रंगों के त्योहार 'होली'
सारे गिले-शिकवे भूलकर अबीर-गुलाल में नहा कर जब हम सब आपस में गले मिलते हैं, गुझिया खाते हैं, अंताक्षरी खेलते हैं और हुल्लड़ मचाते हैं, तो सही मायनों में दिखता है होली का रंग। रंगों के त्योहार (17 मार्च) पर अपनी दिलचस्प यादें साझा कर रहे हैं, कुछ युवा सेलिब्ि
सारे गिले-शिकवे भूलकर अबीर-गुलाल में नहा कर जब हम सब आपस में गले मिलते हैं, गुझिया खाते हैं, अंताक्षरी खेलते हैं और हुल्लड़ मचाते हैं, तो सही मायनों में दिखता है होली का रंग। रंगों के त्योहार (17 मार्च) पर अपनी दिलचस्प यादें साझा कर रहे हैं, कुछ युवा सेलिब्रिटीज..
बॉन्डिंग बढ़ती है ग्रुप में
टोली में होली न खेलो तो होली का मजा ही क्या। मैं होली के दिन फैमिली और फ्रेंड्स के साथ बहुत मस्ती करती हूं। यही तो एक फेस्टिवल है, जिस दिन आप बच्चों की तरह बिहैव कर सकते हैं, बच्चे बन सकते हैं। किसी को भी रंग लगाइए और बोल दीजिए 'बुरा न मानो होली है।' हां, पर किसी को जबर्दस्ती रंग न लगाएं। खाने का भी बहुत मजा रहता है। दिन भर होली खेलो और भागते रहो तो भूख भी जम कर लगती है। दूध-जलेबी खाना अच्छा लगता है। मैं और मेरे भाई तो जमकर होली खोलते हैं। शक्ल बदल जाती है हमारी। ग्रुप में खेलते हैं तो बॉडिंग भी बढ़ती है।
क्रिस्टिल डिसूजा एक्टर
देखे हैं हर रंग
अब टोली में तो होली नहीं खेलती, लेकिन आज व्यस्त होने की वजह से होली पर होने वाले जमावड़े को मिस करती हूं। वास्तव में होली तो सबके साथ मिलकर एंज्वॉय करने वाला फेस्टिवल है। इंडिया के अलग-अलग शहरों में रही हूं। जब ऊटी में रहती थी, तो साउथ की हल्की होली देखी और दिल्ली, पानीपत की सॉलिड होली का भी एक्सपीरियंस है मुझे। हर जगह सबसे मिलजुल कर होली खेलने का आनंद आया। अपने दोस्तों के लिए समय निकाल कर और परिवार के साथ मौज-मस्ती के बीच होली सेलिब्रेट करना भाता है मुझे।
मृणालिनी फैशन डिजाइनर
पिचकारी और गुब्बारों से लैस
मैं अपनी फैमिली से बहुत क्लोज हूं। मेरे लिए कोई भी त्योहार बहाना होता है परिवार के साथ समय बिताने का। जब फैमिली मेंबर्स साथ होते हैं, तो सेलिब्रेशन अपने आप ही हो जाता है। बचपन में मैं बहुत होली खेलती थी। बॉम्बे में रहते थे। फ्रेंड्स का एक पूरा ग्रुप था। सब टोली में निकलते थे। पिचकारी और गुब्बारों से लैस। सोसायटी में शानदार लंच होता। हर साल हुल्लड़ के साथ होली मनाते थे। अब भले ही बिजी शिड्यूल की वजह से टाइम निकालना मुश्किल हो जाता है, लेकिन हुल्लड़ वाली होली को मैं अब भी मिस करती हूं।
तुलसी कुमार सिंगर
रंग खेलें, पर संभल कर
दोस्तो, होली तो आप खेलेंगे, लेकिन थोड़ा अलर्ट रहेंगे, तो रंग में भंग नहीं पड़ेगा और यादगार रहेगी आपकी होली ..
-स्किन पर क्रीम या लोशन लगा लें, ताकि रंग का इफेक्ट कम हो और यह आसानी से उतर भी जाए।
-गीले रंग ज्यादा नुकसानदेह होते हैं, इसलिए इनसे बचें।
-ध्यान रखें कि आंख, मुंह और कान में रंग न जाए।
-सुरक्षित होली मनाने के लिए नेचुरल या ऑर्गेनिक कलर्स
बेस्ट हैं।
-ऑयल पेंट व वार्निश का प्रयोग तो बिल्कुल न करें।
-रंगों को छुड़ाने के लिए नींबू का इस्तेमाल करें।
-शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
रंगों को जल्दी उतार लें ताकि दाग न पड़े।
-अगर आखों में रंग चला जाए तो मसलें नहीं।
-आंखों को तुरंत साफ ठंडे पानी से धोएं।
-नहाने के बाद भी शरीर पर क्रीम लगाना न भूलें।
होली का हर पल कीमती
होली में चाहे कुछ भी हो, हमारी टोली जुटती ही है। यही दिन एक ऐसा है जब मैं सभी दोस्तों से मिलना नहीं भूलता। मेरी यह आदत बचपन से आज तक बरकरार है। होली पर या तो मैं दिल्ली चला जाता हूं या फिर मेरे दोस्त यहां आ जाते हैं। मेरे लिए होली का मतलब, भांग और मिठाई नहीं, सिर्फ और सिर्फ कलर्स ही हैं। हर होली मेरे लिए स्पेशल है। दोस्तों और परिवार के साथ बिताया हर पल कीमती है। होली मुझे अपने बचपन की याद दिलाती है। जब हम बेसब्री से इस खूबसूरत त्योहार का इंतजार करते थे। इतनी मस्ती करते थे कि हद नहीं।
अंकित गेरा एक्टर