नारनौल टु नासा
कल्पना चावला और डॉ. कलाम को रोल मॉडल मानने वाले आशीष यादव उन लकी टॉप 10 स्टूडेंट्स में शामिल हैं, जो नासा के ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए सेलेक्ट हुए हैं। वे यूनिवर्स में लाइफ की मिस्ट्री को सॉल्व करना चाहते हैं..
हरियाणा और नासा का पुराना रिश्ता रहा है। करनाल की बेटी और इंडियन-अमेरिकन एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला ने स्पेस में जाकर इतिहास रचा था। अब इसी राज्य के 19 साल के आशीष यादव नासा जाने की तैयारी कर रहे हैं। आशीष दुनिया के उन 10 स्टूडेंट्स में शामिल हैं, जिन्हें अमेरिका के नेशनल एरोनॉटिक स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा में तीन साल के एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए सेलेक्ट किया गया है। इस प्रोग्राम का पूरा खर्च नासा ही उठाएगी। आशीष के अलावा भारत के दो और स्टूडेंट्स का सेलेक्शन हुआ है। इनमें से एक आंध्र प्रदेश से है और दूसरा केरल से।
ड्रीम जर्नी
आशीष ने बताया कि वे बचपन से एस्ट्रोनॉट बनना चाहते थे। कल्पना चावला और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की लाइफ उन्हें इंस्पायर करती थी और दोनों को वे अपना रोल मॉडल भी मानते हैं। आशीष बताते हैं कि उन्हीं को प्रेरणा स्त्रोत मान कर उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एरोनॉटिक्स एंड टेक्नोलॉजी (आईआईएसएटी) का एग्जाम दिया, जो इसरो कंडक्ट करता है। आशीष कहते हैं, जब मेरा इसरो में सेलेक्शन हुआ, तो मैंने डिसाइड कर लिया कि मुझे एस्ट्रोनॉट ही बनना है। इसी दौरान नासा के ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए भी टेस्ट कंडक्ट किया गया था। आशीष ने उसे भी क्लियर किया। इसके बाद तो जैसे उनके सपनों को पंख लग गए। रिटेन के बाद 6 राउंड इंटरव्यू हुए। सक्सेस यहां भी जैसे आशीष का इंतजार कर रही थी। आशीष इसमें भी सेलेक्ट हो गए। आशीष ने बताया कि पहली बार नासा के साइंटिस्ट्स को फेस करना ईजी नहीं था, शुरू में थोडा नर्वस थे, लेकिन फिर कॉन्फिडेंस आ गया। लास्ट राउंड के इंटरव्यू के दौरान ही उन्हें बता दिया गया था कि वे ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए सेलेक्ट होने जा रहे हैं। चार सितंबर को मेल के जरिए आशीष को नासा से फाइनल कंफर्मेशन मिल गया।
गांव का मॉडल स्टूडेंट
महेंद्रगढ जिले के नारनौल के रहने वाले आशीष ने नंागल चौधरी गांव के सरस्वती विद्या मंदिर से हायर सेकंडरी 84 परसेंट मार्क्स के साथ पास किया है। इसके अलावा, प्री-मेडिकल और आईआईटी एंट्रेंस भी क्लियर कर चुके आशीष का आईआईटी एग्जाम में रैंक 112 था। आशीष की मां सुमन कहती हैं कि जब वह सेकंड क्लास में पढता था, तभी सीनियर क्लास के क्वैश्चन्स सॉल्व कर लेता था। आशीष स्कूल के बाद डेली कम से कम छह घंटे पढाई करते थे। पिता राधेश्याम को गर्व है कि बेटे ने गांव में रहकर इतना सब कुछ हासिल किया है। उन्हें भरोसा है कि नासा में ट्रेनिंग के बाद बेटा वापस इंडिया लौटेगा। आशीष की भी इच्छा है कि लौटकर वे इसरो के साथ काम करें और देश का नाम रोशन करें।
टिप्स फॉर यंगस्टर्स
वह कहते हैं कि वॉशिंगटन जाने से पहले मन में थोडा डर है, लेकिन साथ ही एक्साइटमेंट भी है। वह इस बात से खासे उत्साहित हैं कि नासा में काफी इंडियंस हैं और वहां काफी कुछ सीखने को मिलेगा। आशीष चाहते हैं कि वे लाइफ के एग्जिसटेंस की मिस्ट्री को सॉल्व करें। जो लोग स्पेस टेक्नोलॉजी में करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए आशीष कहते हैं कि वे एस्ट्रोनॉट्स, स्पेस और फील्ड से रिलेटेड बुक्स की स्टडी करें। स्कूल में ही बेसिक्स को स्ट्रॉन्ग करें, खासकर मैथ्स और साइंस।
इंटरैक्शन : अंशु सिंह