जोड़ों के दर्द, गठिया और स्पॉन्डिलाइटिस में ऑपरेशन ही नहीं है एकमात्र समाधान: Vachak Ayurved
आज लोग कम उम्र में आर्थराइटिस यानी गठिया जैसी बीमारियों का सामना कर रहे हैं जिनमें रुमेटॉएड आर्थराइटिस प्रमुख है। खराब खान-पान और अनियमित दिनचर्या की वजह से गठिया जन्म लेता है।
नई दिल्ली। भागदौड़ भरी जीवनशैली और कुछ पाने की चाहत ने हमें वास्तविक जिंदगी से दूर कर दिया है। हम न तो सही से जी पा रहे हैं और न ही अपनी सेहत का पूरा ध्यान रख पा रहे हैं। इसकी वजह से हम कई तरह के रोगों के शिकार भी हो रहे हैं। कमर में दर्द, कंधे में दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, आर्थराइटिस, स्लिपडिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस आदि ये कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनके मरीजों की सख्या लगातार बढ़ती जा रही है। व्यायाम में कमी, शरीर में पौष्टिक भोजन की कमी और बढ़ते तनाव ने इस तरह की समस्याओं को जन्म देने का काम किया है।
आज लोग कम उम्र में आर्थराइटिस यानी गठिया जैसी बीमारियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें रुमेटॉएड आर्थराइटिस प्रमुख है। बता दें कि खराब खान-पान और अनियमित दिनचर्या की वजह से गठिया की बीमारी जन्म लेती है। इससे शरीर में विषैले तत्त्व का निर्माण होता है, जिन्हें एंटीबॉडी कहते हैं। ये एंटीबॉडीज हमारे जोड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं तथा जोड़ों में उपस्थित चिकनाहट (साइनोवियल फ्लूड) के निर्माण को कम करते हैं। ऐसे में रोगी को चलने-फिरने में दिक्क्त आती है और कार्टिलेज घिसने लगता है, जिससे दर्द और सूजन बढ़ जाता है।
लोगों में अगर आर्थराइटिस की बीमारी बढ़ रही है तो इसके पीछे का मुख्य का कारण शरीर में विटामिन डी की कमी है। काम की व्यस्तता के बीच हमारा खानपान बिलकुल ही बिगड़ चुका है और शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पा रहा है। बता दें कि गठिया से पीड़ित व्यक्ति की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा इसके लक्षणों में जोड़ों में दर्द होना, उठने-बैठने और चलने-फिरने में परेशानी होना और शरीर का वजन बढ़ना आदि शामिल है।
गठिया की बीमारी होने पर लोग या तो नीम-हकीम के पास जाते हैं या फिर ऑपरेशन को एकमात्र समाधान मानते हैं। अब लखनऊ की श्रीमती गीता को ही ले लीजिए। वह पिछले 6 वर्षों से गठिया रोग से परेशान थी। उनका चलना फिरना बहुत ही मुश्किल हो गया था। उनका घुटना घिस गया था, इसलिए डॉक्टर ने उन्हें ऑपरेशन करने की सलाह दी। गीता ऑपरेशन करवाना नहीं चाहती थी। उन्होंने दूसरा उपाय ढूंढ़ा, तब उन्हें वाचक आयुर्वेद के बारे में पता चला। यह एक ऐसी जगह है, जहां गठिया के मरीजों का इलाज आयुर्वेदिक तरीके से होता है। गीता ने अपना यहां इलाज करवाया। आज वह न केवल चल फिर सकती हैं, बल्कि उनके घूटनों में नई जान भी आ गई है।
गीता की तरह लखनऊ की श्रीमती दयावती को भी वाचक आयुर्वेद से बहुत फायदा मिला। दरअसल दयावती की समस्या थोड़ी गंभीर थी। उनके जोड़ों में दर्द और सूजन रहता था। घर का काम करने, सीढ़िया चढ़ने और बैठने-उठने में बहुत ही दिक्कत आती थी। उन्होंने जांच कराया तो पता चला कि उनका रुमेटॉएड आर्थराइटिस फैक्टर बढ़ा हुआ है। दर्द इतना ज्यादा था कि उससे राहत पाने के लिए वह अंग्रेजी दवाईयां लेती थी, जिसकी वजह से उनका पेट खराब भी रहने लगा। वह बहुत परेशान रहती थी तब उन्हें वाचक आयुर्वेद के डॉ. ओम प्रकाश के बारे में पता चला।
उनसे मिलने के बाद, उन्होंने अपना इलाज करवाना शुरू कर दिया। केवल एक महीने के अंदर उन्हें काफी फर्क दिखाई देने लगा और उनके जोड़ों का दर्द और सूजन कम होने लगा। गीता और दयावती से अलग हटकर अगर विनय कुमार की समस्या पर ध्यान दें तो वह पिछले 3 वर्षों से कमर दर्द से परेशान थे। जांच करवाने के बाद पता चला कि उन्हें स्लिप डिस्क है। विनय कुमार की कमर का दर्द इतना ज्यादा था कि उन्हें ऑपरेशन करवाना पड़ा, लेकिन उन्हें फिर भी राहत नहीं मिली। उन्होंने वाचक आयुर्वेद की ओर रूख किया। आज उनकी स्थिति में काफी सुधार है। वह अपने काम सामान्य रूप से कर पा रहे हैं।
आज बीमारियों के इलाज को लेकर कई तरह के साधन उपलब्ध हैं। इसके बावजूद भी लोग आयुर्वेद पर अपना भरोसा दिखा रहे हैं। वाचक आयुर्वेद ने भी अपने काम से लोगों का भरोसा जीता है। आयुर्वेद स्पेशलिस्ट डॉ. ओम प्रकाश वर्मा की अगुवाई में इस संस्थान ने कमर में दर्द, कंधे में दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, एडी का दर्द, गठिया, रुमेटॉएड आर्थराइटिस, स्लिपडिस्क और स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित मरीजों के चेहरों पर मुस्कान लाई है।
अगर आपको भी इससे संबंधित समस्या है तो आप 7080239313 और 7570060266 पर संपर्क कर सकते हैं। डॉ. ओम प्रकाश वर्मा ने अपने काम से सबका दिल जीता है। इसके लिए उन्हें “प्राईड ऑफ एशिया” का ऑवार्ड भी मिला है। यह पुरस्कार उन्हें आयुर्वेद के क्षेत्र में थाईलैंड की रॉयल एक्सीलैंसी मॉमलूंग राजदशी जायंकुरा से मिला है।
*This article is in partnership with JNM iCell.