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पशुओं की निराली दुनिया

दोस्तो, आज दुनिया भर में 'पशु दिवस' मनाया जा रहा है। आज के लिए खास संदेश यह है कि इंसान और पशुओं के बीच ऐसा आत्मीय रिश्ता बने, जिसमें हम उन्हें नुकसान न पहुंचाएं, बल्कि उनसे और ज्यादा प्यार कर सकें। इस 'पशु पर्व' के मौके पर जानते हैं पशुओं की दुनिया की

By Edited By: Published: Fri, 04 Oct 2013 11:55 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2013 11:55 AM (IST)
पशुओं की निराली दुनिया

दोस्तो, आज दुनिया भर में 'पशु दिवस' मनाया जा रहा है। आज के लिए खास संदेश यह है कि इंसान और पशुओं के बीच ऐसा आत्मीय रिश्ता बने, जिसमें हम उन्हें नुकसान न पहुंचाएं, बल्कि उनसे और ज्यादा प्यार कर सकें। इस 'पशु पर्व' के मौके पर जानते हैं पशुओं की दुनिया की कुछ निराली बातें..

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- कैलिफोर्निया एकेडमी ऑफ साइंस के अनुसार, ऊंट छह माह तक बिना पानी के भी रह सकता है।

-चीता एक घंटे में 112 किमी की रफ्तार से दौड़ सकता है।

-हाथी अपनी सूंढ़ में 5 लीटर तक पानी रख सकता है।

-व्हेल मछली उल्टी दिशा में नहीं तैर सकती।

-समुद्र मे गहरा गोता लगाने के लिए मगरमच्छ कभी-कभी भारी पत्थर भी निगल लेता है।

-शेर को भले ही जंगल का राजा कहा जाता है, लेकिन वह गैंडे और हाथी से कभी भी लड़ना नहीं चाहता।

-पालतू पशु कुत्ते की श्रवणशक्ति यानी सुनने की क्षमता मनुष्य से 9 गुना अधिक तेज होती है।

-हिप्पोपोटामस (दरियाई घोड़ा) उन बहुत कम जानवरों में से एक है, जो पानी में बच्चों को जन्म देता है।

-ब्लू व्हेल का हृदय एक मिनट में मात्र 9 बार ही धड़कता है।

-घोडे़ खडे़-खडे़ नींद ले सकते हैं।

फ्रांसिस असीसी पर्व

सेंट फ्रांसिस इटली के संत थे। इनका असली नाम फ्रांसिस्को द पियेट्रो द बर्नाडोन था। इनके जन्म के बारे में ठीक-ठीक जानकारी नहीं है। ब्रिटेनिका इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, सेंट फ्रंासिस का जन्म 1181-82 के आसपास हुआ था। ये पर्यावरण और पशुओं के प्रति समर्पित थे। 3 अक्टूबर, 1226 को इनकी मृत्यु हुई और इसके अगले दिन यानी 4 अक्टूबर को इटलीवासियों ने और बाद में पूरी दुनिया में 'पशु कल्याण दिवस' के रूप में मनाया। पशु दिवस को पूरी दुनिया फ्रांसिस ऑफ असीसी पर्व के रूप में सेलिब्रेट करती है।

आओ पहल करें

पशुओं की रक्षा और उसके हित की बातें सभी करते हैं, लेकिन अपनी ओर से पहल करने वालों की संख्या बहुत कम है। सड़क पर पड़े पशुओं के साथ जितनी बेरहमी से सुलूक किया जाता है, उसे देखकर कह सकते हैं कि लोग पशुओं के प्रति संवेदनशील नहीं हो सके हैं। पशुओं के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होने देंगे, इसका हमें संकल्प लेना चाहिए और दूसरों के लिए उदाहरण बनना चाहिए।

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