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नामुमकिन कुछ भी नहीं

सिविल सर्विसेज एग्जाम के बदलते पैटर्न के बीच खुद को तैयार करना स्टूडेंट्स के लिए मुश्किल जरूर है, लेकिन सही स्ट्रेटेजी अपनाएं, तो सफलता दूर नहीं.. एक बार फिर देश के सबसे प्रतिष्ठित एग्जाम सिविल सर्विसेज के लिए स्टूडेंट्स के बीच जद्दोजहद शुरू हो गई है। कुछ कैंडिडेट्स का इस बार लास्ट अटेम्प्ट है, कुछ का दूसरा, तीसरा या चौथा। कई कैंडिडे

By Edited By: Published: Tue, 27 May 2014 12:02 PM (IST)Updated: Tue, 27 May 2014 12:02 PM (IST)
नामुमकिन कुछ भी नहीं

सिविल सर्विसेज एग्जाम के बदलते पैटर्न के बीच खुद को तैयार करना स्टूडेंट्स के लिए मुश्किल जरूर है, लेकिन सही स्ट्रेटेजी अपनाएं, तो सफलता दूर नहीं..

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एक बार फिर देश के सबसे प्रतिष्ठित एग्जाम सिविल सर्विसेज के लिए स्टूडेंट्स के बीच जद्दोजहद शुरू हो गई है। कुछ कैंडिडेट्स का इस बार लास्ट अटेम्प्ट है, कुछ का दूसरा, तीसरा या चौथा। कई कैंडिडेट्स तो पहली बार अपीयर होंगे। इनमें कई ऐसे भी होंगे, जिन्होंने प्री-एग्जाम क्वालिफाई किया होगा, लेकिन मेन्स में चूक गए होंगे। कई ऐसे भी होंगे, जो सी-सैट की वजह से प्रीलिमिनरी राउंड भी क्वालिफाई नहींकर पाए होंगे। दरअसल, एग्जाम के बदलते पैटर्न से कैंडिडेट्स की मुश्किलें जरूर बढ़ी हैं, लेकिन सी-सैट के आने के बाद से नए कैंडिडेट्स न केवल एग्जाम क्वालिफाई कर रहे, बल्कि अच्छी रैंक भी हासिल कर रहे हैं यानी स्ट्रेटेजी सही हो, तो सिविल सर्विसेज के इस क्वालिफाइंग राउंड को क्लीयर करना ज्यादा मुश्किल या पेंचीदा नहींहोगा।

स्मार्ट स्ट्रेटेजी से सफलता

सीबीआइ में एसपी के पद पर तैनात 2005 बैच के आइपीएस राजीव रंजन यूपीएससी में सफलता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी पेशेंस और टाइम मैनेजमेंट को मानते हैं। वह बताते हैं कि कुछ स्टूडेंट्स सुबह से लेकर रात तक पढ़ते रहते हैं। यह ठीक नहीं है। सलेक्शन के लिए सुबह-शाम मिलाकर 8 घंटे की पढ़ाई काफी है। खुद को अप-टु-डेट रखें और ब्रॉड स्टडी पर फोकस करें, क्योंकि कहां से क्या पूछा जाएगा, कहना मुश्किल है।

हालांकि राजीव ने कभी भी प्रीलिम्स, मेन्स या इंटरव्यू के लिए किसी कोचिंग की मदद नहीं ली। अपने होमटाउन में ही सेल्फ स्टडी के जरिए उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट में सफलता हासिल की। उनकी ऑल इंडिया रैंक 112 थी। वह स्टूडेंट्स को भी यही सलाह देते हैं कि सी-सैट के दूसरे पेपर के लिए किसी कोचिंग में नहीं, घर पर पढ़ना और क्वैश्चन पेपर की प्रैक्टिस करना सही रहेगा। खुद पर भरोसा रखकर पढ़ाई करें। तय टाइम फ्रेम में क्वैश्चन पेपर सॉल्व करने की प्रैक्टिस करें। इसके अलावा, जिन्होंने हाल ही में सिविल सर्विसेज एग्जाम क्वालिफाई किया है, उनसे मौके मिलने पर गाइडेंस जरूर लें।

सी-सैट से डरें नहीं

सी-सैट से डरने की कोई जरूरत नहींहै। अगर सही स्ट्रेटेजी अपनाई जाए, तो सौ फीसदी सफलता मिल सकती है, लेकिन बदलते पैटर्न को देखते हुए अपनी तैयारी मॉडिफाई करने की जरूरत है।

शिवेश मिश्र, डायरेक्टर, दृष्टि एकेडमी

कॉम्प्रिहेंशन पर ध्यान दें

अगर आपमें ऑब्जर्वेशन ऐंड एनालिटिकल क्वालिटी है, तो सी-सैट क्वालिफाई करना आपके लिए जरा भी मुश्किल नहींहै। क्वैश्चंस के हिसाब से आपको अपनी तैयारी करनी होगी। हर रोज न्यूजपेपर के आर्टिकल काम्प्रिहेंसिव तरीके से पढ़ें और प्रैक्टिस करें।

आलोक कुमार, डायरेक्टर,

गुरुकुल एकेडमी

हर सेक्शन की तैयारी करें

सी-सैट में सक्सेस के लिए आपको इसके हर सेक्शन की सीरियसली तैयारी करनी होगी। फिर भी मैथ्स, रीजनिंग और काम्प्रिहेंशन की अच्छी प्रैक्टिस करके सफलता पक्की कर सकते हैं, क्योंकि ये सेक्शंस स्कोरिंग भी हैं और ज्यादा क्वैश्चंस कवर भी करते हैं।

श्वेता सत्यम, डायरेक्टर,

मीमांसा आइएएस

सी-सैट

-2011 में पहली बार हुआ लागू

-एडमिनिस्ट्रेशन स्किल्स को प्रमुखता

सिलेबस पैटर्न

-कॉम्प्रिहेंशन

-इंटरपर्सनल स्किल्स ऐंड कम्युनिकेशन स्किल

-लॉजिकल रीजनिंग ऐंड एनालिटिकल एबिलिटी

-डिसीजन मेकिंग ऐंड प्रॉब्लम सॉल्विंग

-जनरल मेंटल एबिलिटी

-बेसिक न्यूमरेसी ऐंड डेटा एंटरप्रेटेशन

-इंग्लिश लैंग्वेज कॉम्प्रिहेंशन

मैथ्स है स्कोरिंग

जनरल मेंटल एबिलिटी सेक्शन में आप फुल स्कोर कर सकते हैं, बस जरूरत है मैथ्स पर कमांड की। मैथ्स बैकग्राउंड वाले स्टूडेंट्स के लिए यह स्कोरिंग हो जाता है। सीए स्वर्णिमा पहली बार सिविल सर्विसेज का एग्जाम देने जा रही हैं। वह कहती हैं, मुझे सी-सैट का सेकंड पेपर आसान लगता है, क्योंकि यह पेपर ज्यादा मैथमैटिकल है। एप्टिट्यूड टेस्ट का एक क्वैश्चन 2.5 मा‌र्क्स का होता है। मैथ्स बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स इसमें ज्यादा स्कोर कर सकते हैं।

कोचिंग की जरूरत नहीं

पैटर्न चेंज होने के बाद ज्यादातर स्टूडेंट्स के मन में सी-सैट को लेकर डर बैठ गया। एक बड़ा सवाल सबको परेशान करने लगा, अब सी-सैट की तैयारी कैसे करें? कौन-सा कोचिंग संस्थान बेस्ट तैयारी कराता है ? लेकिन एक्सप‌र्ट्स और स्टूडेंट्स की राय में कोचिंग की कुछ खास जरूरत नहीं है। दिल्ली के नेहरू विहार में रहकर तैयारी कर रहे निर्मल निशांत कहते हैं, सी-सैट लागू होने के बाद मैंने जमकर तैयारी की। पहली बार में ही प्रीलिम्स क्वालिफाई भी कर लिया। अगले साल 2012 में मैं क्वालिफाई नहीं कर सका। कई सारे क्वैश्चंस टफ थे, खास तौर पर इंग्लिश और मैथ्स के। 2013 के लिए मैंने सेकंड पेपर के लिए ढेर सारे प्रैक्टिस सेट्स सॉल्व किए। पेपर सॉल्व करते समय टाइम फ्रेम का भी ख्याल रखा। नतीजा पॉजिटिव रहा। एक बार फिर प्रीलिम्स एग्जाम क्वालिफाई कर लिया, लेकिन इन सबमें मैंने किसी कोचिंग की मदद नहीं ली।

टाइम मैनेजमेंट से प्रिपरेशन

सासाराम (बिहार) के रहने वाले प्रवीण ंिसंह ने 2012 में सिविल सर्विसेज का लास्ट अटेम्प्ट दिया था। अच्छी तरह पढ़ाई की थी। प्रैक्टिस पेपर भी खूब सॉल्व किए थे, आखिरकार वह प्रीलिम्स क्वालिफाई नहींकर सके। प्रवीण बताते हैं कि सी-सैट में सफलता के लिए सुनियोजित ढंग से तैयारी जरूरी है। मैं एग्जाम इसलिए क्वालिफाई नहीं कर सका, क्योंकि सेकंड पेपर में अच्छा स्कोर नहीं कर पाया और इसकी वजह थी टाइम मैनेजमेंट का न होना। इसके बिना एक क्वैश्चन 5-6 क्वैश्चंस का टाइम ले लेता है। इससे आप प्रेशर में आ जाते हैं। नतीजा सारे क्वैश्चंस सॉल्व नहींकर पाते।

डेवलप योर कॉम्प्रिहेंसिव पावर

सी-सैट के सेकंड पेपर का अहम हिस्सा है कॉम्प्रिहेंशन, चाहे वह बाइलिंग्वल हो या इंग्लिश। इस सेक्शन में आपकी ऑब्जर्वेशन और एनालिसिस करने की क्वालिटी परखी जाती है। पहली बार सिविल सर्विसेज के प्रीलिमिनरी एग्जाम में हिंदी मीडियम से अपीयर होने वाले पटना के अभय सिन्हा अपनी सफलता के प्रति बेहद पॉजिटिव हैं। इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन सेक्शन की वह खास तौर पर तैयारी कर रहे हैं। वह बताते हैं कि मैं हर रोज इंग्लिश न्यूज पेपर पढ़ता हूं और रोज एक पैराग्राफ ट्रांसलेट करता हूं। इसका मुझे फायदा भी समझ में आ रहा है। बाइलिंग्वल कॉम्प्रिहेंशन मुझे टफ लगता था, लेकिन अब धीरे-धीरे कॉन्फिडेंस बढ़ता जा रहा है।

कन्फ्यूजन करें दूर

सी-सैट को लेकर कैंडिडेंट्स में ढेर सारी कन्फ्यूजंस होती हैं। ज्यादातर के क्वालिफाई न कर पाने की एक बड़ी वजह यही होती है। ग्वालियर के नवीन चौहान 2011 से लगातार एग्जाम दे रहे हैं, लेकिन?आखिरी बार 2013 में भी वह क्वालिफाई नहींकर सके। वह बताते हैं कि सी-सैट मेरे लिए पूरी तरह से नया था। इसलिए मैं इसे क्वालिफाई नहीं कर पाया। एग्जाम से पहले मैं किसी से कुछ पूछता भी था, तो लोग खुद कन्फ्यूज्ड थे, इसलिए सही जवाब नहीं दे पाते थे। असफल इसलिए भी हुआ कि सी-सैट को लागू करने से पहले यह क्लीयर नहीं किया गया था कि कितने क्वैश्चंस पूछे जाएंगे। हिंदी मीडियम का स्टूडेंट होने के कारण इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन मुझे काफी टफ लगा। मैथ्स और रीजनिंग में भी मैं अच्छा स्कोर नहीं कर पाया। जीएस में अच्छा करने के बावजूद मेरे हाथ निराशा ही आई। अगर समय रहते इस पर प्रॉपर गाइडेंस मिलती, मैं थोड़ा और एनालिटिकल अप्रोच से तैयारी करता, तो शायद सफल हो जाता।

सारे सेक्शंस पर ध्यान दें

दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहकर तैयारी करने वाले राहुल सी-सैट सिलेबस लागू होने के बाद पहली बार प्रीलिमिनरी एग्जाम में अपीयर होने जा रहे हैं। राहुल बताते हैं कि सी-सैट की तैयारी के लिए मैं इसके दूसरे पेपर, एप्टिट्यूड टेस्ट के पेपर में ज्यादा समय देता हूं, क्योंकि मेरे लिए यह नया है। मेरा मीडियम इंग्लिश है। इसलिए मुझे इंग्लिश के लिए अलग से नहीं पढ़ना पड़ता है। इसके लिए मैं रीजनिंग और मैथ्स के लिए घर पर ही मैक्सिमम प्रैक्टिस करता हूं। सारे सेक्शंस की प्रॉपर प्रिपरेशन बहुत जरूरी है। शुरुआत में इसे लेकर बहुत कन्फ्यूजंस थे। जब तक आप कन्फ्यूज्ड रहेंगे, आगे नहींबढ़ पाएंगे। इसलिए जरूरी है कि बदलते पैटर्न के हिसाब से खुद को तैयार करें।

स्ट्रेटेजी बनाकर करें तैयारी

सी-सैट के बदलते पैटर्न के बावजूद कैंडिडेट्स लगातार सफल हो रहे हैं। बस जरूरत है तो यह ऑब्जर्व करने की कि जो कैंडिडेट्स सफल हो रहे हैं, उनकी स्ट्रेटेजी क्या रही जो असफल रहे, उनकी असफलता की वजह क्या रही? आपके स्ट्रांग और वीक प्वाइंट्स क्या हैं? और आपको अपनी सफलता के लिए कौन-सी स्ट्रेटेजी अपनानी है? एनालाइज करें, प्लान करें, सफलता की ओर जरूर बढ़ेंगे।

एक्सपर्ट एडवाइस

-सिलेबस के हिसाब से तैयारी करें।

-सभी सेक्शंस पर पूरा ध्यान दें।

-न्यूजपेपर्स डेली पढ़ें।

-हर रोज प्रैक्टिस पेपर सॉल्व करें।

-टाइम फ्रेम में क्वैश्चन सॉल्व करें।

-सक्सेसफुल कैंडिडेट्स से मिलकर टिप्स लें।

-जर्नल्स और टीवी से खुद को अपडेट रखें।

-इंग्लिश वोकैब की तैयारी पर खास ध्यान दें।

-लगातार स्टडी की बजाय स्मार्ट स्टडी करें।

-पिछले साल के क्वैश्चन पेपर्स सॉल्व करें।

-मैथ्स और रीजनिंग में एक्यूरेसी का ध्यान दें।

प्रैक्टिस से बनेगी बात

इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन के लिए न्यूज पेपर्स और आर्टिकल्स पढ़ना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। कॉम्प्रिहेंशन में जो चार स्टेटमेंट दिए होते हैं, वे पहली नजर में एक-दूसरे से मिलते-जुलते लगते हैं। इसलिए उन्हें बहुत ध्यान से पढ़ने के बाद ही जवाब देना चाहिए।

डॉ. नवीन अग्रवाल

आइएएस (34वींरैंक, 2012 बैच)

मेहनत का विकल्प नहीं

पहले पेपर में 100 में से 40 से 50 क्वैश्चंस का ही जवाब दिया जा सकता है। दूसरी तरफ सी-सैट का सेकंड पेपर है, जिसमें 80 क्वैश्चंस में से लोग 50 से ज्यादा क्वैश्चंस सॉल्व नहीं किए जा सकते। मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स इस पेपर में कम से कम 75 क्वैश्चंस कर लेते हैं। इस पेपर के लिए किसी कोचिंग की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह प्रैक्टिस बेस्ड पेपर है। इसके लिए जितनी प्रैक्टिस की जाए, उतना ही अच्छा रिजल्ट हासिल होगा।

साकेत रंजन, आईआरटीएस (2011 बैच)

लॉजिकल अप्रोच जरूरी

सी-सैट से साइंस स्ट्रीम वाले

(इंजीनियरिंग और मेडिकल) कैंडिडेट्स को फायदा मिला है, क्योंकि वे रीजनिंग, एनालिटिकल क्वैश्चंस और मैथ्स आदि के सवालों को आ‌र्ट्स और कॉमर्स बैकग्राउंड वालों के मुकाबले ज्यादा तार्किक तरीके से सॉल्व करते हैं। लेकिन अगर हिंदी मीडियम के स्टूडेंट भी लॉजिकल अप्रोच डेवलप करें, तो सक्सेस जरूर मिलेगी।

रचित पांडेय, इंडियन फॉरेस्ट सर्विस

(23वीं रैंक, 2013 बैच)

कॉन्सेप्ट ऐंड इनपुट: मिथिलेश श्रीवास्तव,

राजीव रंजन और अंशु सिंह


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