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commissioning editor चूज द रीडर्स च्वाइस

इंडियन पब्लिशिंग इंडस्ट्री लगभग 30 परसेंट सालाना की दर से ग्रो कर रही है। हिंदी, इंग्लिश और रीजनल सभी लैंग्वेजेज की बुक्स की डिमांड बढ़ने से कमीशनिंग एडिटर की मांग में भी इजाफा हुआ है। लैंग्वेज पर आपकी पकड़ है, तो इस फील्ड में अच्छा करियर बना सकते हैं..

By Edited By: Published: Wed, 27 Nov 2013 10:23 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2013 12:00 AM (IST)
commissioning editor चूज द रीडर्स च्वाइस

पब्लिशिंग इंडस्ट्री का कैप्टन अगर कमीशनिंग एडिटर को कहा जाए, तो गलत नहीं होगा क्योंकि इसी के कंधों पर पब्लिशिंग हाउस को आगे बढाने की जिम्मेदारी होती है। हम भारतीय हमेशा से किताबें पढने के शौकीन रहे हैं। यही कारण है कि समय चाहे जो भी हो, यह इंडस्ट्री हमेशा आगे बढती रही है। अगर आपकी भी लैंग्वेज पर कमांड है और लिखने-पढने के शौकीन हैं, तो कमीशनिंग एडिटर के रूप में किसी भी पब्लिकेशन के साथ जुडकर अपना फ्यूचर ब्राइट कर सकते हैं।

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चैलेंज फॉर एडिटर

इंडिया में हर महीने हजारों-लाखों की संख्या में अलग-अलग भाषाओं में किताबें प्रकाशित की जाती हैं। इस कारण पब्लिशिंग एडिटर के सामने सबसे बडी चुनौती होती है कि वह कौन से मैन्यूस्क्रिप्ट को बुक का फॉर्म दे। नई थीम और सब्जेक्ट का ख्याल रखते हुए एक बुक पब्लिश कराने की रिस्पॉन्सिबिलिटी इन्हीं की होती है। पब्लिशिंग एडिटर इस तरह की सामग्री को चूज करके उसमें मौजूद गलतियां दूर करता है। इस काम में वह राइटर की हेल्प भी लेता है।

नए आइडियाज पर फोकस

कमीशनिंग एडिटर नए आइडियाज पर काम करता है। इसके लिए वे ऐसे राइटर्स की हेल्प लेते हैं, जिनके पास अपना अलग विजन है, जो सामाजिक सरोकारों से जुडे हैं और जो भविष्य में होने वाले डेवलपमेंट्स के बारे में लिखते हैं। ऐसे मैन्यूस्क्रिप्ट को बुक के रूप में पब्लिश करके रीडर्स के सामने लाना इनकी जिम्मेदारी होती है।

लीगल नॉलेज मस्ट

राइटिंग फील्ड में कॉपी राइट और कॉन्ट्रैक्ट को लेकर आए दिन डिसप्यूट सामने आते रहते हैं। इन विवादों का एक पक्ष पब्लिशिंग हाउस भी बन जाते हैं। इस तरह के विवादों से बचने की जिम्मेदारी पब्लिशिंग एडिटर के कंधों पर ही होती है। इसके लिए जरूरी है कि एडिटर प्रोफेशनल कॉपी राइट और कॉन्ट्रैक्ट से रिलेटेड लीगल इश्यूज का भी अच्छा जानकार हो। इसके अलावा एक अच्छे कमीशनिंग एडिटर पढने-लिखने का शौक तो रखे ही, साथ-साथ हिंदी और इंग्लिश लैंग्वेज पर उसकी पूरी कमांड भी हो। कमीशनिंग एडिटर को मार्केट ट्रेंड और रीडिंग हैबिट्स का पता होना चाहिए कि लोग किस तरह के टॉपिक्स को पसंद कर रहे हैं। जिनके पास ये क्वालिटीज हैं, वे इस फील्ड में बहुत आगे जा सकते हैं।

सैलरी

बडे पब्लिकेशन हाउसेज में एंट्री लेवल पर ही तकरीबन 15 से 20 हजार रुपये सैलरी हर महीने मिलने लगती है। काम की क्वालिटी और एक्सपीरियंस के बेस पर यह सैलरी एक-दो साल में ही 30 से 40 हजार रुपये या उससे भी अधिक हो जाती है।

कोर्स और एलिजिबिलिटी

इस फील्ड में एंट्री का कोई सेट क्राइटेरिया नहीं है। फिर भी पब्लिशिंग हाउस उन्हें प्रिफर करते हैं, जिनके पास मास कम्युनिकेशन की डिग्री या डिप्लोमा होता है। वैसे, हिस्ट्री, आ‌र्ट्स और कॉमर्स बैकग्राउंड के लोग भी इसमें करियर बना सकते हैं।

इंस्टीट्यूट्स

मास कम्युनिकेशन का कोर्स कराने वाले कुछ प्रमुख संस्थान :

-www.iimc.nic.in

- www.xaviercomm.org

-www.iijnm.org

-www.jimmc.in

एडिटिंग में कमांड इंपॉर्टेट

कमीशनिंग एडिटर की एडिटिंग पर कमांड होनी चाहिए। उसे बुक के कंटेन्ट को निखारना पडता है। पहली बार किताब पब्लिश कराने वालों के लिए यह लॉन्चिंग पैड का काम करता है। राइटर्स के विचार व कमीशनिंग एडिटर के एक्सपीरियंस का मेल ही बुक की सक्सेस की कहानी लिखते हैं।

वैशाली माथुर, सीनियर कमीशनिंग एडिटर

Penguin Books, नई दिल्ली

इंटरैक्शन : शरद अग्निहोत्री


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