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डेंगू के बारे में ये हैं मिथक बातें, शायद आप नहीं जानते होंगे

डेंगू को आमतौर पर संक्रामक बीमारी समझा जाता है। लेकिन हक़ीकत में डेंगू संक्रामक बीमारी नहीं है क्योंकि ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 03:40 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 12:20 PM (IST)
डेंगू के बारे में ये हैं मिथक बातें, शायद आप नहीं जानते होंगे
डेंगू के बारे में ये हैं मिथक बातें, शायद आप नहीं जानते होंगे

नई दिल्ली, जेएनएन। मौसम के दस्तक देते ही मच्छरों का आंतक भी बढ़ जाता है। एक आंकड़े के अनुसार, हर साल हज़ारों लोग डेंगू की बीमारी से जान गवां देते हैं। ऐसा समय से उपचार न मिलने और जागरूकता के अभाव  की वजह से होता है। इसलिए जरूरत है कि लोगों को इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरुक किया जाए। एडीज़ इजिप्टी मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है। ये मच्छर जमा हुए साफ पानी में पनपते हैं इसलिए मानसून के दौरान जल-जमाव की वजह से इनकी तादाद बढ़ जाती है। 

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डेंगू में सबसे पहले तेज़ बुखार होता है जिसके बाद शरीर पर लाल रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं, साथ ही सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, भूख का कम होना और उल्टी आना इसके लक्षणों में शामिल है। लेकिन डेंगू की पुष्टि रक्तजांच के बाद ही की जा सकती है। डेंगू से बारे में कई ऐसी बातें हैं जो शायद ही आप जानते हों, आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ 5 बातें:

डेंगू करता है श्वेत रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells) पर हमला

अगर डेंगू के मच्छर ने आपको काटा तो यह आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। डेंगू का मच्छर सीधे आपकी श्वेत रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है। जिससे आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ने लगती है। एक डेंगू मच्छर एक बार में 100 के करीब अंडे देता है और ये करीब दो हफ्ते ज़िंदा रहता है।

रात में भी काट सकते हैं मच्छर

ऐसा माना जाता है कि डेंगू का मच्छर सिर्फ दिन के उजाले में ही काटता है, लेकिन सच यह है कि वह रात में लाइट के उजाले में भी काट सकता है। डेंगू के मच्छर सुबह और शाम को सूर्यास्त के समय ज़्यादा काटते हैं। ये मच्छर 15-16 डिग्री से कम तापमान में पैदा नहीं हो पाते हैं। डेंगू के सबसे ज़्यादा मामले जुलाई से अक्टूबर के बीच दर्ज किए जाते हैं।

क्या आपके घर में भी पनप रहे हैं डेंगू के मच्छर

दिल्ली स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 41% डेंगू मच्छर प्लास्टिक के ड्रम और टंकियों में पैदा होते हैं। इसके साथ ही कूलर में 12% और निर्माण स्थलों पर इस्तेमाल होने वाले लोहे के कंटेनरों में 17% डेंगू मच्छर पैदा होते हैं।

प्लेटलेट्स की कमी नहीं है मौत की वजह

आमतौर पर लोगों का ऐसा मानना होता है कि डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की कमी से मरीज़ की मौत हो जाती है। लेकिन शायद ही लोग जानते हों कि डेंगू में मौत की असल वजह कैपिलरी लीकेज होती है। अगर किसी मरीज को कैपिलरी लीकेज होता है तो ऐसी स्थिति में उसे तरल आहार देना चाहिए। ऐसा तब तक करते रहना चाहिए, जब तक हाई और लो ब्लड प्रेशर का अंतर 40 से ज्यादा न हो जाए।

डेंगू नहीं होती संक्रामक बीमारी

डेंगू को आमतौर पर संक्रामक बीमारी समझा जाता है। लेकिन हक़ीकत में डेंगू संक्रामक बीमारी नहीं है क्योंकि ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती। डेंगू बीमारी के चार प्रकार होते हैं। मरीज़ को एक बारी में एक ही प्रकार का डेंगू होता है और दूसरी बार डेंगू दूसरी तरह का होता है। डेंगू बीमारी को लेकर लोगों का मानना होता है कि इस दौरान प्लेटलेट्स काउंट बहुत मायने रखते हैं और सिर्फ़ इन्हें बढ़ाने पर ज़ोर देना चाहिए। आपको बता दें कि जिन मरीजों के प्लेटलेट काउंट 10,000 से कम पहुंच जाते हैं सिर्फ़ उन्हीं मरीज़ों के लिए डेंगू जानलेवा स्थिति में पहुंचने की संभावना होती है।


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