक बीमारी मलेरिया, मच्छर के काटने से होती है। मलेरिया कई बड़े देशों के आम जन-जीवन को प्रभावित कर चुका है और निरंतर कर ही रहा है। मलेरिया से दुनियाभर में लाखों लोगों की हर साल मौत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस बीमारी को लेकर सभी बड़े देशों को समय-समय पर चेता चुका है। इससे निपटने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस घोषित कर लिया गया है।
मलेरिया एक प्रकार के परजीवी प्लाज़मोडियम से फैलता है, जो मादा एनफ़िलीज़ नामक मच्छर द्वारा फैलाया जाता है। यह मच्छर जिस व्यक्ति को काटता है उसमें मलेरिया के लक्षण आसानी से देखने को मिल जाते हैं। किसी भी संक्रमित व्यक्ति में अगर सिर दर्द होना, उल्टी होना, ठंड के साथ-साथ बुखार आना, कमज़ोरी लगना आदि देखे जाते हैं तो ये लक्षण मलेरिया के हो सकते हैं।
भारत में भी 19वी शताब्दी से मलेरिया परेशानी का कारण बना हुआ है लेकिन भारत सरकार के प्रयासों से इससे होने वाली मौतों में काफी गिरावट देखने को मिली थी। कहा गया था कि मलेरिया के कारण देश में हर साल 15000 लोगों कि मृत्यु होती है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए शोध एवं दिशा-निर्देश से पता चला है कि हर साल देश में दो लाख से ज़्यादा मृत्यु होती हैं। अगर सटीक संख्या की बात करें तो यह संख्या 2,05,000 है।
जब इसके बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने और जांच की तो पता चला कि 86 प्रतिशत मौतें तो दर्ज ही नहीं हो पाती क्योंकि वो घर पर होती हैं और 90 फीसदी मामले ग्रामीण इलाकों से आते हैं जहां मूलभूत सेवाओं के साथ-साथ जागरूकता की कमी है। इस वजह से यहां मौतें भी ज़्यादा होती हैं और उनकी रिपोर्ट भी दर्ज नहीं हो पाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में मलेरिया के मामले ज़्यादातर ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और मेघालय और नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों से आए हैं। जहां, ज्यादत्तर ग्रामीण इलाके हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक सम्पूर्ण रूप से मलेरिया को ख़त्म करने का लक्ष्य रखा है और इसको प्राप्त करने के लिए इन्होंने कई तरीके और दिशा निर्देश भी निकाले हैं।
डॉ. पूनम खेतरपाल सिंह का कहना है कि सबसे प्रमुख तरीका तो यही है कि समस्त देश में मलेरिया बीमारी के बारे में एक अभियान बनाकर जागरूकता फैलाई जाए। ग्रामीण इलाकों में अधिकारी नियुक्त करके ग्रामीणों को इस बारे में जागरूक करा जाए। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाए जिससे ग्रामीणों को उनके गांव और इलाके में ही दवाई और स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं। साथ ही साथ इसके घरेलू उपचार, इसके लक्षणों और रोकथाम के उत्तम तरीके बताए जाएं।
ये काफी चिंता का विषय है कि मलेरिया के कारण इतनी ज़्यादा मौतें हो रही है, लेकिन सही दिशा में कार्य करने से इससे छुटकारा पाया जा सकता है।