Real & Fake Brands Difference: असली और नकली ब्रैंड्स में होते हैं ये 5 फर्क, ऐसे समझें...
Real Fake Brands Difference अगर आप भी अनजाने में नकली ब्रैंड इंडस्ट्री का शिकार हुए हैं और असली और फेक में फर्क नहीं कर पाते हैं तो ये आर्टिकल आपके काम का है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Real & Fake Brands Difference: बड़े ब्रैंड्स की नकल करने वाले फेक ब्रैंड्स की अपनी ही एक इंडस्ट्री है और ये तेज़ी से बढ़ती जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई ग्राहक असली और नकली ब्रैंड से अनजान रहते हैं और वह फेक ब्रैंड्स का सामान खरीदते हैं क्योंकि वह कम दाम में मिल रहा होता है। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जो कम दाम का फायदा उठाकर जानकर भी नकली ब्रैंड का सामान खरीदते हैं।
अगर आप भी अनजाने में नकली ब्रैंड इंडस्ट्री का शिकार हुए हैं और असली और फेक में फर्क नहीं कर पाते हैं, तो ये आर्टिकल आपके काम का है। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप भी असली और नकली ब्रैंड में फर्क समझकर जागरुक रह सकते हैं।
1. सिलाई
कोई भी अच्छा ब्रैंड अपने प्रोडक्ट को बनाने में काफी महनत करता है। सिलाई सफाई का साथ-साथ एक तरह से की जाती है। फेक ब्रैंडेड प्रोडक्ट के मुकाबले बड़े ब्रैंड्स हर स्क्वेर इंच के हिसाब से सिलाई करते हैं। यही वजह है कि लक्ज़री चीज़ें क्यों ज़्यादा महंगी आती हैं, क्योंकि वह अपने प्रोडक्ट के लिए अच्छा और ज़्यादा मटीरियल का इस्तेमाल करते हैं।
2. फैबरिक/कपड़ा
हमेशा ये बात याद रखें कि लग्ज़री ब्रैंड्स का सामान इतना महंगा क्यों होता है। ये ब्रैंड्स हमेशा अच्छी क्वालिटी का लेदर, हाई-क्वालिटी के बटन और सभी अच्छी चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, नकली ब्रैंड लेदर की जगह फॉक्स लेदर का इस्तेमाल करते हैं। असली चमड़े का टेक्स्चर एक जैसा नहीं होता और वह चमकता भी नहीं है।
3. ब्रैंड का नाम
एक समय था जब नकली ब्रैंड्स अपने सामान पर असली ब्रैंड के नाम की स्पेलिंग गलत लिखते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है फिर भी कॉपीराइट की वजह से नकली ब्रैंड हू-ब-हू कॉपी से बचते हैं। इसलिए सामान खरीदते समय लोगो और उस पर लगे टैग्ज़ को अच्छी तरह जांच लें।
4. कीमत
कीमत का फर्क आपको साफ तौर पर दिख जाता है। ज़्यादातर ब्रैंड्स अपने प्रोडक्ट की कीमत ऑनलाइन भी शेयर करते हैं। ज़ाहिर है नकली के मुकाबले असली ब्रैंड या डिज़ाइनर का सामान कहीं ज़्यादा कीमत पर मिलेगा। इसलिए अगर कम दाम की वजह डिस्काउंट बताई जा रही है तो इस बात को न मानें। डिज़ाइनर सामान पर कभी भी 75 प्रतिशत डिस्काउंट नहीं मिलता है। हमेशा लेने से पहले टैग चेक कर लें।
5. ब्रैंड का लोगो
आजकल ब्रैंड का लोगो पहचानना इतना आसान नहीं रह गया है। फेक ब्रैंड्स बड़ी सफाई से लोगो को कॉफी कर लेते हैं। हालांकि, इसके बावजूद असली लोगो और नकली में थोड़ा फर्क ज़रूर होता है। वह इसलिए क्योंकि ब्रैंड्स लगातार अपने लोगो में बदलाव करते रहते हैं और साथ ही काफी डीटेल में बनाते हैं। इसके अलावा ब्रैंड्स के लोगो अच्छी क्वालिटी के मेटल या फिर लेथर से बने होते हैं वहीं, नकली प्रोडक्ट्स में या तो लोगो होगा ही नहीं या फिर सस्ती क्वालिटी का लोगो होगा।