एडमिशन की जद्दोजहद
दिल्ली यूनिवर्सिटी यानी डीयू में एडमिशन शुरू होने वाले हैं। दिल्ली के अलावा देशभर से स्टूडेंट्स अपने पसंदीदा कॉलेज में दाखिले के लिए पहुंचेंगे, लेकिन मुमकिन है कि कट ऑफ के कारण बहुत सारे स्टूडेंट्स को मनपसंद कॉलेज में अपना फेवरेट सब्जेक्ट न मिले। अगर ऐसा हो, तो क्या होगा? क्या आप डीयू के टॉप कॉलेज के किसी भी को
दिल्ली यूनिवर्सिटी यानी डीयू में एडमिशन शुरू होने वाले हैं। दिल्ली के अलावा देशभर से स्टूडेंट्स अपने पसंदीदा कॉलेज में दाखिले के लिए पहुंचेंगे, लेकिन मुमकिन है कि कट ऑफ के कारण बहुत सारे स्टूडेंट्स को मनपसंद कॉलेज में अपना फेवरेट सब्जेक्ट न मिले। अगर ऐसा हो, तो क्या होगा? क्या आप डीयू के टॉप कॉलेज के किसी भी कोर्स में एडमिशन ले लेंगे? क्या इस तरह सिर्फ कॉलेज के पीछे भागना सही होगा? क्यों न उस कोर्स को चुनें, जो आपके करियर में मददगार हो। यानी फेवरेट कॉलेज न भी मिले, तो किसी ऐसे संस्थान में दाखिला ले लें, जहां आपको पसंदीदा सब्जेक्ट मिल सके। कोई भी डिसीजन लेने से पहले यह जरूर ध्यान रखें कि भविष्य के लिए क्या सही है? कोर्स को प्राथमिकता देना जायज है या कॉलेज को? फैसला आपके हाथ में है..
डीयू में साल दर साल दाखिले की दौड़ मुश्किल होती जा रही है। कट ऑफ बढ़ रही है। इससे स्टूडेंट्स को चाहकर भी मनपसंद कॉलेज में दाखिला मिलना मुश्किल होता जा रहा है। डीयू की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट शिवानी को विश्वास था कि पिछले साल उसका मिरांडा हाउस में फिजिक्स ऑनर्स में एडमिशन हो जाएगा। वह स्कूल के समय से ही यहां पढ़ने का सपना संजोए हुई थी, लेकिन उसका सपना पूरा नहीं हो सका और आखिर में हिंदू कॉलेज में दाखिला लेना पड़ा। असल में आज मुश्किल यह भी हो गई है कि डीयू में कटऑफ का परसेंटेज लगातार बढ़ रहा है, तो 90 परसेंट मार्क्स लाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में अच्छे मार्क्स लाने के बावजूद मनपसंद कॉलेज और सब्जेक्ट्स में एडमिशन मिलना मुश्किल हो गया है। फिर भी फेवरेट कॉलेज में पढ़ने की जिद में स्टूडेंट्स उस कोर्स में भी दाखिला लेने से नहीं हिचकते हैं, जिसमें उनकी खास दिलचस्पी नहीं होती है। इस तरह वे अपना ग्रेजुएशन तो कंप्लीट कर लेते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि आगे चलकर पसंद की जॉब भी मिल जाए। सवाल है कि क्या कोर्स से ज्यादा इंपॉर्टेंट है कॉलेज
अब जब आगामी 2 जून से डीयू के अंडरग्रेजुएट कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, तो कोई भी निर्णय सोच-समझकर लें, क्योंकि यह आपके ब्राइट करियर से जुड़ा है।
नए सेशन में बदलाव
दिल्ली यूनिवर्सिटी के किसी भी कॉलेज में एडमिशन के लिए इस बार यहां सेंट्रलाइज्ड एडमिशन होगा यानी स्टूडेंट्स को एक कॉमन प्री एडमिशन फॉर्म भरना होगा। इसके बाद कट ऑफ जारी होने पर कॉलेजों में दाखिला मिलेगा। पिछले साल डीयू ने इंग्लिश लैंग्वेज और जर्नलिज्म कोर्स के लिए एंट्रेंस खत्म कर दिया था। इस बार हिंदी जर्नलिज्म, फॉरेन लैंग्वेज और सोशल वर्क कोर्स में प्रवेश परीक्षा नहींहोगी। इसके बदले बेस्ट ऑफ फोर के एग्रीगेट मार्क्स के बेसिस पर एडमिशन होगा। बीएमएस में 50 फीसदी वेटेज एंट्रेस टेस्ट और 50 फीसदी इंटरमीडिएट बेस्ट फोर सब्जेक्ट्स में मार्क्स के बेस पर दिए जाएंगे।
सब्जेक्ट सलेक्शन इंपॉर्र्टेट
डीयू में पढ़ने का सपना शायद हर स्टूडेंट देखता है। यही नहीं, वह अपने फेवरेट सब्जेक्ट के साथ किसी प्रतिष्ठित कॉलेज से ग्रेजुएशन करना चाहता है, लेकिन अगर कहीं कॉलेज के चक्कर में बिना दिलचस्पी वाले सब्जेक्ट को सलेक्ट कर लिया, तो उससे परफॉर्र्मेस पर असर पड़ता है। जब अच्छे ग्रेड्स नहीं आएंगे, तो करियर कैसे बनेगा? करियर के विकल्प कम हो जाएंगे, सो अलग। इसलिए बेहतर होगा कि कॉलेज नहीं, अपना फेवरेट कोर्स चुनें। वैसे भी सीवी में दिल्ली यूनिवर्सिटी का नाम ही काफी वजन रखता है।
क्लीयर गोल से कन्फ्यूजन नहीं
करियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा कहती हैं कि जो स्टूडेंट्स अपने करियर गोल को लेकर क्लीयर होते हैं, उनके सामने कॉलेज या सब्जेक्ट के बीच सलेक्शन को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं होता है। करियर ओरिएंटेड स्टूडेंट्स कॉलेज से ज्यादा सब्जेक्ट को इंपॉर्र्टेस देते हैं और जिन्हें पता नहीं होता कि आगे चलकर क्या करना है, वे ही कॉलेज के पीछे भागते हैं। मैं तो स्टूडेंट्स को यही सलाह दूंगी कि वे ऐसे सब्जेक्ट को चुनें जो उन्हें करियर बनाने में मदद करे। दूसरों की देखा-देखी कभी न करें। मसलन, अगर कोई कॉलेज कॉमर्स कोर्स के लिए जाना जाता है और आपको उस सब्जेक्ट में एडमिशन न मिले, तो उसी कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स करना ठीक नहीं होगा। डीयू में कई दूसरे भी कॉलेजेज होंगे, जहां से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया जा सकता है यानी ऑप्शंस की कहीं से भी कमी नहींहै। हंसराज, एसआरसीसी, किरोड़ीमल, मिरांडा हाउस जैसे तमाम कॉलेजेज हैं।
एडमिशन गाइडलाइंस
फोर ईयर अंडरग्रेजुएट कोर्स
-कॉमन प्री एडमिशन फॉर्म ( ओएमआर) ऑनलाइन और ऑफलाइन उपलब्ध होंगे।
-रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 2 जून से 16 जून तक, सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक चलेगी।
-पहली कटऑफ लिस्ट 24 जून, दूसरी 27 जून, तीसरी 01 जुलाई, चौथी 4 जुलाई और पांचवीं 8 जुलाई को रिलीज होगी।
-पहली कटऑफ जारी होने के बाद 24 से 26 जून, दोपहर 1 बजे तक एडमिशन लिया जा सकेगा।
-दूसरी कटऑफ लिस्ट जारी होने के बाद 27, 28 और 30 जून को एडमिशन लिया जा सकेगा।
-तीसरे कटऑफ लिस्ट के जारी होने के बाद 1 से 3 जुलाई के बीच दाखिला ले सकेंगे।
-चौथे कटऑफ लिस्ट जारी होने के बाद 4, 5 और 7 जुलाई को एडमिशन होगा।
-पांचवींकटऑफ लिस्ट के जारी होने के बाद 8 से 10 जुलाई के बीच दाखिला लिया जा सकेगा।
-सीटें खाली रहने पर पांच और कटऑफ लिस्ट जारी की जाएंगी।
-ऑनलाइन फॉर्म की कीमत होगी 100 रुपये (जनरल ऐंड ओबीसी ) और 50 रुपये ( एससी-एसटी)।
-ऑफलाइन फॉर्म की कीमत होगी 150 रुपये (जनरल ऐंड ओबीसी) और 70 रुपये ( एससी-एसटी)।
-स्पोर्ट्स और ईसीए कोटे के तहत 5 परसेंट सीटें रिजर्व होंगी।
-डिफरेंट्ली एबल्ड के लिए 3 परसेंट सीटें रिजर्व होंगी।
-स्टूडेंट्स को ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन में से कोई एक ऑप्शन सलेक्ट करना होगा।
-स्टूडेंट किसी एक कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं। दो कॉलेजों में एडमिशन लेने पर दोनों का दाखिला रद्द कर दिया जाएगा।
-कॉलेज अपना फॉर्म जारी नहीं कर सकते हैं। वे सिर्फ प्रॉस्पेक्टस जारी कर सकते हैं। कॉलेज के प्रॉस्पेक्टस में कोर्स, सीट्स, फीस स्ट्रक्चर की जानकारी होनी चाहिए।
-ईसीए और स्पोर्ट्स कोटे के लिए कॉलेज का ही फॉर्म भरना होगा।
-कॉलेज में एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स की डिटेल जानकारी कॉलेज वेबसाइट पर देनी होगी।
-एडमिशन प्रॉसेस पर नजर रखने के लिए यूनि. स्पेशल एडमिशन असिस्टेंस टीम बनाएगी। कॉलेजों को भी ग्रीवांस कमेटी बनानी होगी।
एक्सपर्ट एडवाइस
1. सही कोर्स चुनें
2. करियर विकल्प के बारे में पहले से सोचें
3. कोर्स के विकल्प खुले रखें
4. कॉलेजों के विकल्प भी खुले रखें
5. लोकप्रियता के आधार पर कॉलेज का सलेक्शन न करें
कोर्स पर फोकस करें
डॉ. वी.के.क्वात्रा, प्रिंसिपल, हंसराज कॉलेज
कॉलेज के बदले स्टूडेंट्स को कोर्स पर फोकस करना चाहिए, क्योंकि अगर आपको आपके च्वाइस के अनुसार कॉलेज मिल जाए और कोर्स न मिले, तो उससे कोई फायदा नहीं। सिर्फ अच्छे कॉलेज में पढ़कर आप आगे नहीं बढ़ सकते हैं। अगर आपको मनमुताबिक कोर्स मिल जाता है, तो उसे पढ़ने में इंट्रेस्ट आएगा, जिससे आप उस फील्ड में काफी आगे जा सकते हैं। प्लेसमेंट के दौरान कंपनियां आपके कोर्स से रिलेटेड ही क्वैश्चन पूछती हैं। हालांकि अच्छे कॉलेज भी जरूरी हैं, लेकिन कोर्स पहले है।
हंसराज कॉलेज कॉमर्स, हिंदी, इंग्लिश, हिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस और जियोलॉजी के लिए फेमस है। स्पोर्ट्स ट्रेनिंग के लिए यह दिल्ली यूनिर्वसिटी के टॉप कॉलेजेज में शामिल है। शूटिंग, आरचरी, चेस, स्वीमिंग, बास्केटबॉल, बैडमिंटन और टेबल टेनिस यहां के बेस्ट स्पोर्ट्स में आते हैं। सैमसंग, एयरटेल, गूगल, केपीएमजी जैसी कंपनीज यहां प्लेसमेंट के लिए आती रही हैं। कॉलेज में स्टूडेंट्स के लिए शानदार लाइब्रेरी के साथ छह कंप्यूटर लैब और 18 साइंस लैब हैं। कॉलेज अपनी कैंटीन के लिए भी काफी फेमस है। कट ऑफ की बात करें, तो लास्ट ईयर कुछ सब्जेक्ट में फाइनल कटऑफ 96.25 परसेंट तक गई थी।
कॉलेज इन डिमांड
शिवानी, बी.टेक (इलेक्ट्रिकल)
मैं दिल्ली की रहने वाली हूं। हंसराज कॉलेज के बारे में काफी कुछ सुन रखा था। यहां एडमिशन मिल गया, तो समझिए मन की मुराद पूरी हो गई। इसके अलावा, यहां का माहौल बहुत अच्छा है जिसने मुझे अट्रैक्ट किया। कोई भी कॉलेज चुनते वक्त फैकल्टी, प्लेसमेंट, स्टडी का माहौल सब कुछ देखना पड़ता है, तभी आप बेस्ट कॉलेज चुन सकते हैं।
साइंस के लिए बेस्ट अदनान, बी.टेक
( कंप्यूटर साइंस)
हंसराज कॉलेज प्रेस्टीजियस कॉलेज है। मैं जो कोर्स करना चाह रहा था, वही कोर्स मिल गया, इसलिए मैंने इस कॉलेज में एडमिशन लिया। अगर यह कॉलेज नहीं मिलता, तो मैं वहीं एडमिशन लेता जहां मुझे मेरा सब्जेक्ट मिलता। वैसे, यह कॉलेज साइंस स्ट्रीम के लिए जाना जाता है, क्योंकि यहां के लैब मॉडर्न हैं और क्लासेज काफी अच्छी हैं।
कॉलेज इन डिमांड
श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स
कॉलेज-कोर्स पर बराबर ध्यान
पी.सी.जैन, प्रिंसिपल, एसआरसीसी
अच्छा कॉलेज जरूरी है, लेकिन स्टूडेंट्स को उनके पसंद का कोर्स भी मिलना चाहिए। तभी स्टूडेंट्स अपना करियर बेहतर बना सकते हैं। प्रॉब्लम तब होती है, जब पसंद का कॉलेज मिल जाए और कोर्स अपनी च्वाइस का न मिले, इसलिए जरूरी है कि स्टूडेंट्स अच्छे कॉलेज के साथ-साथ अपने पसंद के कोर्स पर भी ध्यान दें। फेवरेट सब्जेक्ट मिलेगा, तभी तो मन लग पाएगा, लेकिन सबसे ज्यादा जिम्मेदारी हमारी बनती है कि हर स्टूडेंट को बेहतरीन माहौल दे सकें।
श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स दिल्ली यूनिवर्सिटी के टॉप कॉलेजेज में काउंट किया जाता है। नॉर्थ कैंपस में स्थित यह कॉलेज कॉमर्स और इकोनॉमिक्स में बैचलर डिग्री के लिए फेमस है। कॉलेज में करीब 120 फैकल्टी मेंबर्स हैं। यहां एचएसबीसी, एसी नीलसन, नेस्ले, इन्फोसिस, हिंदुस्तान लीवर और प्राइसवॉटरहाउसकूपर जैसी कंपनीज प्लेसमेंट के लिए आती हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी की पहली वाइ-फाइ लाइब्रेरी यहीं है। 97 परसेंट मार्क्स लाने वाले स्टूडेंट्स का ही यहां एडमिशन पॉसिबिल हो पाता है।
पढ़ने का माहौल
कृपाली, बीकॉम
मेरा फर्स्ट कट ऑफ लिस्ट आने के बाद ही सलेक्शन हो गया था। इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं हुई। कॉलेज भी मिल गया और मनमाफिक माहौल भी, लेकिन अच्छे कॉलेज में माहौल अच्छा होता है। स्टूडेंट्स भी अच्छे होते हैं, तो आप उनके साथ-साथ आगे बढ़ते चले जाते हैं, लेकिन ऐसा न हो, तो थोड़ी निराशा होती है।
करियर को तरजीह
प्राणेश, बीकॉम
अगर आपके परसेंटेज अच्छे हैं, तो आपको कॉलेज भी अच्छा मिलेगा और फेवरेट सब्जेक्ट भी। लेकिन कभी-कभी कट ऑफ काफी ज्यादा चली जाती है, ऐसे में फर्स्ट प्रॉयरिटी सब्जेक्ट को ही देना चाहिए। मैंने अपना करियर प्लान किया कि मुझे पहले बीकॉम करना है, तो उसके लिए बेस्ट कॉलेज में एडमिशन लिया।
सेंट स्टीफेंस कॉलेज
इंट्रेस्ट का रखें ध्यान
डॉ. वॉल्सन थम्पू, प्रिंसिपल, सेंट स्टीफेंस कॉलेज
अच्छे कॉलेज का सलेक्शन जरूरी है, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है कोर्स का सलेक्श्न। अगर आप अपने पसंद का कोर्स सलेक्ट नहीं करेंगे और सिर्फ अच्छे कॉलेज के चक्कर में एडमिशन ले लेंगे, तो आप बेहतर नहीं कर पाएंगे। मेरा पर्सनल एक्सपीरियंस कहता है कि यहां कुछ स्टूडेंट्स बिना इंट्रेस्ट के कोर्स में एडमिशन लेकर तीन साल में निराश हो जाते हैं। अपने गलत फैसले की वजह से उन्हें पछताना न पड़े, इसलिए कोर्स सलेक्शन में उन्हें इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
सेंट स्टीफेंस दिल्ली के सबसे पुराने कॉलेजों में से एक है। पहले यह कॉलेज कोलकाता यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड था, लेकिन बाद में इसे दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंतर्गत कर दिया गया। यह कॉलेज इंग्लिश ऑनर्स, फिजिक्स, इकोनॉमिक्स, फिलॉसिफी, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स जैसे सब्जेक्ट्स के लिए फेमस है। एचएलएल, सिटी बैंक, टाइम्स नॉउ, एनडीटीवी और एसेंचर जैसी कंपनीज यहां प्लेसमेंट के लिए आती हैं। कॉलेज में स्पोर्ट्सऔर एक्स्ट्राकरिकुलर एक्टिविटीज पर भी खासा ध्यान दिया जाता है। बारहवीं में 95 से 98 परसेंट मार्क्स पाने वाले स्टूडेंट्स ही यहां एडमिशन पाने में सफल हो पाते हैं।
प्लेसमेंट में मदद
देवांश, बीए
कॉलेज में आप अपना करियर बनाने के लिए आते हैं। आपने जो प्लान किया है, उसके मुताबिक अगर आपको सब्जेक्ट ही न मिले, तो फिर कॉलेज कोई भी हो, क्या मतलब है? हां, इतना जरूर है कि अच्छा कॉलेज मिल जाए, तो प्लेसमेंट में ज्यादा परेशानी नहीं होती। आप जहां जाते हैं, आपको इंपॉटर्ेंस दी जाती है, लेकिन आखिर में आपकी सब्जेक्ट च्वाइस ही रंग लाती है।
गाइडेंस जरूरी
प्रतिभा, बीएससी
जब हम एडमिशन लेने आते हैं, उस वक्त कोई गाइड करने वाला नहीं होता है कि हमें कौन-सा सब्जेक्ट लेना चाहिए और कौन-सा नहीं ? कौन-सा कॉलेज हमारे सब्जेक्ट के लिए फिट रहेगा। इसलिए डिसीजन लेना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में कॉलेजेज के टीचर्स को रेगुलर काउंसलिंग प्रोग्राम्स चलाना चाहिए ताकि न्यू स्टूडेंट्स को मदद मिल सके और वे बेहतर फैसला ले सकें।
किरोड़ीमल कॉलेज
सब्जेक्ट से बनता ब्राइट फ्यूचर
डॉ. प्रज्ञा, एसोसिएट प्रोफेसर, किरोड़ीमल कॉलेज
अगर स्टूडेंट को अपनी च्वाइस के कॉलेज और कोर्स में एडमिशन मिल जाता है, तो इससे अच्छी बात कोई हो नहीं सकती है, लेकिन अगर ऐसा न हुआ, तो उन कॉलेजेज को तलाशें जहां से आप अपने फेवरेट सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन कर सकते हों, क्योंकि भविष्य विषय से बनता है, न कि कॉलेज से। दूसरों की नकल से हमेशा बचें। जरूरी नहीं कि कॉमर्स, इकोनॉमिक्स जैसे सब्जेक्ट्स को ही लिया जाए। इन दिनों जर्नलिच्म, परफॉर्मिग आर्ट्स जैसे कोर्सेज का क्रेज भी बढ़ रहा है, क्योंकि इसमें करियर की संभावनाएं बढ़ी हैं।
किरोड़ीमल कॉलेज इंग्लिश, हिंदी, ज्योग्राफी, कॉमर्स और इकोनॉमिक्स ऑनर्स के लिए प्रसिद्ध है। पिछले साल यहां ह्यूंमैनिटीज स्ट्रीम में 92 परसेंट, साइंस में 94 परसेंट और कॉमर्स में 96 परसेंट कट ऑफ गई थी। यहां एडमिशन के लिए कम से कम 85 से 95 परसेंट मार्क्स चाहिए होते हैं।
जहां तक प्लेसमेंट की बात है, तो फिलिप्स, यूबीएस वेरिटी, विप्रो, ताज ग्रुप, गूगल, मैकेंजी और एबीएन एम्ब्रो जैसी बड़ी कंपनीज में यहां के स्टूडेंट्स को अच्छे पैकेज पर हायर किया था।
सब्जेक्ट को प्रिफरेंस
आकांक्षा, बीएससी
हम जब एडमिशन लेने आए थे, तो फेवरेट सब्जेक्ट मिलने में काफी मुश्किल आई थी। इस कॉलेज में मेरा पसंदीदा सब्जेक्ट मिल गया, तो मैंने एडमिशन ले लिया। फिर समझ में आया कि कॉलेज भी अच्छा है। इसलिए सब्जेक्ट को प्रिफरेंस देने का मेरा फैसला सही निकला।
टीचर्स ने की मदद
अमित, बीएससी
शुरू में मुझे डर लग रहा था कि सब्जेक्ट के हिसाब से कॉलेज चूज करूं या कॉलेज के हिसाब से, क्योंकि मैंने यह तय नहीं किया था कि किस सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन करना है। फिर फ्रेंड्स और टीचर्स के सजेशंस से मुझे सही रास्ता दिखा और मैंने केएमसी में एडमिशन ले लिया।
हिंदू कॉलेज
फ्रेंडली माहौल जरूरी
डॉ. प्रद्युम्न कुमार, प्रिंसिपल, हिंदू कॉलेज
जो कॉलेज जिस सब्जेक्ट के लिए जाना जाता है, अगर वह मिल जाए, तब तो सबसे अच्छी बात है, लेकिन अगर ऐसा न हो पाए तो वह कॉलेज चुनना चाहिए जहां आपको फेवरेट सब्जेक्ट मिल रहा हो। अगर बात की जाए हिंदू कॉलेज की, तो यहां सभी सब्जेक्ट्स काफी अच्छे हैं और माहौल भी काफी फ्रेंडली है। यह जरूरी है।
हिंदू कॉलेज इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक, इंग्लिश, कॉमर्स, आर्ट्स और हिंदी के लिए फेमस है। पिछले साल यहां कॉमर्स में करीब 96 परसेंट, जबकि इंग्लिश में 99.75 परसेंट तक कट ऑफ गई थी। कहने का मतलब यह कि मिनिमम 90 परसेंट मार्क्स लाने वाले स्टूडेंट्स ही यहां एडमिशन पाने में सफल हो पाते हैं। यहां की एजुकेशन क्वालिटी की वजह से मैकेंजी, स्टार न्यूज, डेल, केपीएमजी, ताज जैसी बड़ी कंपनीज प्लेसमेंट के लिए आती रही हैं।
सोचें, समझें, परखें
हिंदू कॉलेज में बीए पॉलिटिकल साइंस की स्टूडेंट रंजना कहती हैं कि वह सेंट स्टीफेंस, गार्गी या मिरांडा हाउस कॉलेज में एडमिशन लेना चाहती थीं, लेकिन कट ऑफ निकली, तो यही कॉलेज मिला। डीयू में पढ़ना चाहती थी और पॉलिटिकल साइंस सब्जेक्ट पसंद था। इसलिए एडमिशन ले लिया। रंजना आइएएस बनना चाहती हैं, इसलिए सब्जेक्ट को ही जरूरी मानती हैं। कॉलेज में क्लासेज करने के बाद उन्हें कहींसे ऐसा नहीं लगा कि?उनका फैसला गलत था। बाद में वह कई ऐसे स्टूडेंट्स से भी मिली जिन्होंने यहीं से पढ़ाई करके सफलता पाई थी।
मिरांडा हाउस
सब्जेक्ट है इंपॉर्र्टेट
डॉ. निशा नाग, एसो. प्रोफेसर
मिरांडा हाउस
देशभर के स्टूडेंट्स यहां आकर स्टडीज करना चाहते हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी के तथाकथित जिन भी प्रसिद्ध कॉलेजेज में दाखिला मिलता है, वे वहां एडमिशन ले लेते हैं। बेशक उस कोर्स में उनकी पहले से कोई रुचि न हो, जबकि अच्छा यह होगा कि स्टूडेंट्स कोर्स को प्रिफरेंस दें।
मिरांडा हाउस दिल्ली यूनिवर्सिटी के बेस्ट कॉलेजेज में से एक है। यह कॉलेज इंग्लिश ऑनर्स, इकोनॉमिक्स ऑनर्स ह्यूमैनिटीज और साइंस सब्जेक्ट्स के लिए स्टूडेंट्स के बीच पॉपुलर है। पिछले साल इस कॉलेज में मैक्सिमम कटऑफ 97 परसेंट गई थी यानी यहां दाखिला लेने के लिए कम से कम 95 परसेंट मार्क्स तो होने ही चाहिए। जहां तक प्लेसमेंट की बात है, कॉलेज में हर साल स्टैंडर्ड चार्टर्ड एकाउंट्स, एसआर ग्रुप, स्टार इंडिया, एचपी, आइबीएम दक्ष, इंडिगो एयरलाइंस, इंडियन एयरफोर्स, मैक्स न्यूयार्क लाइफ इंश्योरेंस, बारक्लेज, इंफोसिस, एमटीवी जैसी कंपनीज स्टूडेंट्स का कैंपस सलेक्शन करती आ रही हैं। मिरांडा हाउस से हिस्ट्री में बीए कर रहीं जूही बताती हैं कि वह पॉलिटिकल साइंस लेना चाहती थीं, लेकिन मिरांडा हाउस में पढ़ने की दिली ख्वाहिश थी। इसलिए फेवरेट सब्जेक्ट न मिलने के बावजूद उन्होंने यहीं एडमिशन लेना ठीक समझा। वहींफिजिक्स से बीएससी ऑनर्स कर रहीं निकिता मानती हैं कि कॉलेज की अपेक्षा सब्जेक्ट को ज्यादा प्रिफरेंस देना चाहिए, क्योंकि करियर की राह उसी से बनेगी, चाहे कॉलेज कोई भी हो।
दौलतराम कॉलेज
दौलतराम कॉलेज पॉलिटिकल साइंस, इंग्लिश, हिस्ट्री, संस्कृत, फिलॉसिफी, कॉमर्स और केमिस्ट्री के लिए फेमस है। इसके अलावा, कॉलेज का प्लेसमेंट रिकॉर्ड भी अच्छा है। बारक्लेज, बजाज टेलिफिल्म्स, एचसीएल जैसी कई बड़ी कंपनीज यहां प्लेसमेंट के लिए आती हैं। पिछले साल यहां इकोनॉमिक्स ऑनर्स की कटऑफ करीब 96 परसेंट गई थी। इसके अलावा, ह्यूंमैनिटीज में 78 परसेंट, साइंस में 90 परसेंट और कॉमर्स में 92 परसेंट मार्क्स लाने वालों को यहां दाखिला मिला था। कॉलेज लाइब्रेरी में 80 हजार से ज्यादा बुक्स हैं। 87 से 90 परसेंट मार्क्स पाने वाले स्टूडेंट्स ही यहां एडमिशन पाने में सफल हो पाते हैं।
करियर ज्यादा इंपॉर्र्टेट
यहां पढ़ने वाली धानी ने करियर का कोई गोल तय नहीं किया है। म्यूजिशियन बनना चाहती हैं, लेकिन इस कॉलेज में उन्हें पॉलिटिकल साइंस मिल गया। सब्जेक्ट उनके मनमुताबिक था, इसलिए एडमिशन ले लिया। वहीं इसी कॉलेज की स्टूडेंट्स जसलीन और विनी शर्मा ने आइएएस बनने का सपना संजो रखा है। इसीलिए उन्हें ह्यूमैनिटीज सब्जेक्ट्स लेना था। वे चाहती तो थीं, मिरांडा हाउस कॉलेज में एडमिशन लेना, लेकिन दौलतराम कॉलेज में उन्हें मनमाफिक सब्जेक्ट मिल गया और उन्होंने एडमिशन ले लिया। उनका कहना है कि कॉलेज से ज्यादा इंपॉटर्ेंट है करियर। उन्हें कॉलेज से ज्यादा खुद पर भरोसा है। वहीं देहरादून से आई आयुषी दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजेज को पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के लिए बेहद जरूरी मानती हैं। शायद यही वजह है कि देश भर से स्टूडेंट्स दिल्ली आते हैं। यहां के स्टूडेंट्स और टीचर्स के साथ घुल-मिलकर काफी कुछ सीखते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं।
कॉन्सेप्ट ऐंड इनपुट: मिथिलेश श्रीवास्तव, राजीव रंजन, अंशु सिंह और मो. रजा